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अनुकरणीयः कैंसर से जूझ रही हैं फिर भी बच्चों को कर रहीं शिक्षित

एमसीटी ज्ञानशाला में बच्चों को नई दिशा देने के लिए गुजरात की समाजसेवी ने हाथ बढ़ाया

ग्रेटर नोएडा। कहते हैं जीवन अनमोल है और ज़िंदा रहना ज़िंदादिली का नाम है। आज लोग कैंसर जैसी बीमारी से घबराते हैं लेकिन समाज में ऐसे भी मिसाल हैं जो बीमारी ग्रस्त रहते हुए भी समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। इसका उदाहरण हैं गुजरात की रेखा बेन डेकिवाडिया।

रेखा बने एक ओर बीमारी को मात देने के लिए संघर्ष कर रहीं हैं और इसी के साथ ही मिसाल पेश करते हुए वह ईएमसीटी के बच्चों के साथ समय बिता रही हैं। वे महीने में एक बार बच्चों को शिक्षित करने के लिए समय देने की ठानी है। शनिवार को ईएमसीटी की ज्ञानशाला में रेखा बेन डेकिवाडिया ने बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही उन्हीं के बीच अपना जन्मदिन मनाया। वे पिछले 35 सालों से समाज सेवा में अपना योगदान दे रही हैं।  उन्होंने हमेशा अपने गरीब मजदूरों के बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दी। गुजरात में उन्होंने केसरिया, नवागढ़ और जेतपुर जैसे गांव और छोटे कस्बों में उन्होंने श्रमिक वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने का काम किया। उन्होंने अपने प्रयासों से एक नया सरकारी स्कूल भी बनवाया।

अपनी सेल्फ रिटायरमेंट लेने के बाद भी वे अपना पूरा ध्यान समाज सेवा और गरीब परिवार पर रखती हैं। आज जब रेखा बेन जब 60 साल पूरे करने जा रही है तो अपने जन्मदिन को ईएमसीटी की ज्ञानशाला में बच्चो के साथ केक और पिज्जा पार्टी की और बच्चों की शिक्षा के लिए अपनी पेंशन से ज्ञानशाला के बच्चों को वाटर कूलर भेंट की।

ज्ञानशाला की संस्थापक रश्मि पाण्डेय ने कहा कि रेखा बेन की ज़िंदादिली को सलाम है जो आज अपने जीवन में इतनी कठिनाइयों का सामना करते हुए भी समाज को समर्पित है और बाक़ी लोगों के लिए एक मिसाल बन रही हैं।

इस अवसर पर सुचित डेकिवाडिया, भूपत भाई, कंगन, वीना ओबेरॉय, विजय ओबेरॉय, आरएस उप्पल, गरिमा श्रीवास्तव, सरिता सिंह, रश्मि पाण्डेय, गौरव चौधरी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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