मांगः खाद्य पदार्थों को जीएसटी से बाहर करे सरकारःसुशील कुमार जैन
भारत मे आजादी के बाद ऐसा पहली बार बिना ब्रांड वाले खाद्य पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है, अपने फैसले पर पुनर्विचार कर इसे वापस ले सरकार
नोएडा। केंद्र सरकार ने 18 जुलाई से गरीब आदमी के उपयोग में आने वाले नॉन ब्रांडेड उत्पादों आटा, चावल, दूध, दही जैसी वस्तुओ पर जीएसटी लगा दिया है। इस संवध मे नोएडा सेक्टर 18 मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने कहा कि सरकार ने 25 किलो या 25 लीटर से ज्यादा की बिना ब्रांड या बिना लेवल की पैकिंग मे खाद्य पदार्थो पर जीएसटी नहीं लगेगा, ऐसा स्पष्टीकरण देकर खाद्य पदार्थो के होलसेलर्स को कुछ राहत दी है लेकिन 25 किलो से कम की पैक्ड खाद्य पदार्थो पर जीएसटी लागू कर गरीबो के साथ अन्याय किया है।
उन्होंने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि गरीबों की जेब पर यह वोझ वास्तव में असहनीय होगा। क्योंकि इससे महंगाई बढेगी।
कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) 26 जुलाई से जीएसटी के नियम, कानूनों एवं करो की दरों की विसंगतियो को लेकर एक राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत भोपाल से करेगा।
कैट की मांग है जीएसटी को लगे पांच वर्ष हो गए हैं किंतु पांच वर्षो मे लगभग 1146 के आसपास संशोधन हो चुके है। जो अपने-आप मे इस बात का परिचायक है कि जीएसटी को सरल करना आवश्यक हो गया है। जिस कानून मे इतने संशोधन हो चुके हैं वे अपने आप मे इतना जटिल हो चुका है कि उसको पूर्ण समीक्षा के बाद दोबारा से सरल कर लाना आवश्यक है। इस कानून की जटिलताओं से व्यापारियो की प्रताड़ना होती है। इसलिए जिला स्तर पर व्यापारिक संगठनों को कमेटी बनाकर सुझाव लेकर , सरकार एक सरल जीएसटी कानून लाकर, व्यापारियो के साथ न्याय करे।
आजादी के बाद ऐसा पहली बार है, जब बिना ब्रांड वाले खाद्य पदार्थों को जीएसटी के तहत लाया जा रहा है।
सुशील कुमार जैन ने कहा कि लोग ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं कि मामला क्या है। दरअसल अभी तक खाद्यान्न में दो श्रेणियां थीं, ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड। पैकेट बंद ब्रांडेड खाद्यान्न जैसे आटा, मैदा, सूजी, दाल, चावल, गेहूं, पनीर, शहद आदि पर पांच फीसदी जीएसटी देय था। अब इस कड़ी में बदलाव हुआ है। अब नॉन ब्रांडेड पर भी जीएसटी लगेगा।
ब्रांडेड का अर्थ था कि जिस नाम का लेबल लगा है , वह ट्रेडमार्क में रजिस्टर्ड है। लेकिन अब रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है । यदि कोई खाद्यान्न पेकिंग में है , और उस पर किसी भी तरह की पहचान का लेबल है , तो उस पर सीधे पांच फीसदी जीएसटी देय होगा। अभी तक केवल पंजीकृत ब्रांडों पर ही पांच प्रतिशत जीएसटी लगता था। अब सब पर जीएसटी लगेगा।
जैन ने कहा अब नए नियम में प्रयोग किए गए शब्द, प्री पैकेज्ड एवं लेबल्ड को लीगल मैट्रोलॉजी कानून की धारा दो के अनुसार माना जाएगा।
इसमें प्री पैकेज्ड वह है, जिसमें पैकेज सील्ड हो या अनसील्ड, दोनों ही प्री पैकेज्ड माने जाएंगे, यदि वह निर्धारित मात्रा में पैक किए गए हों।
यहां लेबल्ड का अर्थ है किसी पैकेज पर लिखित, अंकित, स्टांप, प्रिंटेड या ग्राफिक मार्का लगा हो। खास बात यह है कि जीएसटी परिषद की घोषणा में पैकिंग के साथ रिटेल शब्द जोड़ा गया था। जबकि हाल के नोटिफिकेशन में लीगल मैट्रोलॉजी नियमावली पर जोर दिया गया है। इसके नियम छह एवं 24 में रिटेल व होलसेल दोनों प्रकार के पैकेज पर लेबल लगाने (स्व घोषणा) की अनिवार्यता है।
व्यापारियों में यह भी भ्रांति फैली है कि केवल 25 किलोग्राम से कम की पैकिंग में खाद्य सामग्री के विक्रय पर ही जीएसटी लगेगा, परंतु जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत जारी नोटिफिकेशन से यह स्पष्ट है कि सभी प्रकार के पैकेज्ड एवं लेबल्ड खाद्य सामग्रियों पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी 18 जुलाई से लागू हो गया है। अधिसूचना में जिस शब्दावली का उपयोग किया है, उसमें प्री-पैकेज्ड एवं लेबल्ड शब्द ही दिए गए हैं,ऐसे में इंडस्ट्रियल व इंस्टिट्यूशनल सप्लाय को छोड़कर अन्य सभी ग्राहकों को किसी भी वजन की पैकिंग में बेचे गए, प्री-पैकेज्ड एवं लेबल्ड फूड ग्रेन्स पर अब 5% की दर से जीएसटी लागू होगा।
यानि कोई भी खाद्य उत्पाद जो किसी भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट, फैक्ट्री, फ्लोर मिल में प्रोसेस हुआ हो उस पर जीएसटी देय होगा।
खुले रूप में बिकने वाले पनीर, शहद, दही, लस्सी, बटर मिल्क, सूखे दाल-दलहन, सूखी अदरक, केसर, सूखी हल्दी, अजवाइन, कड़ीपत्ता व अन्य मसाले, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी व सभी प्रकार के अनाज, राई, जौ, चावल, जई (ओटस), कुटू, मिलेट, केनरी बीज, धान, आटा, मक्का आटा, राई आटा, सूजी, दलिया, आलू का आटा, सभी प्रकार का गुड़, फूला हुआ चावल ,अब जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। इससे महंगाई और भी बढ़ना तय है।
अतः सरकार इस सभी बिंदुयो पर पुनर्विचार करके ऐसे निर्णयो को वापस ले एवं जीएसटी की पूर्ण समीक्षा कर एक सरल जीएसटी लागू करे।