सीमा हैदर का वफादार प्रेमिका होना भी हो सकता है खतरनाक जानिए, “तीसरा एंगल”
नोएडा: पाकिस्तान से भारत आई सीमा हैदर को लेकर देश में पाकिस्तानी जासूसों की चर्चा है सीमा भारतीय युवक सचिन से प्रेम प्रसंग के चलते भारत में दाखिल हुई है। सीमा के भारत आने के पीछे दो बातों पर ध्यान दिया जा रहा है एक कि सीमा एक सच्ची प्रेमिका है उसका भारत विरोधी गतिविधियों में रोल नहीं है दूसरी बात कि सीमा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एजेंट है और भारत से जानकारियां खंगालने आई है क्या इन दो बातों के अलावा कोई तीसरा पहलु भी हो सकता है ? यह एक बडा सवाल है और यदि ऐंसा तो वो कौनसी रणनीति है जिसमें सीमा जासूस तो नहीं लेकिन प्रेम दीवानी प्रेमिका भी नहीं। कहीं सीमा की बकायदा साफ सुथरी और अच्छी इमेज का क्रियेशन तो नहीं, सीमा यदि जांच एजेंसियों और टेस्ट में वफादार प्रेमिका सिद्ध होती है तब दूसरी और लडकियों पर भारतीयों का नजरिया विरोधाभासी नहीं रहेगा पाकिस्तान का ऐसा कोई इस तरह का एक साफ्ट कार्नर तैयार करना भी हो सकता है जिसके तहत भारत में पाकिस्तान की लडकियों के प्रति एक लचीली सोच तैयार करना हो और उसके बाद अनेक लडकियों को इस तरह भारत में प्रवेश कराकर उनमें कुछ ट्रेंड जासूसों को शामिल करके भारत में भेजना हो सकता है यह एक रणनीतिक ढंग हो सकता है। फिलहाल भारत सरकार और यहां की जांच एजेंसियां चौकस हैं लेकिन इस तरह की संभावना के प्रति और अधिक सजग रहने और भारतीयों को इस तरह के ट्रेप से बचने की सलाह देने की आवश्यकता भी है। अभी तक पाकिस्तानी जासूसों को जिस तरह भेजा गया वो भारतीय जांच एजेंसियों की नजर में है इसलिए सीमा हैदर जासूसों की बडी खेप को खपाने की एक तैयारी का हिस्सा हो सकती है।
भारत की जानकारी खंगालने के क्या करता है पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के बीच जासूस सक्रिय हैं जो लालच देकर भारत की जानकारियां क्रेक करने का काम करता है स्लीपर सेल आईएसआई की ओर से फंडिंग के सबूत सामने आए हैं
राजस्थान के जैसलमेर का इलाका यहां आए दिन पाक जासूस पकड़े जाते हैं, इनके विषय में जानकारी है कि ये भारतीय सेना की सूचनाएं पाकिस्तान भेजते हैं। ये जैसलमेर में ही रहने लाले स्लीपर सेल के टूल हैं। भारत और पाक के बीच तनाव के हालात हैं। पीओके में वायुसेना की एयर सर्जिकल स्ट्राइक के तहत आतंकवादियों के अड्डे तबाह करने के बाद से आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं। ऐसे में यह आशंका है कि जैसलमेर में अब आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेल भी सक्रिय हो सकते हैं।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार राजिस्थान एटीएस व अन्य खुफिया एजेंसियों के अधिकारी यहां आकर जासूसों की धरपकड़ करते हैं। दो साल पहले सदीक खां को जोधपुर में जयपुर की टीम ने पकड़ा उससे पूछताछ के आधार पर जासूस बरियम खां को पकड़ा था। इससे पहले भी जैसलमेर में जयपुर की एजेंसियां जासूसों की धरपकड़ कर चुकी हैं।
भारत के खिलाफ आईएसआई द्वारा षणयंत्रों के सबूत
किशनगढ़ से पकड़े गए हाजी खां से पूछताछ में तथ्य सामने आए थे उसकी पत्नी के खाते में आईएसआई की ओर से 15 लाख रुपए जमा करवाने का मामला सामने आया था। लगातार जासूसों से हो रही पूछताछ में यह निकल कर आया था कि आईएसआई जैसलमेर में सीमावर्ती इलाके में बैठे जासूसों के लिए फंडिंग करती है।
पाकिस्तान के विस्थापित हिंदु निशाने पर होते हैं
लगभग ढाई साल पहले गोरधन सिंह पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के मामले में पकड़ा गया था पाक निवासी नंदू महाराज को भी इस मामले में पकड़ा था। खुफिया एजेंसियों की नजर हिंदू पाक विस्थापितों पर भी सबसे ज्यादा रहती है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों का जैसलमेर में लंबा चौड़ा नेटवर्क है जैसलमेर के इन इलाकों के गांव मे पाकिस्तान की एजेंसियों की पहुंच है और वो यहां अपने स्लीपर सेल बढ़ा रहे हैं। जैसलमेर में पिछले कुछ वर्षों में एक दर्जन से भी अधिक पाक जासूस पकड़े गए हैं।
आइए समझते हैं स्लीपर सेल
स्लीपर सेल मतलब लोभ लालच में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के लिए जासूसी करते हैं। इन्हें यह नहीं पता होता है कि ये किसके लिए काम करते हैं। इनसे सूचनाएं मंगवाने वालों का लंबा नेटवर्क होता है। ये स्लीपर सेल सिर्फ उसे ही जानते हैं, जिन्हें ये सूचनाएं भेजते हैं। अब ये सूचनाएं कहां तक पहुंचती हैं और इनका इस्तेमाल कौन-कौन और किसके लिए करते हैं, इसकी जानकारी इन्हें नहीं होती। ये स्लीपर सेल अपने इलाके में सक्रिय अन्य लोगों को भी नहीं जानते हैं।
लगातार एक के बाद एक जासूस का पकडा जाना चिंता का विषय है पिछले कुछ वर्षों में एक दर्जन से अधिक जासूस पकड़े हैं
कैसे फंसते जाल में नये मोहरे
मादक पदार्थों की खरीदारी के षणयंत्र में शुरुआती दौर में यहां बैठे लोगों को हेरोइन सप्लाई का प्रलोभन दिया जाता है। एक-दो बार यह काम करवाने के बाद उनसे जासूसी के संबंध में सूचनाएं मंगवाई जाती हैं। लालच के चलते ये लोग देश के लिए खतरा बनकर पाकिस्तान के जासूस भी बन जाते हैं।
जैसलमेर में जो भी जासूसी के मामले में पकड़ा गया है उसकी रिश्तेदारी पाकिस्तान मे अवश्य होती है। जासूस हाजी खां का ससुराल पाकिस्तान में है। वहां एजेंसियां पाक में ऐसे लोगों से संपर्क करती हैं, जिनकी रिश्तेदारी जैसलमेर में भारतीय सीमा के अंदर रहने वाले लोगों से है।
पाकिस्तानी टेलीकॉम कंपनी का नेटवर्क सीमावर्ती इलाकों तक है। दो-तीन साल में पकड़े गए जासूसों के पास पाक की सिमें भी बरामद की गई थीं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये जासूस यहां बैठे पाकिस्तान का नेटवर्क उपयोग करके अपने आकाओं तक सूचनाएं भेजते हैं
पूर्व में पकडे गये जासूसों पर एक नजर-
-साल 1996 जाफरिया अमरे खां व नबिया सहित पांच के गिरोह का भंडाफोड़।
-साल 2002 में रमजान व नूरे खां पकड़ाए इस मामले में सैन्य अधिकारी भी शामिल।
-साल 2006 बीकानेर में लाठी निवासी नूरे खां पकड़ाया
-साल 2013 अल्लाबख्श मौलवी माजिद खां और गुलाम रसूल जासूस पखडे गये।
-साल 2014 पाक जासूस सुमार खां को खुफिया एजेंसियों ने दबोचा, हाजी खां, सदीक खां, बरियम खां, गोरधन सिंह और हाल ही फतन खां पकड़ा गया।
नोट: लेखक राम स्वरुप शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं।