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सफाई दीः पूर्व डीजीपी के बेटी को गिफ्ट में मिली कोठी चर्चा में आई, देनी पड़ी सफाई

कोठी गिफ्ट करने वाली महिला अरुणा मोहन ने दो पेज का एफिडेविट जारी की है जिसमें कोठी गिफ्ट करने का कारण बताया गया है

नोएडा। उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहे डॉ.डीएस चौहान और  उनकी पत्नी केंद्र सरकार में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) सचिव राधा चौहान की बेटी अंशुला को गिफ्ट में मिली बेशकीमती कोठी चर्चा में आ गई है। यह कोठी नोएडा के सेक्टर 15ए के प्लॉट नंबर 109 पर 200 वर्ग मीटर में बनी है। इस पर कोठी को गिफ्ट करने वाली महिला अरुणा मोहन ने बकायदा एफिडेविट के जरिये कोठी गिफ्ट करने के कारण बताए हैं।

कोठी गिफ्ट करने के ये कारण बताए

अंशुला को बेशकीमती कोठी गिफ्ट करने वाली महिला अरुणा मोहन ने एफिडेविट में कहा है कि, ‘मेरे पति 1963 बैच के सम्मानित आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अफसर रहे हैं। हमारा अंशुला से गहरा लगाव उसी वक्त से है, जब वह मात्र तीन साल की थी। उसके पिता डीएस चौहान 1998 में नोएडा के एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) थे। हमने उसको (अंशुला को) बड़ा होते देखा है। वह हमारे नोएडा में रहने के दौरान परिवार का अभिन्न हिस्सा बनी थी। अंशुला ने हमेशा मेरा ख्याल रखा। कोविड के दौरान मेरी ग्रैंड चाइल्ड (पोती/नातिन) की तरह मेरा ख्याल रखा।’

उन्होंने कहा है कि आज मैं 81 वर्ष की हूं। अंशुला मेरे लिए नातिन के समान है। जब भी मुझे जरूरत थी अंशुला ने मेरी देखभाल की है। आज 81 वर्ष की उम्र में मेरे पति की नौकरी से जो पेंशन मिलती है वो मेरे जीवन-यापन के लिए काफी है।

अरुणा मोहन ने लिखा कि, मैं अपनी इसी कोठी में अंशुला के साथ रहती हूं जिसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। खून के रिश्ते से ज्यादा दिल के रिश्ते मजबूत होते हैं, यह लोगों को समझना चाहिए।

ये भी कारण बताया

`पति की मौत के बाद मेरे कोई संतान नहीं होने के कारण परिवार के अन्य लोगों के द्वारा कोठी कब्जा करने की भी कोशिश की जाने लगी थी।‘

अंशुला कर रहीं पढ़ाई

अंशुला चौहान ने स्नातक की पढ़ाई की है। वे अब मास्टर्स की डिग्री के लिए पढ़ाई कर रही हैं।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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