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नोएडा में JP ग्रुप पर ED का शिकंजा: 12,000 करोड़ की ठगी के मामले में छापेमारी !

नोएडा : 23 मई 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नोएडा स्थित जेपी ग्रुप (Jaypee Group) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में छापेमारी की। यह कार्रवाई लगभग ₹12,000 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़ी है, जिसमें होमबायर्स और निवेशकों के साथ कथित रूप से धोखा किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

छापेमारी के स्थान: ED ने नोएडा और आसपास के क्षेत्रों में जेपी इंफ्राटेक, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड, गौरसंस और अन्य संबंधित संस्थाओं के 15 ठिकानों पर छापेमारी की।

धोखाधड़ी का आरोप: जांच के अनुसार, इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने होमबायर्स और निवेशकों से भारी मात्रा में धन एकत्र किया और उसे अन्यत्र डायवर्ट कर दिया, जिससे परियोजनाएं अधूरी रह गईं और खरीदारों को नुकसान हुआ।

कानूनी कार्रवाई: यह जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की जा रही है, और ED का उद्देश्य वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करना और जिम्मेदार पक्षों को न्याय के कटघरे में लाना है।

यह मामला भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में सामने आए सबसे बड़े धोखाधड़ी मामलों में से एक माना जा रहा है, और इससे जुड़े सभी पक्षों की गतिविधियों की गहन जांच की जा रही है।

17,000 से अधिक खरीदारों पर सबवेंशन स्कीम घोटाले का प्रभाव

सबवेंशन स्कीम घोटाले के चलते 17,000 से अधिक घर खरीदारों को भारी नुकसान हुआ है। इनमें से अधिकांश खरीदारों ने नोएडा स्थित जेपी इंफ्राटेक की परियोजनाओं में निवेश किया था, जो वर्षों से अधूरी पड़ी हैं। इन परियोजनाओं की जिम्मेदारी अब सुरक्षा ग्रुप ने ली है, जिसने 2024 में जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण किया था।

सुरक्षा ग्रुप की धीमी प्रगति और खरीदारों की निराशा

सुरक्षा ग्रुप ने जेपी इंफ्राटेक की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अगले तीन वर्षों में ₹5,500 करोड़ के निवेश की घोषणा की है। हालांकि, खरीदारों का आरोप है कि निर्माण कार्य की गति बेहद धीमी है और कई परियोजनाओं में वादा किए गए समय पर काम शुरू नहीं हुआ है।

इससे पहले, सुरक्षा ग्रुप ने ₹125 करोड़ का निवेश किया था और ₹3,000 करोड़ की ऋण सुविधा भी प्राप्त की थी, लेकिन खरीदारों का कहना है कि इन फंडों का प्रभाव जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है।

प्रदर्शन पर प्रतिबंध और खरीदारों की आवाज़ दबाना

खरीदारों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने की कोशिशों को भी रोका जा रहा है। परियोजनाओं के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, जिससे खरीदारों की आवाज़ दबाई जा रही है। इससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें न्याय की उम्मीद थी।

न्यायिक कार्रवाई और खरीदारों की उम्मीदें

खरीदारों ने सुरक्षा ग्रुप के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने वादे के अनुसार ₹3,000 करोड़ की राशि का उपयोग नहीं किया और निर्माण कार्य में देरी की। इसके अलावा, खरीदारों ने यह भी आरोप लगाया है कि सुरक्षा ग्रुप ने आवश्यक एस्क्रो खातों की स्थापना नहीं की और संरचनात्मक ऑडिट की रिपोर्ट साझा नहीं की।

ईडी की छापेमारी और अन्य बिल्डरों में हलचल

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की इस छापेमारी से अन्य बिल्डरों में भी हलचल मच गई है। इस कार्रवाई ने रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया है। खरीदारों को उम्मीद है कि इस जांच से उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी फंसी हुई पूंजी वापस मिलेगी।

Divya Gupta

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