इस्कॉन मन्दिर में धूमधाम से मनाया गया ब्रह्मोत्सव, जानिए इस्कॉन का अर्थ क्या है?
इस्कॉन मन्दिर (नोएडा) ने अपना नवम स्थापना दिवस (ब्रह्मोत्सव) बड़े ही धूमधाम से मनाया। जानिए क्या ख़ास रहा इस दिन।
नोएडा: आज से नौ वर्ष पूर्व, नित्यानंद त्रयोदशी के दिन, नोएडा में इस्कॉन मन्दिर का लोकार्पण किया गया था। लोकार्पण के लिए नित्यानंद त्रयोदशी का दिन चुना गया क्योंकि भगवान् नित्यानंद साक्षात् भगवान् बलराम के अवतार हैं। इस मन्दिर का उद्देश्य पूरे विश्व भर के लोगों में सनातन धर्म का प्रचार करना है ताकि सभी शान्ति पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। इस्कॉन मन्दिर (नोएडा) ने अपना नवम स्थापना दिवस (ब्रह्मोत्सव) बड़े ही धूमधाम से मनाया।
प्रात: काल से ही श्रद्धालुओं ने मंदिर आना शुरू कर दिया था। सभी लोग श्री भगवान् के नई पोशाक में सुन्दर दर्शन करने के लिए उत्सुक थे। मुख्य उत्सव प्रात: 10 बजे भगवान् के पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, शहद और ताज़े फलों के रस से) अभिषेक से प्रारम्भ हुआ। इस मध्य हरे कृष्ण महामंत्र का अनवरत कीर्तन चलता रहा। इस्कॉन के संस्थापकाचार्य कृष्णकृपामूर्ति जगद्गुरु श्रील प्रभुपाद के निजी शिष्य परम् पूज्य नव योगेन्द्र स्वामी महाराज इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने अपने प्रवचन में भगवान् नित्यानंद के आविर्भाव के विषय में बताया। भगवान् को 56 भोग अर्पित किए गए जिसमें देश विदेश के कईं स्वादिष्ट व्यंजन सम्मिलित थे। तत्पश्चात् भगवान् का पुष्प अभिषेक किया गया एवं भगवान् की महा आरती उतारी गई। कार्यक्रम के अन्त में सभी को महाप्रसाद वितरित किया गया जिसमें भगवान् को अर्पित विभिन्न व्यंजनों का श्रद्धालुओं ने बहुत आनन्द लिया। इस उत्सव में लगभग 1500 लोग सम्मिलित हुए। कुल मिलाकर उत्सव अत्यन्त उल्लासपूर्ण रहा।
इस्कॉन का क्या अर्थ है?
इस्कॉन मन्दिर को 1966 में न्यूयॉर्क में भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद जी ने प्रारम्भ किया था। इस्कॉन का अर्थ-इंटर्नैशनल् सोसाईटी फ़ॉर क्रिश्ना कॉनशियस्नेस् है। इसको हरे कृष्णा आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इस्कॉन को प्रारम्भ करने का उद्देश्ये पूरे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार करना है और सभी लोगों को अपने धर्म से जोड़ना है।