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ब्रेकिंग न्यूजः आतंक का पर्याय बने कुख्यात अपराधी अनिल दुजाना यूपीएसटीएफ की मुठभेड़ में मेरठ में मारा गया

गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में डेढ़ सौ अधिक गंभीर आपराधिक धाराओें में मामले हैं दर्ज

लखनऊ। गौतमबुद्ध नगर समेत उत्तर भारत  के विभिन्न राज्यों के जिलों में आतंक का पर्याय माने जाने वाले कुख्यात अपराधी अनिल दुजाना को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपीएसटीएफ) ने मेरठ में मुठभेड़ में मार गिराया। हाल में ही में वह जेल से जमानत पर रिहा हुआ था और गौतमबुद्ध नगर जिले में अपने खिलाफ गवाहों को धमकाना शुरू कर दिया था।

यूपीएसटीएफ से सीधी मुठभेड़ हो गई

शुरुआती जानकारी के अनुसार मेरठ में यूपी एसटीएफ और अनिल दुजाना गिरोह के बीच सीधी मुठभेड़ हो गई। इसमें अनिल दुजाना मारा गया।

आतंक का पर्याय था

अनिल दुजाना गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों और उत्तर भारत के में आतंक का पर्याय माना जाता था। करीब वह जमानत पर जेल से रिहा हुआ था। जेल से रिहा होते ही उसने गौतमबुद्ध नगर में अपने खिलाफ गवाही दे रहे लोगों को धमकियां देनी शुरू कर दी थीं।  जब इसकी जानकारी गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट की पुलिस को मिली तो उसने दो सप्ताह के दौरान अनिल दुजाना के खिलाफ नोएडा में करीब दो मुकदमें दर्ज थे। इससे पहले नोएडा पुलिस की स्पेशल सेल और एसटीएफ टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही थी।

डेढ़ सौ से अधिक मुकदमें हैं दर्ज

आतंक का पर्याय रहे कुख्यात अपराधी अनिल दुजाना काफी चर्चित कुख्यात दुर्दांत अपराधी माना जाता था। उसे वह अपराध के लिए सजा भी मिल चुकी थी। अनिल दुजाना को एक मामले में तीन वर्ष के कारावास की सजा मिलने के बाद उसके कारनामे फिर से सुर्खियां में आ गया था। उसके खिलाफ उत्तर भारत के कि विभिन्न प्रदेशों में  डेड़ सौ से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

कभी होनहार युवक था

ग्रेटर नोएडा के दादरी क्षेत्र के दुजाना गांव का निवासी अनिल दुजाना किसी जमाने में होनहार युवक हुआ करता था। वह कुछ अपराधिक लोगों के संपर्क में आ गया और देखते ही देखते ही वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का वह बड़ा माफिया बन गया। उसे बीते साल 22 नवंबर 2022 को खेड़ी गांव के प्रधान जयचंद की हत्या के आरोप में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत ने तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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