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हताशाः अलग-अलग मामलों में तीन लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या की, जान देने के कारणों का पता नहीं

पॉमवेली सोसायटी के निवासी आईटी कंपनी के प्रशिक्षक ने फांसी लगाई, मजदूर व महिला ने भी हताशा में अपनी जान दे दी

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा में तीन अलग-अलग मामलों में तीन लोगों ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पॉमवेली सोसायटी निवासी एक आईटी  प्रशिक्षक (ट्रेनर) ने फांसी लगा ली तो एक महिला और एक मजदूर भी फांसी पर लटक गए। किसी भी मामले में पुलिस को न तो कोई सुसाइड नोट मिला है और न ही फिलहाल फांसी लगाकर जान देने के कारणों के बारे में पता लग सका है। पुलिस तीनों ही मामलों की जांच कर रही है।

आईटी प्रशिक्षक ने फांसी लगाई

गांधी मूर्ति पटेल नगर पटना बिहार के मूल निवासी प्रणव कुमार सिन्हा यहां ग्रेटर नोएडा के पामवैली सोसायटी के टॉवर-2 में रहते थे। वह एक आईटी कंपनी में प्रशिक्षक (ट्रेनर) थे। बृहस्पतिवार की सुबह उनके घर एक पड़ोसी किसी काम से गया। उसने उनके घर का दरवाजा खटखटाया। काफी देर खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसी को कुछ शक हुआ। उसने खिडक़ी से झांका और कमरे के अंदर निगाह मारी तो देखा तो प्रणव फांसी पर लटके हुए हैं। पड़ोसी ने तुरंत सोसायटी के मेंटेनेंस कर्मचारियों और बिसरख थाने को यह सूचना दी। पुलिस ने घर का दरवाजा तोडक़र फांसी पर लटके सिन्हा को नीचे उतारा। उनकी जांच करने पर पुलिस ने उन्हें मृत पाया। उनकी मौत हुए कई घंटे बीत चुके थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि सिन्हा ने रात में किसी समय फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और उनके परिजनों को उनके फांसी लगाकर जान देने की सूचना दे दी है। पुलिस को कमरे से फिलहाल कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

झुग्गी में मजदूर ने फांसी लगाई

बिसरख थाना क्षेत्र की चेरी काउंटी सोसाइटी के पीछे झुग्गी में रहने वाले लवकुश पांडेय ने फांसी पर लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। लवकुश बांदा का मूल निवासी थे। यहां कामधाम के सिलसिले में आए थे और यहां झुग्गी में रहकर मजदूरी का काम करते थे। लव-कुश पांडे ने फांसी क्यों लगाई, इसका कारण ज्ञात नहीं हो सका है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

विवाहिता ने हताशा में दे दी जान

ग्रेटर नोएडा के जारचा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ततारपुर गांव में रंजीता (उम्र करीब 26 वर्ष) ने बुधवार की रात में किसी समय फांसी पर लटककर अपनी जान दे दी। रंजीता के फांसी पर लटककर जान देने की जानकारी बृहस्पतिवार की सुबह उसके परिजनों को तब हुई जब उन्होंने रंजीता शव फांसी पर लटके हुए देखा। परिजनों ने तुंरत इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को उतार कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। यहां भी पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।  रंजीता अलीगढ़ की रहने वाली थी। उसका विवाह करीब आठ साल पहले राहुल से हुआ था।

जान देने का कारण पता नहीं

किसी भी मामले में पुलिस या परिजनों को फांसी से लटककर जान देने के मामले में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। इसलिए फांसी पर लटककर जान देने के कारणों के बारे में पता नही चल पाया है। तीनों ही मामले में पुलिस उनके जान देने के कारणों के बारे में पता लगा रही है। ऐसा समझा जाता है कि अपनी परेशानियों और विभिन्न समस्याओं के कारण वे हताशा में थे। इसी हताशा में उन्होंने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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