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अवहेलनाः निजी स्कूल 15 फीसद फीस नहीं कर रहे वापस, दो दर्जन निजी स्कूलों शिकायत की, डीएम को ज्ञापन दिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फीस वापसी का दिया था आदेश, सरकार ने फीस वापसी की जारी की थी अधिसूचना, स्कूल नहीं कर रहे पालन

ग्रेटर नोएडा वेस्ट। शिक्षा कार्यकर्ता व फाउंडर एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन सुखपाल सिंह तूर ने आरोप लगाया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट और शासनादेश के 15 फीसद फीस वापसी आदेश की निजी स्कूल अवहेलना कर रहे हैं। वे फीस वापस नहीं कर रहे हैं। तूर ने करीब दो दर्जन निजी स्कूलों की शिकायत कर जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन भी दिया है।

हाई कोर्ट ने दिया था आदेश

निजी स्कूलों के अभिभावकों को राहत प्रदान करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद अपने आदेश में सभी निजी स्कूलों को कोरोना काल के शैक्षणिक सत्र 2020-21 के दौरान वसूली गई स्कूल फीस की 15 फीसदी राशि लौटाने का आदेश दिया था। इसी आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर सभी निजी स्कूलों को इलाहबाद हाई कोर्ट के आदेशों  अनुपालन करने के लिए अधिसूचना भी जारी की थी।

स्कूलों को जारी हुआ था नोटिस

गौतमबुद्ध नगर जिले में जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी निजी स्कूलों को इस सम्बन्ध में नोटिस भी जारी किया था लेकिन इन सभी तमाम आदेशों और निर्देशों के बावजूद जिले के अधिकांश स्कूल अपनी मनमानी करते हुए अभिभावकों को राहत देने से इंकार कर रहे हैं।

डीएम से मिले

इस सिलसिले में आज सोमवार को अभिभावकों की तरफ से सुखपाल सिंह तूर और मनीष कुमार ने जिलाधिकारी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने जिलाधिकारी से अनुरोध किया कि वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों का अनुपालन कराकर अभिभावकों को राहत प्रदान कराएं। इस ज्ञापन के साथ 210 गूगल फॉर्म का डेटा भी संलग्न है जिसमें लगभग दो दर्जन स्कूलों की शिकायतें हैं।

बैठक भी हुई थी

सुखपाल सिंह तूर, शिक्षा कार्यकर्ता व फाउंडर एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन ने बताया कि बीते रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एकमूर्ति चौंक पर अभिभावकों के साथ एक बैठक की थी। बैठक में सर्वसम्मति से स्कूलों के अड़ियल रवैये का जिलाधिकारी, गौतमबुद्ध नगर से शिकायत करने का फैसला किया गया था। जानकारी इक्कठा करने के लिए अभिभावकों को गूगल फॉर्म भरने के लिए कहा गया। सुखपाल सिंह ने बताया कि चूंकि जिलाधिकारी, जनपदीय शुल्क नियामक समिति, गौतमबुद्ध नगर के अध्यक्ष भी हैं तो उनसे उम्मीद है कि वे जल्द से जल्द इसका संज्ञान लेकर अभिभावकों के हित में फैसला लेंगे।

नोटिस में एक सप्ताह में फीस वापसी का था आदेश

मनीष कुमार, समाजसेवी व नेफोवा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने एक महीने पहले सभी स्कूलों को नोटिस जारी किया था। नोटिस में सभी स्कूलों को एक सप्ताह  भीतर आदेशों का अनुपालन आख्या उपलब्ध कराने को कहा गया था, परन्तु एक महीना बीत जाने के बाद भी स्कूलों ने इस ओर कोई कदम नहीं बढ़ाया है। और तो और अभिभावकों द्वारा इस सन्दर्भ में पूछे जाने पर अधिकांश स्कूल यह कहते हैं कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला। ज्ञापन में जिला विद्यालय निरीक्षक, गौतमबुद्ध नगर द्वारा भेजे गए नोटिस का कड़ाई से अनुपालन कराने का जिलाधिकारी महोदय से निवेदन किया गया है। अभिषेक कुमार, अध्यक्ष, नेफोवा ने बताया के अगले सप्ताह भी अभिभावकों के साथ बैठक करके हालातों की समीक्षा की जाएगी और आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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