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राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौतीः फर्जी कंपनियां बनाकर जीएसटी का करते थे क्लेम, हजारों करोड़ के राजस्व की पहुंचा चुके हैं हानि

साइबर, आईटी सेल व थाना नोएडा सेक्टर 20 पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गिरोह का हुआ खुलासा, आठ आरोपी पकड़े गए, इनमें एक महिला भी, 2660 कंपनियां फर्जी मिली

नोएडा। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट की थाना सेक्टर-20 की पुलिस और साईबर, आईटी सेल की संयुक्त रूप से की गई कार्रवाई में एक ऐसे गिरोह का खुलासा हुआ है जो फर्जी कंपनियों का गठन कर बिना माल सप्लाई किए ही जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) का क्लेम करता था। यह गिरोह अब तक हजारों करोड़ रुपये के राजस्व का चूना सरकार को लगा चुका है। पुलिस को उम्मीद है कि अभी इस मामले की और अधिक गहराई से जांच होने पर बहुत सारे खुलासे होंगे। पुलिस आगे की जांच में जीएसटी व आयकर विभाग भी शामिल होगा।

 

 

 

क्या है मामला

नोएडा के थाना सेक्टर 20 में मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने गिरोह का खुलासा किया। उन्होंने गिरोह के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहली जून को साइबर, आईटी सेल एवं थाना सेक्टर 20 पुलिस की संयुक्त टीम ने तकनीकी सहायता और लोकल इंटेलिजेन्स, बीट पुलिसिंग के जरिये मिली गोपनीय जानकारी के आधार पर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित बनाकर बिना माल की डिलेवरी किए ही बिल तैयार कर जीएसटी रिफन्ड लेकर गिरोह सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान कर चुका है। संयुक्त टीम ने गिरोह के आठ शातिर अपराधियों  मो0 यासीन शेख, अश्वनी पांडेय को फिल्म सिटी मेन रोड से गिरफ्तार किया। अन्य आरोपियों आकाश सैनी, विशाल, राजीव, अतुल सेंगर, दीपक मुरजानी और दीपक की पत्नी विनीता को दिल्ली के मधु विहार स्थित जीबोलो कम्पनी के कार्यालय से गिरफ्तार किया है।

क्या हुआ इनके पास से बरामद

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इन आरोपियों के कब्जे से 12 लाख 66 हजार रुपये, 2660 फर्जी तैयार की गई जीएसटी फर्मों की सूची, 32 मोबाइल फोन, 24 कम्प्यूटर सिस्टम, चार लैपटॉप, तीन हार्ड डिस्क, 118 फर्जी आधार कार्ड, 140 पैन कार्ड, फर्जी बिल, तीन लग्जरी कारें बरामद हुई हैं। इस मामले में थाना सेक्टर 20 पर इस अपराध से संबंधित मुकदमा अपराध संख्या 0203/2023 भादवि की धारा 420/467/468/471/120बी व मु0अ0सं0 0248/2023 धारा 420/467/468/471/120बी भादवि दर्ज है।

कहां के रहने वाले हैं पकड़े गए आरोपी

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि मो. यासीन शेख (उम्र 38 वर्ष) ए-304 बिल्डिंग 90 ए पीएमजीपी कॉलोनी मानखुड मुम्बई का निवासी है।  आकाश सैनी (उम्र 21 वर्ष) शालीमार गार्डन एक्सटेंशन-2 साहिबाबाद गाजियाबाद का रहने वाला है। विशाल (उम्र 20 वर्ष) बी-4/370 नंद नगरी दिल्ली-93 में रहता था। वह मूल रूप से जयौहरा जिला संतकबीरनगर का निवासी है। राजीव (उम्र 38 वर्ष) आर-113 बुद्ध बिहार फेस-1 दिल्ली का रहने वाला है।  अतुल सेंगर पी-188 कृष्ण विहार दिल्ली में रहता था लेकिन यह मूल रूप से ग्राम अडूक नगला जिला हाथरस का निवासी है। यह करीब उम्र 23 वर्ष का है। दीपक मुरजानी बी-003 एचआईजी झूलेलाल अपार्टमेन्ट पीतमपुरा दिल्ली का रहने वाला है इसकी उम्र करीब 48 साल की है। अश्वनी सेक्टर 71 नोएडा में रहता था। यह मूल रूप से सरकारी स्कूल के पास बेल्थरा रोड बलिया का निवासी है। इसकी उम्र करीब 25 साल की है। विनीता दीपक की पत्नी है यह बी-003 एचआईजी झूलेलाल अपार्टमेन्ट पीतमपुरा दिल्ली में रहती थी। यह करीब 45 वर्ष की है।

कैसे देते थे अपराध को अंजाम

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि पकड़े गए आरोपियों का एक संगठित गिरोह है। यह गिरोह पिछले पांच सालों से फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार कराकर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड कर (ITC इंपुट टैक्स क्रेडिट) हासिल कर लेता था। इसके जरिये यह गिरोह सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचा चुका है। इस प्रकार यह गिरोह राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देने का काम भी कर रहा था।

दो टीम बनाकर करते थे अपराध

उन्होंने बताया कि यह गिरोह फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित बनाकर अनुचित लाभ हासिल करने के लिए दो टीम बनाकर अपराध करता था। पहली टीम फर्जी दस्तावेज, फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेन्ट एग्रीमेन्ट, बिजली बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित तैयार करता था। दूसरी टीम फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को पहली टीम से खरीद कर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड (ITC इंपुट टैक्स क्रेडिट) हासिल कर सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाता था।

गिरोह के सदस्यों के बंटे हुए थे कार्य

पकड़े आठ आरोपियों के बकायदा कार्य बंटे हुए थे। वे अपने काम को बखूबी अंजाम भी दे रहे थे। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि  दीपक मुरजानी यह पहली टीम का मास्टर माइंड है। यही गिरोह को चलाता भी था। यह फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेन्ट एग्रीमेन्ट, बिजली बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित तैयार कराता था। फिर तैयार की गई फर्जी फर्म को बेचने के लिए क्लाइंट (दूसरी टीम) तलाश करने का कार्य करता था। यह फर्म बेचने के मोटे रूपये लिए लेती थी। इन फर्म में फर्जी पैन कार्ड लिंक होता था और उस पैन कार्ड से जीएसटी नम्बर बनाए जाते थे। दूसरा आरोपी मो0 यासीन शेख पहली टीम का प्रमुख सदस्य है। यह फर्म को रजिस्टर्ड कराने की टेक्नोलॉजी और उस फर्म का जीएसटी बनाने की प्रक्रिया से पहले से भली-भांति परिचित है। यह पूर्व में मुम्बई में वेब साइट तैयार करने का काम करता था। यह अपने साथ कुछ युवकों को रखता है। उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित भी करता था। यह जस्ट डायल के माध्यम से डेटा लेकर फर्जी तरीके से फर्म बनाता था। तीसरा आरोपी विशाल पहली टीम का प्रमुख सदस्य है। यह अशिक्षित एवं नशा करने वाले लोगों को रुपयों का लालच देकर एवं भ्रमित कर अपने फर्जी नम्बरों को आधार कार्ड में अपडेट कराने का कार्य करता था। चौथा आरोपी आकाश भी पहली टीम का प्रमुख सदस्य है। यह भी अशिक्षित एवं नशा करने वाले लोगों को रुपयों का लालच देकर और भरमाकर अपने फर्जी नम्बरों को आधार कार्ड में अपडेट कराने का कार्य करता था। पांचवां आरोपी राजीव बिना माल का आदान-प्रदान किए ही अपने सहयोगी अतुल के साथ ऑन डिमान्ड फर्जी बिल तैयार करता था और बेचता था।  अतुल राजीव के कहने पर ही फर्जी बिल तैयार करता था। सातवां आरोपी अश्वनी टीम के प्रमुख सदस्य मो0 यासीन शेख के संपर्क में रहकर फर्जी फर्म के लिए फर्जी बैंक अकाउन्ट खुलवाता था। यह एक खाता खुलवाने का दस हजार रुपये लेता था। पुलिस की अब तक की पूछताछ में इसने विभिन्न बैंकों में चार फर्जी बैंक अकाउन्ट  झमेली चौपाल, जिबोलो, रजनीश झा, और विवेक झा का खुलवा चुका है।

विनिता पहली टीम के मास्टर माइन्ड दीपक मुजमानी की पत्नी है। यह पहली टीम द्वारा तैयार की गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को बेचने और टीम द्वारा संचालित फर्जी फर्म में, फर्जी बिलों को लगाकर जीएसटी रिफन्ड (आईटीसी इंपुट टैक्स क्रेडिट) से होने वाली इन्कम का लेखा-जोखा रखती थी और टीम के सदस्यों का उनका कमीशन और खर्च आदि के प्रबन्ध काम देखती थी।

जस्ट डायल से डाटा क्रय करते थे

उन्होंने बताया कि पकड़े गए आरोपी की पहली टीम सबसे पहले फर्जी फर्म तैयार करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कम्पनी जस्ट डायल के माध्यम से अवैध रूप से डैटा (पैन नम्बर) क्रय करती थी। इसके बाद कालोनियों एवं मोहल्लों को अशिक्षित एवं नशा करने वाले व्यक्तियों को 1000-1500 रुपयों का लालच देकर और भरमाकर उनके आधार कार्ड में पूर्व से एकत्रित किए गए फर्जी मोबाइल सिम नम्बर को रजिस्टर्ड करा लेती थी। इसके बाद यह टीम द्वारा ऑनलाइन रेन्ट एग्रीमेन्ट एवं बिजली बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड कर लेती थी। आरोपियों की पहली टीम द्वारा डाउनलोड की गई रेन्ट एग्रीमेन्ट और बिजली बिल को एडिट कर फर्म का एड्रेस तैयार कर दिया जाता था। पहली टीम अशिक्षित एवं नशा करने वालों लोगों से मिले आधार कार्ड पर अंकित नाम के लोगों को खरीदे गए पैन कार्ड डैटा में सर्च किया जाता था। उदाहरण के लिए जैसे आधार कार्ड में रोहित नाम के डेटा में 80 नाम कॉमन पाए जाते हैं तो ऐसे सभी 80 नामों के पैन कार्ड पर रोहित नाम के आधार कार्ड व अन्य तैयार फर्जी दस्तावेजों को शामिल करते हुए फर्जी फर्म को रजिस्टर करने के लिए और उसका जीएसटी नम्बर रजिस्टर कराने के लिए  reg.gst.gov.in में लॉगिन करते थे। आरोपी जीएसटी पोर्टल में फर्म रजिस्टर करने के लिए लॉगिन करने के दौरान जीएसटी विभाग द्वारा एक वैरिफिकेशन कोड भेजा जाता था, जो कोर्ड आधार कार्ड में खुद आरोपियों द्वारा फिर से कराए गए रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर पहुंचता था। जिसे आरोपियों द्वारा पोर्टल पर डालकर वैरिफाइ कर, 01 फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित रजिस्टर करा ली जाती थी।

उन्होंने बताया कि गिरोह की पहली टीम ऐसी रजिस्टर्ड करी गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को ऑनडिमान्ड 80 से 90 हजार रुपये प्रति फर्म के हिसाब से दूसरी टीम को बेच देती थी। उपलब्ध डाटा के अनुसार प्रथम टीम अब तक करीब 2660 फर्जी जीएसटी फर्म तैयार कर चुकी है।

दूसरी टीम लेती थी रिफंड

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गिरोह की दूसरी टीम खरीदी की गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित का उपयोग बिना माल का आदान-प्रदान किए, तैयार किए गए फर्जी बिलों का फर्म में उपयोग कर भारत सरकार से जीएसटी रिफन्ड करा लेती थी। एक फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित में एक माह में करीब  दो से तीन करोड़ के फर्जी बिलों का उपयोग कर लेती थी। इनमें कुल धनराशि का निर्धारित जीएसटी प्रतिशत का रिफन्ड अवैधानिक रूप से प्राप्त किया जाता था। उन्होंने बताया कि गिरोह की पहली टीम को फर्जी सिम टीम दूसरी ही उपलब्ध कराती थी, जिसका प्रयोग पहली टीम आधार कार्ड में मोबाइल नम्बर अपडेट करने, फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित रजिस्टर करने एवं उनमें लिंक होने वाले खातों में करती थी।

उन्होंने बताया कि गिरोह की पहली टीम आठ फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को उपयोग में ला रही थी, जिनके लिए विभिन्न बैंकों के चार फर्जी खातों  झमेली चौपाल, जिबोलो  रजनीश झा और) विवेक झा का प्रयोग किया जाता था। यह टीम खुद भी फर्जी बिल तैयार कर फर्म में उपयोग करने तथा जीएसटी रिफन्ड (ITC इंपुट टैक्स क्रेडिट) की धनराशि चारों फर्जी खातों के माध्यम से हासिल कर लेती थी। उन्होंने बताया कि गिरोह के सदस्य फर्जी रजिस्टर की गई एक फर्म के माध्यम से एक माह में करीब दो-तीन करोड़ की अनुमानित धनराशि के फर्जी बिलों का उपयोग कर अवैध आर्थिक लाभ हासिल कर लेते थे।

कई आरोपियों की पुलिस कर रही तलाश

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गिरोह की दूसरी टीम के कई आरोपी फरार हो गए हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। उनकी पहचान उन्होंने आंछित गोयल पुत्र प्रदीप गोयल, प्रदीप गोयल, अर्चित, मयूर उर्फ मणि नागपाल, चारू नागपाल, रोहित नागपाल, दीपक सिंघल व इनके अलावा अन्य लोग भी हैं। जिनके बारे में अभी पुलिस को जानकारी नहीं नहीं है। पुलिस को भरोसा है कि पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में इनकी भी जानकारी मिल जाएगी।

मिलते नहीं थे आपस में

उन्होंने बताया कि दोनों टीमों के सदस्य आपस में आमने-सामने (फेस-2-फेस) मुलाकात नहीं करते थे। वे आपस में बात करने के लिए  अधिकांशतः वॉट्सएप कॉलिंग एवं मेल का प्रयोग करते थे। गिरोह दिल्ली में मधु विहार, शाहदरा और पीतमपुरा ऑफिस से चलाया जा रहा था।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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