बढ़ता जा रहा है देश में फ़र्टिलाइज़र का उत्पादनः आरटीआई
समाजसेवी रंजन तोमर को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने दी जानकारी
नोएडा। देश के किसानों द्वारा उपयोग करने के कारण फ़र्टिलाइज़र का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में भारत इसके उत्पादन में जल्द आत्मनिर्भर हो सकेगा। यह जानकारी समाजसेवी रंजन तोमर की एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) से प्राप्त हुई है।
तोमर ने वर्ष 2012 -13 से 2021 -22 तक का उर्वरक उत्पादन का ब्यौरा मांगा था। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने जानकारी दी है की वर्ष 2012 -13 में जहां 374. 94 लाख टन का उत्पादन भारत में हुआ वहीँ 2013 – 14 में यह 380 . 46 टन हो गया। 2014 -15 में 385 . 39 टन, वर्ष 2015 -16 में यह बढ़कर 413 . 14 टन हो गया। जबकि वर्ष 2016 -17 में 414 . 41 उत्पादन रहा। 2017 -18 में 413 . 61 टन, वर्ष 2018 – 19 में 413 . 85 टन, 2019 -20 में यह आंकड़ा 425 . 92 टन रहा। वर्ष 2020 -21 में 433 . 66 टन उत्पादन हुआ। इस वर्ष 2021 – 22 में यह आंकड़ा 435 . 95 मीट्रिक टन हो गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है की उर्वरक उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है और लगातार भारत की बढ़ती उत्पादन क्षमता को दर्शाता है।
क्यों ज़रूरी है फ़र्टिलाइज़र
उर्वरक (फर्टिलाइजर) कृषि उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किए जाते हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो उर्वरक को ही खाद कहते हैं। इसके प्रयोग से पेड़-पौधे जल्दी बड़े होकर फल और अनाज देते हैं। उर्वरक के प्रयोग से पेड़-पोधों में कीड़े नही लगते। अनाज के उत्पादन के लिए उर्वरक (फर्टिलाइजर) का बहुत बड़ा योगदान होता है। भारत विश्व में उर्वरक (फर्टिलाइजर)) का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। पोटाशियम फर्टिलाइजर का पूरी तरह आयात किया जाता है।