×
crimeउत्तर प्रदेशलखनऊ

कमाई का शार्टकटः रातोंरात बनना चाहते थे कुबेरपति, हथियारों की तस्करी करने लगे

कौन हैं हथियार तस्करी के आरोपी, उनकी किस रूप में पहचान हुई, प्रति हथियार उन्हें कितना मिलता था

लखनऊ। रातोंरात धनकुबेर बनने की लालसाने दो पहलवानों को कुख्यात हथियार तस्कर बना दिया। उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने मंगलवार को दोनों को वाराणसी जिला मुख्यालय के नजदीक सारनाथ क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।

क्या हुआ बरामद

दोनों कथित कुख्यात हथियार तस्करों के पास से सात पिस्टल, 13 मैगजीन और तीन मोबाइल बरामद हुए हैं।

कौन हैं हथियार तस्कर

एसटीएफ ने जिन कथित कुख्यात तस्करों को रंगेहाथ दबोचा है उनकी शिनाख्त मिर्जापुर जिले के पड़री थाना के यशवंत सिंह का पुरा के देवेश्वर शुक्ला और हलिया थाना के बसुहरा गांव के निवासी अंबुज पांडेय के रूप में हुई है। एसटीएफ ने उन्हें वाराणसी कमिश्नरेट की सारनाथ थाने की पुलिस के हवाले अगली कानूनी कार्यवाही के लिए सौंप दिया है।

मुखबिर की सूचना पर हुई कार्रवाई

एसटीएफ की वाराणसी इकाई के एएसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि पूर्वांचल में हथियार तस्करों के सक्रिय होने की सूचनाएं लगातार मिल रही थीं। इस मामले में एसटीएफ की वाराणसी इकाई के इंस्पेक्टर अनिल सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया।

मुखबीर द्वारा दी गई सूचना में पता लगा कि सारनाथ क्षेत्र में पुराना आरटीओ तिराहा से आशापुर मार्ग पर दो तस्कर अवैध असलहे की खेप के साथ मौजूद हैं। सूचना की जांच की गई तो यह सही पाया गया। तब एसटीएफ की टीम ने छापा मारकर दोनों हथियार तस्करों को गिरफ्तार कर लिया।

विपिन ने दिया था दोनों को लालच

पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह कुश्ती लड़ते थे और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करते थे। उनके वीडियो को देखकर इसी साल बीते जुलाई में प्रयागराज जिले के मेजा के खानपुर निवासी विपिन दूबे ने उनसे संपर्क कर उन्हें लालच दिया कि हथियारों की तस्करी से कम समय में काफी रकम उगाही जा सकती है। वे चाहें तो बड़ी रकम पैदा कर सकते हैं।

दोनों लालच में आ गए

उन्होंने पूछताछ में बताया कि विपिन के इस पेशकस से दोनों लालच में आ गए और विपिन के साथ मिलकर हथियारों की तस्करी में लग गए।

7 हजार रुपये प्रति पिस्टल मिलते थे

उन्होंने बताया कि विपिन दूबे ने दोनों को रुपये देकर मध्य प्रदेश के जिला बडवानी के एक सरदार के पास भेजता था। देवेश्वर और अंबुज पैसा देकर सरदार से हथियार लेकर आते थे और विपिन दूबे को दे देते थे। इसके बदले विपिन दूबे 7 हजार रुपये प्रति पिस्टल के उन्हें देता था। इस तरह से दोनों अब तक कई हथियार लाकर विपिन दूबे को दे चुके थे।

दो दिन पहले दोनों बडवानी गए थे और उसी सरदार से सेमी ऑटोमेटिक सात पिस्टल और उसकी 13 मैगजीन लेकर आए थे। इस बार हथियार और मैगजीन वाराणसी में विपिन दूबे को देना था। विपिन दूबे का दोनों का इंतजार कर रहा था, लेकिन उससे पहले ही दबोच लिए गए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Tags

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Related Articles

Back to top button
Close