Bihari Singh Bagi Death Anniversary 2023: पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की रैली में शेर लेकर पहुंच गए थे कांग्रेस नेता बिहारी सिंह बागी, जानिए क्यों
देश के किसानों और मजदूरों के नेता रहे दिग्गज चौधरी बिहारी सिंह बागी का निधन 29 नवंबर 2020 हो गया था।
देश के किसानों और मजदूरों के नेता रहे दिग्गज चौधरी बिहारी सिंह बागी का निधन 29 नवंबर 2020 हो गया था। 78 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। बिहारी सिंह बागी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री के अच्छे दोस्त माने जाते थे। हालांकि बिहारी सिंह बागी पर गोलियां भी चलवाई गई थीं, लेकिन वे हमले में बाल-बाल बच गए थे। आज फेडरेल भारत बताने जा रहा उनसे जुड़ी कुछ रोचक घटना।
गौतमबुद्द नगर के दादरी कस्बा के पास स्थित रुपबास गांव में जन्मे बिहारी सिंह बागी कांग्रेसी नेता रहे थे। स्वर्गीय चौधरी बिहारी सिंह बागी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रैली में शेर लेकर पहुंच गए थे। साल 1974 में कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज बिहारी सिंह बागी दादरी पहुुंचे। उस दौरान दादरी में इंदिरा गांधी की रैली चल रही थी। शेर को देखते ही भीड़ में अफरा-तफरी मच गई थी। दरअसल, 1974 में उन्होंने पहली बार दादरी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। दरअसल, उस समय कांग्रेस दो गुटों में बंट चुकी थी। प्रदेश के बड़े नेता कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई) में बंट गए। दोनों पार्टी से टिकट न मिलने पर उन्होंने इंदिरा गांधी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। कांग्रेस से नाराज होकर 1974 में पहली बार और 1991 में दूसरी बार बिहारी सिंह बागी चुनाव लड़े। हालांकि दोनों कार हार गए। मजदूरों और किसानों के दिग्गज नेता रहे बागी को 1974 में चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव चिह्न शेर आवंटित किया गया।
इंदिरा गांधी की रैली हुई थी दादरी में
उस दौरान कांग्रेस पार्टी की दादरी के मिहिर भोज कॉलेज में रैली तय हुई थी। रैली को संबोधित करने के लिए इंदिरा गांधी पहुंची थी। पार्टी से बगावत कर चुके बिहारी सिंह बागी ने सेना की तीन जीप खरीदी। उन दिनों गाजियाबाद में सर्कस चल रहा था। बागी ने 500 रुपये में एक शेर किराए पर लिया और इंदिरा गांधी की रैली में पिजरे में शेर लेकर आ गए। जिसके बाद मौके पर मौजूद भीड़ शेर को देखकर तितर—बितर हो गई।
छात्र राजनीति से थे एक्टिव, ऐसे बने बागी
मजदूर और किसानों की लड़ाई लड़ने और कांग्रेस से बगावत करने के साथ ही उनके नाम के पीछे बागी लग गया। उस समय ये क्षेत्र में चौधरी बिहारी सिंह के नाम से प्रसिद्ध हो गए। बिहारी सिंह के बेटे यतेंद्र कसाना ने बताया कि 1992 में किसान रैली में हिस्सा लेने जा रहे बिहारी सिंह बागी पर डेरी मच्छा गांव के पास गोलियां भी चलवाई गई, जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गए थे।