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ग्रेनो वेस्ट की हवेलिया वालेंसिया होम्स में मेंटिनेस कार्यालय पर कब्जे को लेकर विवाद, बिल्डर ने कराई एओए के खिलाफ एफआइआर

ग्रेटर नोएडा वेस्ट (फेडरल भारत न्यूज) : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हाईराइज सोसाइटियों में मेंटिनेंस को लेकर एसोसिएशन ऑफ अपार्टमेंट आनर्स (एओए) और बिल्डरों के बीच जबरदस्त घमासान की स्थिति है। इस घमासान की वजह मेंटिनेंस के रूप में लाखों रूपये की कमाई है। ताजा मामला ग्रेनो वेस्ट के सेक्टर-1 की हवेलिया वालेंसिया होम्स सोसाइटी का है। सोसाइटी की एओए के स्वयंभू पदाधिकारियों पर जबरन मेंटिनेंस आफिस पर कब्जा करने और सिक्यूरिटी गाडर्स को धमका कर भगाने का गंभीर आरोप है। इस संबंध में तीन दिन पहले हवेलिया बिल्डर्स प्रालि के निदेशक निखिल हवेलिया की ओर से बिसरख थाने में नामजद एफआइआर दर्ज कराई गई है। इस मामले में पुलिस की भूमिका भी पूरी तरह संदिग्ध है और फिलहाल आरोपियों पर कोई कारवाई तक नहीं की गई है।

क्या है मामला
हवेलिया बिल्डर्स प्रालि के निदेशक और हवेलिया वालेंसिया होम्स के भागीदार निखिल हवेलिया की ओर से बिसरथ थाने में दर्ज कराई गई FIR में हवेलिया होम्स के विनय सिंह और उदय शंकर को नामदज किया गया है। इसमें मै. ब्रज सिक्योरिटी के निदेशक की मदद से मेंटिनेंस आफिस पर जबरन कब्जा करने का आरोप है। इन सभी पर गैरकानूनी रूप से सभा करने, आपराधिक साजिश, गुंडागतिविधियां चलाने और दफ्तर पर कब्जा करने के आरोप हैं। आरोपियों पर संस्था के रजिस्टर्ड कार्यालय परिसर और अन्य संपत्ति पर कब्जा करने जैसे गंभीर आरोप हैं।

कौन-कौन सी धाराएं में दर्ज है मामला
आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 61,134, 189, 238, 307 और 333 में मामला दर्ज किया गया है। बीएनएस23 की धारा 333 में हमले की तैयारी के बाद घर या दफ्तर में अतिक्रमण करना, चोट पहुंचाना है, जबकि सेक्शन 307 में अवरोध उत्पन्न करना और चोट पहुंचाना है। आरोप है दफ्तर पर जबरन कब्जा करके कंप्यूटर, लैपटाप और दस्तावेजों के अलावा कार्यालय में रखे 4,58000 रुपये ले जाने का आरोप है।

क्या है विवाद की वजह
दरअसल, इस मामले की जड़ में मेंटिनेंस की कमाई है। जानकारों का कहना है कि इस सोसाइटी की मेंटिनेंस का काम फिलहाल हवेलियो होम्स के बिल्डर्स के पास है। मेंटिनेस के रूप में प्रतिमाह लाखों रुपये इकट्ठा होता है। साथ ही सोसाइटी की सिक्यूरिटी और अन्य दूसरी एम्यूनिटीजी के ठेकेदार से अलग आय होती है। काफी सोसाइटीज में मेंटिनेस का काम एओए के पास है, जबकि कुछ सोसाइटीज में बिल्डर ही करा रहे हैं। यही झगड़े और विवाद की असल वजह है।

पुलिस नहीं कर रही कारवाई
इस मामले में नामजद एफआइआर के तीन दिन बाद भी पुलिस फिलहाल कोई कारवाई नहीं कर रही है। इस मामले की जांच बिसरख थाने के उपनिरीक्षक शिविर सिंह को सौंपी गई है। परंतु अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। उधर, एओए के पदाधिकारियों से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

Mukesh Pandit

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