वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी भार समाप्त करने की CONRWA की बैठक में उठी मांग

नोएडा : कन्फेडरेशन ऑफ एनसीआर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (CONRWA) – जो एनसीआर क्षेत्र की विभिन्न आरडब्ल्यूए और नागरिक संघों का शीर्ष प्रतिनिधि संगठन है, ने स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं पर लगाए जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लेकर चिंता व्यक्त की है।
संगठन ने सरकार और जीएसटी परिषद से स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को पूर्णतः छूट देने की मांग की है।
वरिष्ठ नागरिकों पर दोहरी मार
अध्यक्ष पी एस जैन पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि CONRWA का कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा एक आवश्यक सुरक्षा कवच है, परंतु वर्तमान में उस पर 18% जीएसटी लगाया जा रहा है जिससे बीमा प्रीमियम और अधिक महंगा हो जाता है।
चिकित्सा व्यय पहले से ही एक आम आदमी को गरीबी रेखा के नीचे ले जाने का मुख्य कारण बन चुका है। स्वास्थ्य बीमा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, न कि उसे कर भार के कारण अप्राप्य बनाना।
स्वास्थ्य सेवाएं महंगी क्यों हो रही हैं?
हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं को जीएसटी से छूट दी गई है, परंतु इन सेवाओं के लिए अस्पताल जो भी उपकरण व सामग्रियां खरीदते हैं, उन पर जीएसटी लगता है।
लेकिन चूंकि स्वास्थ्य सेवाएं टैक्स मुक्त हैं, अस्पतालों को इन इनपुट टैक्स का क्रेडिट नहीं मिल पाता। इससे सेवा की लागत बढ़ती है और अंततः यह बोझ मरीजों पर आता है।
डायलिसिस जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं पर इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर 12% से 18% तक जीएसटी लगाया जा रहा है।
पेसमेकर, CRT-ICD जैसे उपकरणों पर अतिरिक्त 15,000 से 40,000 रुपये तक का भार बढ़ गया है। CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) भी 5% फ्लैट जीएसटी की सिफारिश कर चुका है जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति हो, जिससे इलाज की लागत घट सके।
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की निष्क्रियता पर सवाल
CONRWA ने एनसीआर कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए हैं। बोर्ड की स्थापना को 40 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन इसके कामकाज का धरातल पर कोई ठोस प्रभाव नहीं दिखता।
बोर्ड के पास 7000 करोड़ से अधिक फंड उपलब्ध है, फिर भी प्रदूषण, ट्रैफिक, जल संकट, शिक्षा, और अन्य बुनियादी समस्याएं जस की तस हैं। 2021-22 के बाद कोई गतिविधि रिपोर्ट प्रकाशित न होना इसकी सुस्ती को दर्शाता है।
चूंकि अब एनसीआर के चारों राज्यों में एक ही दल की सरकार है, इसलिए बोर्ड की कार्यप्रणाली में कोई राजनीतिक बाधा नहीं होनी चाहिए।
CONRWA केंद्र सरकार से मांग करता है कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को सक्रिय और जवाबदेह बनाया जाए ताकि एनसीआर क्षेत्र की 7 करोड़ से अधिक जनता को बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल सके और यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में मजबूत योगदान दे सके।