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गिरोहः धोखे से एटीएम कार्ड से निकाल लेते थे रुपये, गिरोह के चार सक्रिय सदस्य गिरफ्तार

एटीएम मशीन में पहले लगा देते थे फेवीक्विक, कार्ड फंस जाने पर वहां चिपका देते थे फर्जी हेल्पलाइन नंबर, फिर उस पर बात करने को कहते थे

नोएडा। गौतमबुद्ध नगर थाना एक्सप्रेस-वे की पुलिस और जोनल सर्विलांस टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर एटीएम मशीन में फेवीक्विक लगाकर ग्राहकों के एटीएम कार्ड निकालकर धोखे से उनके रुपये निकालने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनका बकायदा गिरोह भी है। यह गिरोह विभिन्न एटीएम मशीन पर लोगों के रुपये धोखे से निकाल लेने का काम करता था।

कौन हैं पकड़े गए आरोपी

नोएडा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हरीश चंदर ने यहां मीडिया कर्मियों को बताया कि आज शनिवार को थाना एक्सप्रेस-वे पुलिस और जोनल सर्विलांस टीम ने संयुक्त रूप से एटीएम मशीन में फेवीक्विक लगाकर ग्राहकों के एटीएम निकालकर धोखाधड़ी से रुपये निकालने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान प्रशांत निवासी ग्राम रहरूआ डेरा कुटी थाना बहादुरगढ़ जिला हापुड़ वर्तमान पता शर्मा जी का मकान नियर होली चौक गिझौड सेक्टर-53 नोएडा, आदित्य निवासी मोहल्ला बीबीगंज थाना फर्रूखाबाद जिला फर्रूखाबाद वर्तमान पता चोटपुर कालोनी छिजारसी सेक्टर-63 नोएडा, पवन निवासी ग्राम अर्जुनपुर थाना गवाना जिला अलीगढ़ वर्तमान पता बनवारी लाल चौहान का मकान नियर शिव मंदिर ग्राम गिझोड़ नोएडा और गौरव यादव निवासी ग्राम पिथपुरा थाना धौलाना जिला हापुड़ वर्तमान निवासी चोटपुर कालोनी छिजारसी से. -63 नोएडा के रूप में हुई है।

क्या है मामला

उन्होंने बताया कि आरोपियों ने 6 जून को ग्राम वाजिदपुर में पीएनबी एटीएम में धोखे से ग्राहक के रुपये निकाले थे। इस मामले में पीड़ित ने एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी और आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए थे।

कैसे अपराध को देते थे

उन्होंने बताया कि आरोपियों का एक संगठित गिरोह है। यह गिरोह विभिन्न एटीएम घरों जाकर एटीएम मशीन में पहले फेवीक्विक लगा देते थे। एटीएम मशीन पर एक फर्जी हेल्पलाइन नंबर लिखकर चिपका देते थे। वह इन्हीं के पास होता था। जब कोई ग्राहक एटीएम मशीन से रुपये निकालने जाता था तो एटीएम मशीन में फेवीक्विक लगे होने के कारण कार्ड मशीन में ही चिपक जाता था। तभी इस गिरोह का दूसरा साथी अपने गले में बैंक का फर्जी आईडी कार्ड डालकर आ जाता था। वह ग्राहक का पिन डालकर दोबारा प्रयास करने को कहता था और चुपके से उसका पिन नोट कर लेता था। फिर उस ग्राहक को फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने को कहता था। उस पर इसी गिरोह का तीसरा साथी उस ग्राहक को 3-4 घंटे के बाद कार्ड ले जाने को कहता था। फिर ये उस ग्राहक का एटीएम कार्ड मशीन से निकालकर अन्य एटीएम में जाकर पिन डालकर रुपये निकाल लेते थे।

जिले में कई स्थानों पर कर चुके हैं वारदात

उन्होंने बताया कि पकड़े गए आरोपी जिले में इस प्रकार की कई वारदात कर लोगों को धोखा देकर उनके रुपये निकाल चुके हैं। इनके खिलाफ विभिन्न थानों में आधा दर्जन से अधिक मुकदमें दर्ज हैं। उनमें पुलिस इनकी तलाश कर रही थी।

क्या हुआ इनके पास से बरामद

उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन, फर्जी आईडी कार्ड, अवैध शस्त्र, विभिन्न ग्राहकों के चोरी किए एटीएम कार्ड, फेवीक्विक, फर्जी हेल्पलाइन नंबर की पर्चियां बरामद हुई हैं।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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