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दिल्ली

पानी के लिए तरसेगी देश की आधी आबादी

संभल जाएं! , कई शहरों में अलर्ट, पानी बचाना ही होगा

नई दिल्ली। भारत में पीने का पानी लगातार एक बड़ी समस्या बनती ही जा रही है। यह समस्या काफी पहले से है लेकिन पानी बचाने के प्रति हम गंभीर नहीं हो पाए हैं। आलम ये है कि आधी आबादी पर पानी नहीं मिलने का खतरा मंडरा रहा है। वर्तमान में 21 शहर, दो सौ ज्यादा जिले और करोड़ों लोग पानी के लिए जूझ रहे हैं। बारिश का पानी स्टोर न कर हम पानी की कमी को और बढ़ा रहे हैं। इजराइल जैसे देश पानी का उपयोग करने से ज्यादा रियूज पर अधिक फोकस कर रहे हैं। भारत को भी इसी दिशा में गंभीरता से सोचना ही होगा।

देश के 773 में से 256 जिलों में पीने के पानी का खतरा मंडरा रहा है। दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई जैसे 21 बड़े शहरों में पीने का पानी बड़ी चुनौती बन गया है। बदलते मौसम का असर भूजल स्तर (ग्राउंड वाटर लेबल) पर भी पड़ा है। वर्ष 2007-2017 के बीच भूजल स्तर 60 प्रतिशत तक गिर गया है जबकि 70 प्रतिशत आबादी भूजल पर ही निर्भर है। पानी संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समय से पहले ही पानी वाला ट्रेन चलाने की नौबत आ गई। आखिर यह इतनी बड़ी समस्या कैसे बन गई तो इसका जवाब हम-आप ही हैं जो किल्लत के बावजूद पानी की बेतहाशा बर्बादी कर रहे हैं। अभी भी संभल नही रहे हैं। 2001 तक प्रति व्यक्ति 1816 क्यूबेक पानी उपलब्ध था जो अब 30 प्रतिशत तक घट गया है। यानी अब हमें एलर्ट होना ही पड़ेगा, पानी बचाना पड़ेगा. इजराइल जैसे देशों से सबक लेना होगा।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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