आम्रपाली लेज़र वैली में कब्ज़े में देरी पर खरीदारों का फूटा ग़ुस्सा, एनबीसीसी पर उठे सवाल !

नोएडा: आम्रपाली लेज़र वैली (आदर्श आवास योजना) के सैकड़ों फ्लैट मालिकों ने आज लगातार दूसरे सप्ताह निर्माणाधीन साइट पर एनबीसीसी (भारत सरकार के अधीन नवरत्न कंपनी) के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
वर्तमान स्थिति यह है कि निर्माणाधीन कई टावरों का काम 50% तक भी पूरा नहीं हुआ है, जिससे खरीदारों के बीच गहरी चिंता और असमंजस का माहौल बन गया है।
लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि जब परियोजना सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है, तो फिर ऐसी लापरवाही कैसे हो रही है?
एनबीसीसी ने भी तोड़ा भरोसा, बढ़ती जा रही हैं डेडलाइन
प्रदर्शन कर रहे फ्लैट खरीदारों ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उनके दर्द को समझते हुए आम्रपाली ग्रुप को परियोजनाओं से हटाकर एनबीसीसी को निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन अफसोस की बात है कि एनबीसीसी भी अपने वादों को पूरा नहीं कर पा रही है।
बार-बार निर्माण की डेडलाइन बदली जा रही है और अब मार्च 2025 की समयसीमा भी पीछे छूट चुकी है।
एनबीसीसी अधिकारियों के साथ खरीदारों की बैठक
प्रदर्शन के बाद घर खरीदारों ने एनबीसीसी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निर्माण स्थल पर ही बैठक की। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि निर्माण कार्य में कुछ गंभीर चुनौतियाँ आई थीं, जिनका समाधान किया जा रहा है।
उन्होंने जानकारी दी कि आदर्श आवास योजना के तहत बनाए जा रहे 8 टावरों में से —टावर A1, G1 और H1 को अक्टूबर 2025 तक,और टावर F1 को नवंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
बाकी बचे चार टावर — B1, C1, D1 और E1 — के लिए निर्माण कार्य वाईएफसी प्रोजेक्ट्स से वापस लेकर नए सिरे से टेंडर किया जाएगा। इस प्रक्रिया में लगभग एक महीना लगेगा, और फिर एक वर्ष के भीतर इन टावरों का काम पूरा करने का दावा किया गया है।
परियोजना का पिछला इतिहास भी चिंताजनक
यह उल्लेखनीय है कि आम्रपाली ग्रुप की इस परियोजना में कुल 32 टावर प्रस्तावित थे। वेरोना हाइट्स पैकेज A/B के तहत 4964 फ्लैट और आदर्श आवास योजना के तहत 1906 फ्लैट बनाए जाने थे।
आदर्श आवास योजना के तहत आठ टावरों का काम अगस्त 2020 में वाईएफसी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने शुरू किया था, लेकिन पांच साल बाद भी निर्माण कार्य अधूरा ही है।
खरीदारों के मन में अभी भी कई सवाल
बैठक के बाद भी घर खरीदारों के मन में सवाल जस के तस बने हुए हैं — क्या एनबीसीसी इस बार अपने वादे पर खरा उतरेगी या फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही इस परियोजना की भी हालत आम्रपाली जैसी होगी?
इन सवालों का जवाब तो आने वाला समय ही देगा, लेकिन फिलहाल खरीदारों की पीड़ा और चिंता चरम पर है।