झूठे केस में फंसाने के आरोप में अदालत ने मुजरिमों के ख़िलाफ अपनाया सख़्त रुख, कड़ी कार्यवाही के दिए आदेश
नोएडा : आज कल किसी को झूठे केस में फंसाकर उससे ठगी करना बड़ा चलन में है, और इन घटनाओं को बड़े ही प्रोफेशनल ढंग से अंजाम दिया जाता है, वैसे तो अदालतों में ऐसे ठगी के मामलों की लंबी लिस्ट है, पर ताजा मामला दिल्ली से सटे नोएडा का है, एक दंपत्ति के के सहारे झूठे और मनगढंत केस में फंसाकर उनसे पैसे ऐंठने का मामला सामने आया है। मामला कोर्ट में जाने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पांच आरोपियों को तलब करते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
मजिस्ट्रेट ने इस केस में अपनी विवेचना में इस गिरोह में काम करने वाले अभियुक्तों रामकुमार पांडेय, रवि विश्वकर्मा, नितिका सूर्यवंशी, राज किशोर गुप्ता एवं राघव गुप्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा- 120बी, 420, 467, 468, 471 के तहत तलब किया है।
परिवादी और उनकी पत्नी ने अपने परिवाद में बताया है कि आरोपियों ने कंपनी के मालिक को झूठे आरोप में फंसाकर उनसे पैसे ऐंठने के लिए षड्यंत्र रचा था और उनकी पत्नी को पार्टी बनाने के लिए दबाव बनाया था।
कंपनी एवं प्रॉपर्टी के फ्रॉड का मामला
इस मामले में मुख्य आरोपी नितिका सूर्यवंशी ने बुरे इरादों के साथ धोखाधड़ी से फर्ज़ी हस्ताक्षर करके अवैध रूप से 77 प्रतिशत शेयर अपने पति के नाम पर हस्तांतरित कर दिए। यही नहीं, कंपनी के शेयर होल्डर तथा ऋणदाता की सूची से प्रार्थी का का नाम भी हटा दिया। इस संबंध में प्रार्थी ने जब इन आरोपियों से बात कर कानूनी कार्रवाई की बात की तो उल्टे आरोपियों ने जान से मारने व गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
इन्शुरन्स फ्रॉड एवं झूठा मुकदमा
आरोपी राम कुमार पांडेय ने प्रार्थी अमेरिकन प्रीकॉट स्पेशलिटी कंपनी में हेल्थ इन्शुरन्स का फ्रॉड करके 1,60,484 रुपए प्राप्त किए, जिसका पता चलते ही उसे कंपनी से निकाल दिया गया, अब बदला लेने के उद्देश्य से उनके ही खिलाफ झूठा मुक़दमा भी दर्ज कराया।
इन आरोपियों के आर्थिक अपराध का इतिहास पुराना है।
आर के गुप्ता के खिलाफ़ इससे पहले भी सरकार को नकली बुलेट प्रूफ जैकेट्स सप्लाई करने के मामले में आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। आर के गुप्ता ने प्रार्थी से करोड़ों रुपए का लोन लिया और अब उसको वापस करने में आनाकानी कर रहा था, पैसा वापस न आता देख अंत में प्रार्थी ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने आर के गुप्ता पर पांच लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया, साथ ही 24 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ पूरी राशि भुगतान का आदेश दिया जो कि लगभग 10-12 करोड़ है।