सावधान! कहीं आप तो नहीं पी रहे नकली शराब : ग्रेटर नोएडा में बन रही थी नकली ब्रांडेड शराब, पुलिस और आबकारी विभाग को भनक तक नहीं लगी
नोएडा/ग्रेटर नोएडा (मुकेश पंडित) : ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर के तिलपता क्षेत्र में स्थित यूपीएसआइडीसी साइट की सी कालोनी में कानपुर के चार लोग अवैध रूप से देसी और अंग्रेजी शराब बनाकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई कर रहे थे और आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं लगी। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की टीम ने जब सूचना के आधार पर छापा मारा, तो शराब के इस अवैध कारोबार का खुलासा हो सका। यह गिरोह कई प्रमुख ब्रांडों की शराब तैयार कर रहे थे। शराब की बिक्री में सरकारी ठेकों के सेल्समैनों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। इस मामले में एसटीएफ ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
चारों अपराधी कानपुर के रहने वाले
अवैध शराब बनाने के कारोबार में संलिप्त कमल पुत्र सुशील चंद, निखिल सोनी, अमित यादव और गोविंद चौरसिया को एसटीएफ ने छापे की कार्रवाई के बाद गिरफ्तार किया। चारों कानपुर के रहने वाले हैं। पूछताछ में पता चला है कि चारों पहले यूपीएसआइडीसी सिकंदराबाद इंडस्ट्रीयल एरिया में अवैध शराब का कारोबार कर रहा था। बाद में अपना नशे का काला धंधा ग्रेटर नोएडा के तिलपता में शिफ्ट कर दिया। बेधड़क होकर शराब बनाने व बेचने लगे। तिलपता पुलिस चौकी और आबकारी विभाग की टीम को भी इसकी भनक तक नहीं मिली कि उनके क्षेत्र में अवैध और नकली शराब का इतना बड़ा कारोबार फलफूल रहा है।
अंग्रेजी शराब के 8पीएम और ऑफिसर च्वॉइस ब्रांड बनते थे
एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक नवेन्दु कुमार की देखरेख में इंस्पेक्टर सचिन कुमार की टीम ने अवैध शराब बनान के ठिकाने पर छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया। एसटीएफ की टीम मौके से बरामद की गईं वस्तुओं और सामग्री को देखकर अवाक रह गई कि कितने व्यापक पैमाने पर लोगों की जान लेने का नकली शराब का कारोबार चल रहा है। गिरफ्तार अपराधी कैमिकल मिलाकर अंग्रेजी के प्रमुख ब्रांड 8PM और ऑफिसर च्वॉइस बनाकर बेचते थे। इसी प्रकार देसी शराब के ट्वीन टॉवर, विन्डीज, मोटा, मोटा संतरा फ्लेवर बनाते और बेचते थे। इन ब्रांडों पर बाकायदा एक्साइज डिपार्टमेंट का होलोग्राम भी लगाया जाता था।
कैसे बेची जाती थी ब्रांड के नाम पर नकली शराब
अवैध शराब के कारोबारी ब्रांडों की हुबहू शराब तैयार करके उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शराब के ठेकों में कार्यरत सेल्समैन से संपर्क साधते। उन्हें सस्ती दरों पर नकली ब्रांडेड शराब दी जाती। अधिक पैसा कमाने के चक्कर में शराब के ठेकों पर कार्यरत सेल्समैन नकली शराब को असली ब्रांड के नाम पर बेच देते। इससे पूरे कारोबार की चैन चल रही थी। जिसमें सेल्समैनों की मिलीभगत भी उजागर हुई है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकारी ठेकों पर कैसे नकली शराब ब्रांड के रूप में बेचकर लोगों के जीवन से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
कैसे तैयार करते हैं नकली शराब
यह लोग रामपुर से 100% अल्कोहल और स्प्रिट खराह कर लाते थे। इसमें पानी, कलर और एसेंस मिलाकर शराब जैसा बना देते। कन्स्ट्रेशन चेक करने के मीटर का इस्तेमाल करके उसका कम अथवा ज्यादा करके देसी और अंग्रेजी शराब बना देते। फिर एक्साइज डिपार्टमेंट का होलोग्राम लगा दिया जाता। जिससे इसके नकली होने का शक नहीं रहता। लेकिन सरकार ठेकों के सेल्समैन को इस बात की जानकारी जरूर रहती कि यह नकली शराब है।