सीएम बोलेः चार जिलों में ही आती थी बिजली, 71 रहते थे अंधेरे में, आज हर गांव, जिला वीआईपी
बिजली बिल और कलेक्शन एफिशिएंसी को बेहतर करने की है प्रदेश में चुनौती
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली महोत्सव एवं ऊर्जा दिवस के अवसर पर शनिवार को यहां लोकभवन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में 2,723.20 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 17 400/220/132/33 केबी पारेषण, वितरण उपकेंद्रों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि नवलोकर्पित पारेषण, वितरण उपकेंद्रों में रसड़ा (बलिया), बबीना (झांसी), मलवां (फतेहपुर), अयोध्या, अजीजपुर (शाहजहांपुर), दुल्हीपार (संतकबीरनगर), मान्धाता (प्रतापगढ़), बिलोचपुरा (बागपत), मीरगंज (बरेली), कैल्हा (चित्रकूट) और बागपत की जनता को सीधा लाभ मिलेगा।
गौतमबुद्ध नगर जिला भी लाभान्वित
उन्होंने कहा कि नॉलेज पार्क-5, इकोटेक-8 व 10 और जलपुरा, ग्रेटर नोएडा (गौतमबुद्ध नगर), शोहरतगढ़ (सिद्धार्थनगर) में अलग-अलग क्षमता के पारेषण एवं वितरण उपकेंद्रों का शिलान्यास हुआ है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में बीते पांच वर्ष में उत्तर प्रदेश ने ऊर्जा क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। आजादी के बाद एक लाख 21 हजार गांव, मजरों तक कभी बिजली नहीं पहुंची। आज इन गांवों, मजरों में बिजली है। सौभाग्य योजना के माध्यम से हमने 1.43 करोड़ परिवारों को निःशुल्क बिजली कनेक्शन देते हुए हर घर बिजली से रोशन करने का काम किया है।
लोकतंत्र में भेदभाव नहीं होता
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में भेदभाव नहीं होता। सबका एक समान अधिकार होता है। लेकिन इसी प्रदेश में पहले चार जिलों में बिजली आती थी, बाकी 71 जिले अंधेरे में डूबे रहते थे। आज तो हर गांव, हर जनपद वीआईपी है। लोकतंत्र की सुंदरता इसी में है कि हर जरूरतमंद को उसकी अपेक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप सुविधा मिले। हम इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज सभी जिला मुख्यालयों पर 23-24 घंटे बिजली मिल रही है तो तहसील मुख्यालयों पर 20-22 घंटे और गांवों में 18-20 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। जब हमने यह लक्ष्य रखा था तो कुछ लोग कहते थे, कि क्या यह उत्तर प्रदेश में संभव है!! लेकिन हमने यह सम्भव करके दिखाया है।
बचे गांवों में बिजली पहुंचाने का तेजी पर
उन्होंने कहा कि जो कुछ बचे हुए मजरे, गांव हैं, वहां बिजली पहुँचाने का काम तेजी से हो रहा है। हर घर तक बिजली आपूर्ति हो रही है। विद्युत विभाग, पॉवर कॉरपरेशन के सामने एक बड़ी चुनौती है। विद्युत बिलिंग और कलेक्शन एफिशिएंसी को बढ़ाना। इस दिशा में काम किया जा रहा है। बिजली उत्पादन में प्रदेश आत्मनिर्भरता को प्राप्त करे, इस बड़े लक्ष्य के लिए हमने कार्ययोजना बनाई है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम इस लक्ष्य में भी जल्द ही सफल होंगे।
बिजली निर्यात करने में हम सक्षम हुए
कार्यक्रम में ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि बीते पांच वर्ष में 1.43 करोड़ बिजली कनेक्शन देश भर में दिए गए। इनमें आधा हिस्सा अकेले योगी सरकार में दिए गए। बिजली वितरण की चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आज पूरा प्रदेश एक ग्रिड से जुड़ चुका है। आज मध्य प्रदेश बिजली भेजना हो या मेघालय में निर्यात करना हो, हम सक्षम हैं।
उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से वर्ष 2017 तक प्रदेश में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 6000 मेगावॉट की थी। योगी आदित्यनाथ जी के यशस्वी नेतृत्व में 5200 मेगावॉट की क्षमता और बढ़ाई है। यानी 60 साल में जितनी क्षमता थी, उतनी अकेले 05 साल में योगी के नेतृत्व में बढाई जा सकी है। इसके लिए मुख्यमंत्री का अभिनन्दन किया जाना चाहिए।
गर्मी के मौसम में बिजली की अधिक मांग से उपजी चुनौतियों की चर्चा करते हुए विभागीय मंत्री ने बताया कि बीते 10 साल की औसत बिजली मांग से डेढ़ गुना अधिक मांग बीते 03 माह में रही। 10 जून को अभूतपूर्व रूप से 26,512 मेगावॉट की डिमांड रही। बारिश कम होने की वजह से जुलाई में भी ऐसी ही स्थिति बनी रही और 11 जुलाई को 26,504 मेगावॉट बिजली की डिमांड रही। यही नहीं, बीते 10 सालों में पीक सीजन में भी अधिकतम बिजली की मांग 19000 मेगावॉट तक रही थी, लेकिन इस बार मांग ज्यादा रही। इन चुनौतियों के बाद भी प्रदेश में आपूर्ति सामान्य रखी गई। प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री के सहयोग से हमने अतिरिक्त संसाधन तैयार किए। कोयले की व्यवस्था की गई। हमारी उत्पादन इकाइयां जो आमतौर पर 66% पीएलएफ से काम करती थीं इस बार 80% पीएलएफ से उत्पादन किया। नतीजा हम भीषण गर्मी में भी जरूरत के अनुसार जनता की सेवा में पर्याप्त बिजली दे सके।
अरविंद शर्मा ने इस वर्ष भी बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न होने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।
कार्यक्रम में विभागीय राज्य मंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर ने भी अपने विचार रखे। बिजली महोत्सव के इस कार्यक्रम से प्रदेश के सभी 75 जिलों की वर्चुअल सहभागिता भी रही।