फसलों को कोहरे से बचाने के लिए गौतमबुद्धनगर प्रशासन की पहल, इन उपायों से नहीं होगा फसल को नुकसान
नोएडा : फसलों को कोहरे से बचाने के लिए गौतमबुद्धनगर प्रशासन ने एक अच्छी पहल की है। किसानों को नुकसान से बचने के लिए प्रशासन ने एडवाइजरी जारी की है।
जिला उद्यान अधिकारी गौतमबुद्धनगर शिवानी तोमर ने बताया कि प्रदेश में आलू, आम, केले की फसलों की गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए रोगों को समय से नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मौसम विभाग द्वारा प्रदेश में तापमान में गिरावट और कोहरे से फसल को नुकसान नहीं हो, इसके लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गयी है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 6 लाख हेक्टेयर आलू अच्छादन सम्भावित है। वातावरण में तापमान में गिरावट एवं बूंदा-बांदी की स्थिति में आलू की फसल पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है। प्रतिकूल मौसम विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है तथा फसल को भारी क्षति पहुँचती है। पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं, जो तीव्रगति से फैलती हैं।भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनने से पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है।
आलू की फसल को अगेती व पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए जिंक मैगनीज कार्बामेट दो से ढाई किग्रा अथवा मैंकोजेब दो से ढाई किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाये तथा माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में नियंत्रण के लिए दूसरे छिड़काव में फफॅूदीनाशक के साथ कीट नाशक जैसे डायमेथोएट एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। जिन खेतों में पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप हो गया हो, ऐसी स्थिति में रोकथाम के लिये अन्तःग्राही (सिस्टेमिक) फफूंद नाशक मेटोलेक्जिल युक्त रसायन 2.5 किग्रा अथवा साईमोक्जेनिल फफूंदनाशक युक्त रसायन तीन किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए गुजिया कीट (मैंगो मिलीबग) से बचाया जाना अत्यन्त आवश्यक है। इस कीट से आम की फसल को काफी क्षति पहुँचती है। इसके शिशु कीट (निम्फ) को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए माह दिसम्बर में आम के पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 30-50 सेमी की ऊँचाई पर चार हज़ार गज़ की पालीथीन शीट की 25 सेमी चैड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध कर पॉलिथीन शीट के ऊपरी व निचली हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए। अधिक प्रकोप की दशा में यदि कीट पेड़ों पर चढ़ जाते हैं तो ऐसी स्थिति में कारबोसल्फान अथवा डायमेथोएट दो मिली दवा को प्रति ली पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
प्रदेश में तराई क्षेत्रों में केला की खेती व्यवसायिक स्तर पर तेजी से की जा रही है। वातावरण में पाला पड़ने के कारण केले की फसल को काफी नुकसान पहुँचता है। इसी प्रकार अन्य सब्जियाँ यथा-मिर्च, टमाटर, मटर आदि फसलों पर भी कम तापमान एवं कोहरी, पाला एवं बूंदा-बांदी से भारी नुकसान पहुँचता है। ऐसी स्थिति में किसानों को सलाह दी जाती है कि फसल को पाले से बचाएँ तथा आवश्यकतानुसार फसलों में नमी बनाये रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई की जाय। पौधशाला के छोटे पौधों को पाले, कोहरे से बचाये जाने के लिए उद्यानों को पॉलिथीन अथवा टाट से ढंकना चाहिए।