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ग्रेटर नोएडा में भूखंड हासिल करने लिए आठ दंपतियों ने लिया ‘कागजी तलाक’ यमुना प्राधिकरण ने जांच में पकड़ी करतूत

ग्रेटर नोएडा (फेडरल भारत न्यूज) : धन और अपने निजी लाभ के लिए इंसान किसी भी हद को पार करने के लिए तैयार है, फिर चाहे वह शादी का बंधन ही क्यों न हो। ग्रेटर नोएडा में भी यही हुआ, जहां यमुना विकास प्राधिकरण(यीडा) के प्लाट हासिल करने के लिए आठ दंपत्तियों ने ‘कागजी’ तलाक ले लिया। हालांकि उनकी यह कारस्तानी पकड़ी गई। अब प्राधिकरण की 26 सितंबर यानी गुरुवार को होने वाली बोर्ड बैठक में प्लाटों के निरस्त करने की कारवाई की जा सकती है। आंतरिक जांच में फिलहाल ऐसे कुल 47 मामले सामने आए हैं।
प्राधिकरण की जांच में पकड़े गए 47 मामले
जानकारी के अनुसार, यमुना विकास प्राधिकरण (यीडा) की औद्योगिक भूखंड योजनाओं में कंपनियों के नाम में बदलाव करके कुछ लोगों ने प्लॉट हासिल कर लिया। यह सभी एक ही परिवार के थे, जबकि नियमानुसार एक ही परिवार के लोग प्लॉटों के लिए आवेदन नहीं कर सकते। प्राधिकरण ने जब आवेदन फार्मों की स्क्रूटनी की, तब लगभग 47 मामले पकड़े गए। इनमें आठ ऐसे मामले जांच में पता चले, जिनमें पति-पत्नी ने तलाक के कागजात हासिल करके प्लॉट हासिल किए। जबकि दोनों एक ही छत के नीचे साथ-साथ रह रहे हैं।
प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में होगा फैसला
यीडा के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह के अनुसार, पति-पत्नी होते हुए भी तलाक दिखाकर और अन्य फर्जी तरीके से भूखंड आवंटन के 47 मामले जांच में आए हैं। सभी को 26 सितंबर को होने वाली बोर्ड बैठक में रखकर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्लॉट के आवेदन की दो श्रेणियों में जांच की गई। इनमें एक तो वे लोग थे जिन्होंने तलाक के कागज आवेदन में लगाकर अलग-अलग प्लॉटों के लिए आवेदन किए और आवंटन भी हो गया। बाद में जांच में सामने आया कि यह एक ही पते पर रह रहे हैं।
कंपनी के नामों में बदलाव करके किया आवेदन
प्राधिकरण के अनुसार, दूसरी श्रेणी में व्यक्तिगत या कंपनी के नामों में मामूली फेरबदल किया गया। इस योजना के तहत आवंटित किए गए प्लॉट 4 हजार वर्गमीटर तक के हैं। मामला सामने आने पर एक आवंटी ने प्लॉट सरेंडर भी कर दिया। 46 में से 32 आवंटन ऐसे पाए गए जो 10 परिवारों को हुए थे। 16 आवंटन अलग-अलग नामों से बनी कंपनियों और प्रतिष्ठानों के नाम पर पाए गए।
जांच के लिए बनाई कमेटी
प्लॉटों के मामलों की जांच के लिए यीडा के एसीईओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई थी। अब 26 सितंबर को होने वाली बोर्ड में निर्णय लिया जाएगा कि इनका आवंटन रद्द करना है या बरकरार रखना है। माना जा रहा है जिसकी पात्रता पूरी होगी और दस्तावेज सही होंगे वही प्लॉट के हकदार होंगे।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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