जन्मजात हृदय रोग वाले नवजात बच्चों की फोर्टिस अस्पताल बचा रहा जिंदगी, जानिये डॉक्टर शांतनु सिंघल से रोग से बचने के टिप्स
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ग्रेटर नोएडा : हर साल लगभग दो लाख नवजात बच्चों को जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) का सामना करना पड़ता है, जिनमें से अधिकांश का समय पर इलाज न होने पर जीवन भर के लिए विकलांगता और मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रति 1,000 जन्मों पर आठ बच्चों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा में जन्मजात हृदय रोग जागरूकता सप्ताह मनाया गया, जहां विशेषज्ञों ने इस रोग की प्रारंभिक पहचान, मातृ स्वास्थ्य और उन्नत उपचार विकल्पों के महत्व पर जोर दिया है।
फोर्टिस के डॉक्टर शांतनु सिंघल ने उपचार के दिए टिप्स
फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. शांतनु सिंघल ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग के कई लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उन्हें शुरुआती अवस्था में पहचाना नहीं जा सकता। अक्सर बच्चों में थकान, सांस लेने में कठिनाई और शरीर में सूजन जैसे लक्षण नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। ऐसे लक्षणों की पहचान के लिए नियमित इकोकार्डियोग्राफी और नवजात स्क्रीनिंग की सलाह दी जाती है। यदि इन लक्षणों का समय पर निदान किया जाए और उचित इलाज दिया जाए, तो बच्चा स्वस्थ जीवन जी सकता है। डॉ. सिंघल ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान सीएचडी का समय पर निदान और विशेषज्ञ हृदय केंद्रों में रेफ़रल से नवजातों में होने वाली मृत्यु दर और विकलांगता दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
गर्भावस्था में ध्यान रखने योग्य बातें
गर्भवती महिलाओं में कुछ प्रमुख कारक सीएचडी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें धूम्रपान, शराब का सेवन, हानिकारक रसायनों का संपर्क, अनियंत्रित मधुमेह और फोलिक एसिड की कमी शामिल हैं। इसके अलावा, परिवार में सीएचडी का इतिहास, अनुवांशिक समस्याएँ और डाउन सिंड्रोम जैसी स्थितियाँ भी जोखिम बढ़ा सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार, नियमित टीकाकरण, मधुमेह जैसी बीमारियों का प्रबंधन करने, तंबाकू व शराब से परहेज करने और पहली तिमाही में 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
सीएचडी के इलाज के लिए फोर्टिस में है सभी उपकरण
भारत में जन्मजात हृदय रोग के इलाज में सरकारी और निजी अस्पतालों ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। फोर्टिस, ग्रेटर नोएडा में एएसडी, वीएसडी और पीडीए जैसी समस्याओं के लिए उपकरण आधारित उपचार, संकीर्ण वाल्वों के लिए गुब्बारा प्रक्रियाएँ, जटिल हृदय सर्जरी और कंड्यूट निर्माण जैसी उन्नत प्रक्रियाएँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, बाल चिकित्सा हस्तक्षेपात्मक हृदय रोग विज्ञान में भी त्रि-आयामी (3डी) इमेजिंग, उन्नत कार्डियोपल्मोनरी बाईपास तकनीक और आधुनिक पश्च-शल्य चिकित्सा हृदय देखभाल जैसी तकनीकों ने इलाज को और बेहतर किया है।
समय पर इलाज से संभव है स्वस्थ जीवन
जन्मजात हृदय रोग के लिए समय पर जाँच और उचित इलाज से बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं। फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा इस दिशा में जागरूकता फैलाने और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। अगर किसी बच्चे में जन्मजात हृदय रोग के लक्षण दिखते हैं, तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।