कालाधंधाः फर्जी जीएसटी फर्म तैयारकर करोड़ों कमाए, तीन लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
इसके पहले फर्जी जीएसटी फर्म बनाकर करोड़ों के राजस्व की क्षति पहुंचाने वाले गिरोह के कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है पुलिस
नोएडा। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट थाना 20 की पुलिस ने फर्जी जीएसटी फर्म तैयार कर करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति पंहुचाने वाले गिरोह के तीन और शातिर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनके पास से कई आपत्तिजनक कागजात बरामद हुए हैं। इसके पहले नोएडा सेक्टर 20 की पुलिस ने दो बार में कई आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
कहां से पकड़े गए आरोपी
नोएडा थाना सेक्टर 20 पुलिस ने इलेक्ट्रानिक सर्विलांस, बीट पुलिसिंग और लोकल इटेलिजेंस से मिली गोपनीय सूचना के माध्यम से फर्जी जीएसटी फर्म गिरोह के तीन अन्य शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इन्हें डीएनडी होते हुए ग्रेटर नोएडा की ओर एक्सप्रेस-वे की ओर जाते हुए कनेक्टेड रोड से गिरफ्तार किया है।
कौन हैं पकड़े गए आरोपी
पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों की पहचान मूल निवासी अतुल गुप्ता निवासी जलालाबाद शाहजहांपुर और वर्तमान निवासी एफ-3/11 रोहिणी सेक्टर 16 दिल्ली, सुमित गर्ग उर्फ चाचा निवासी 108 हुड्डा सेक्टर भट्टू मंडी फतेहाबाद (हरियाणा) वर्तमान निवासी डी-6 सेक्टर 8 रोहिणी दिल्ली और तीसरे मनन सिंघल मूल निवासी 16 नई अनाज मंडी हिसार (हरियाणा) वर्तमान निवासी डी-6 सेक्टर 8 रोहिणी बताई है।
क्या हुआ इनके पास से बरामद
पुलिस ने तीनों के पास से तीन मोबाइल फोन, ड्राइविंग लाइसेंस, एक पैनकार्ड, दो आधारकार्ड, 6 जीएसटी फर्म के ऑनलाइन दस्तावेज, फर्जी टैक्स इनवॉइस दस्तावेज, फर्जी सहमति पत्र,
42 हजार रूपये, एक कार महिन्द्रा एक्सयूवी, एक कार स्कोडा रैपिड बरामद किए हैं।
गिरोह के कई लोग पकड़े जा चुके हैं
इससे पहले 10 जून को गिरफ्तार आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लिए गए आरोपियों की निशादेही पर गिरोह के अन्य 4 शातिर आरोपियों गौरव सिंघल और गुरमीत सिंह बत्रा उर्फ साहिल को सेक्टर 16 रोहिणी दिल्ली से गिरफ्तार किया था। पुलिस रिमांड पर लिए गए आरोपियों की निशादेही पर की गई कार्यवाही के क्रम में गिरोह के अन्य सदस्य राजीव और राहुल गुप्ता को नया गांव सेक्टर 87 फेस-2 गली नंबर-4 महेश्वरी टेलीकाम गौतमबुद्धनगर से गिरफ्तार किया गया था।
कैसे देते थे अपराध को अंजाम
आरोपी फर्जी तरीके से सिम एक्टिवेट कराते थे। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति सिम खऱीदने आता था तो उस व्यक्ति से सिम एक्टिवेशन के नाम पर तीन-चार बार में थम्ब मशीन पर थम्ब इम्प्रेशन स्कैन यह कहकर स्कैन कराया जाता था कि आपका थम्ब सही से स्कैन नहीं हो पा रहा है। इसी का फायदा उठाकर गिरोह के सदस्य एक से दो सिम एक्टीवेट कर लेते थे। फिर एक सिम को तो वह कस्टमर को दे देते थे और एक सिम को वह ग्राहक की आईडी पर ही एक्टीवेट कर अपने पास रख लेते थे। अपने ही टीम के सदस्य को एक्टीवेट की हुई सिम बेच देते थे। गिरोह के सदस्य डिमांड के आधार पर एक्टीवेट किए सिमों को खरीदकर उनको अपने ही टीम के सदस्य जो फर्जी जीएसटी फर्म तैयार करते थे, को बेचकर उनसे अपना कमीशन ले लेते थे। जो एक्टीवेटिड सिम गिरोह के सदस्य अपने सदस्यों को देते थे, उन्हीं सिमों का उपयोग उसके टीम के सदस्य फर्जी जीएसटी फर्म तैयार करने में उपयोग करते थे। गिरोह के सदस्य मिलकर जो फर्जी जीएसटी फर्म तैयार होता था को, खरीदते थे। उन खऱीदी गई फर्जी जीएसटी फर्मों का प्रयोग वे ई-वे बिल के माध्यम से फर्जी इन्वॉयस को विभिन्न कंपनियों के नाम से बनाकर तैयार कर लेते थे। उन तैयार किए गए फर्जी बिलों को वे विभिन्न कंपनियों को बेचकर उनसे अपना मोटा कमीशन वसूलते थे।