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पकड़ा गया साइबर जालसाज : दसवीं पास युवक कर रहा पॉलिसी रिनुअल के नाम पर ठगी

ग्रेटर नोएडा (फेडरल भारत न्यूज) : साइबर कैफे की आड़ में एचडीएफसी फाइनेंस बैंक के पॉलिसी धारकों का डाटा ऑनलाइन डाउनलोड करके पॉलिसी रिनुअल और बंद करने के नाम पर साइबर जालसास को बिसरख थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हरियाणा शिक्षा बोर्ड से दसवीं पास साइबर जालसाज दो साल पहले नोएडा के सेक्टर-2 में स्थित एसएमसी इंश्योरेंस कंपनी में टीएसओ पद पर काम कर चुका है।
डीसीपी ने खोला कच्चा चिट्ठा
बिसरख कोतवाली में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में डीसीपी सेंट्रल जोन शक्ति मोहन अवस्थी ने इस साइबर जालसाज के गुनाहों का कच्चा चिट्ठा खोला। जिन्हें सुनकर मीडिया वाले भी दंग रह गए। 29 साल का यह जालसाज अमित शर्मा हरियाणा के सोनीपत जिले के गन्नौर निवासी ओमप्रकाश का पुत्र है। पुलिस ने उसे मंगलवार को सुबह 8.30 बजे पकड़ा।
कब्जे से क्या क्या मिला?
इस शातिर साइबर ठग अमित शर्मा के पास से पुलिस को एचडीएफसी फाइनेंस कंपनी के पॉलिसी होल्डर्स का डाटा, मोबाइल फोन, नोटबुक, बिलबुक, फोनपे क्यआर कोड, फोनपे स्वैप मशीन, बायोमैट्रिक मशीनें, एक स्टाम मुहर, दीप साइबर कैफे एवं स्टेशनरी, पेन ड्राइव, अलग-अलग पतों के पैनकार्ड, आधार कार्ड, इंडियन इनकम टैक्स, रिटर्न एकनॉलेज फार्म, जीएसटी रजिस्ट्रेशन फार्म, एग्रीमेंट सेल लैटर, विभिन्न लोगों और आईडी कार्ड बरामद किए गए हैं।
कैसे करता था साइबर ठगी का अपराध
?
डीसीपी ने बताया कि इंश्योरेंस कंपनी में काम कर चुका अमित शर्मा साइबर कैफे की ओट में ठगी का असली धंधा करता था। वह एचडीएफसी फाइनेंस बैंक के पॉलिसी धारकों का ऑनलाइन डाटा डाउनलोड करके उनके पॉलिसी नंबर के सामने अंकित फोन नंबरों पर पैड वाले मोबाइल फोनों से सिम बदल-बदल कर फोन मिलाता। फोन करके पॉलिसी धारक का नवीनीकरण बंग कराने के लिए फोन करता था। फिर उनके साथ धोखाधड़ी करके अपने बैंक खातों में फोन पे द्वारा पैसा ट्रांसफर कराकर लाभ कमाता। जबकि इसके पास एसएमसी इंश्योरेंस कंपनी का कोई रजिस्ट्रेशन अथवा फ्रैंचाइजी नहीं थी।
कैसे अपराध की काली दुनिया में हुआ शामिल?
ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की हवस में उसने अंजाम की परवाह किए बिना साइबर जालसाजी में हाथ आजमाने शुरू कर दिया। शुरुआती सफलता ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। दरअसल, नोएडा की जिस एसएमसी इंश्योरेंस कंपनी में पॉलिसी और इंश्योरेंस का काम होता था, उस समय उसका कुराफाती दिमाग सक्रिय हुआ और कंपनी से पॉलिसी धारकों के डाटा को प्रिंट और डाउनलोड करना शुरू कर दिया। पांच साल पुरानी पॉलिसी का डाटा को अभियुक्त कंपनी से छिपाकर लाता था। फिर उन पॉलिसी होल्डरों को फोन करता था, जिनकी पॉलिसी लेप्स हो गई थीं। जब पॉलिसी होल्डर आईडी प्रूफ मांगते वह पहले से गूगल से एचडीएफसी लाइफ के कर्मचारियों की आईडी डाउनलोड करके उन्हें दिखा देता था। लेकिन गलत काम का बुरी नतीजा ही होता है। आखिर उसे सलाकों के पीछे जाना पड़ा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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