90 दिनों से चल रहा दलित सेना का धरना समाप्त : मजदूरों को मिली राहत, नौकरी वापस दिलाने की थी लड़ाई
Noida News : नोएडा के सेक्टर 24 स्थित भारतीय खाद्य निगम (FCI) के दफ्तर के बाहर पिछले 90 दिनों से चल रहा दलित सेना का धरना आज मंगलवार (31 दिसंबर) समाप्त हो गया। यह धरना गोंडा डिपो से 456 मजदूरों की बहाली की मांग को लेकर आयोजित किया गया था। मजदूरों के विरोध प्रदर्शन में भूख हड़ताल पर बैठे कई मजदूरों की उपस्थिति ने इस संघर्ष को और भी गंभीर बना दिया था। आज, इस धरने के खत्म होने की वजह से मजदूरों और उनके परिवारों को एक बड़ी राहत मिली है।
मजदूरों को नौकरी वापस दिलाने की मांग
धरने के अंतिम दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस नाथ इस धरने स्थल पर पहुंचे। उनके साथ भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी भी उपस्थित थे। मजदूरों ने अपनी समस्याएं अधिकारियों और पारस नाथ के सामने रखी। उनका मुख्य मुद्दा यह था कि 456 मजदूरों को गोंडा डिपो से रंगाई और पुताई के काम के दौरान बाहर किया गया था, और उन मजदूरों को फिर से नौकरी पर नहीं लिया गया। इसके बजाय नए कर्मचारियों को उनकी जगह पर नियुक्त कर लिया गया। मजदूरों ने अपनी वापसी की मांग को लेकर लगातार 90 दिनों तक धरना जारी रखा था, जिसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस नाथ ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी समस्या का समाधान जल्द निकाला जाएगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस नाथ ने दिया आश्वासन
पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस नाथ ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और अधिकारियों से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने का अनुरोध किया। उन्होंने मजदूरों को आश्वस्त किया कि उनका संघर्ष व्यर्थ नहीं जाएगा और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। पारस नाथ के आश्वासन पर मजदूरों ने धरना समाप्त करने का फैसला लिया। यह निर्णय मजदूरों के लिए राहत देने वाला था, जो इतने दिनों से सर्दी-गर्मी और अन्य कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।
प्रदेश अध्यक्ष सच्चिदानंद साधु का बयान
दलित सेना के प्रदेश अध्यक्ष सच्चिदानंद साधु ने इस मौके पर कहा, “हम अपनी लड़ाई को मजबूती से लड़े और हमें दलित सेना के हर सदस्य का सहयोग मिला। इस संघर्ष में हम सभी एकजुट थे, और जहां भी मजदूरों पर जुल्म होगा, दलित सेना उनके साथ खड़ी रहेगी। हम अपनी लड़ाई को जारी रखेंगे और मजदूरों के अधिकारों के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।”
धरने का समापन मजदूरों के लिए एक बड़ी जीत
धरने के दौरान कई मजदूर भूख हड़ताल पर बैठे थे, और उनके समर्थन में दलित सेना के कार्यकर्ताओं ने भी आह्वान किया था। पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर उपस्थित थे, लेकिन स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में अधिकारी और नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही। इस धरने का समापन मजदूरों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा सकता है। जहां एक तरफ यह संघर्ष दलित सेना और मजदूरों की एकजुटता की मिसाल बना, वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों द्वारा मजदूरों की समस्याओं पर गौर करने की जरूरत को भी उजागर किया। अब देखना यह है कि पारस नाथ के आश्वासन के बाद यह मामला कितना शीघ्र सुलझता है और मजदूरों को उनके अधिकार मिल पाते हैं या नहीं।