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गोमती रिवरफ्रंट घोटालाः शिवपाल व तीन वरिष्ठ वरिष्ठ अधिकारियों की बढ़ने वाली है मुसीबत!

सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में शिवपाल व अधिकारियों से पूछताछ के लिए मांगी अनुमति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा और रामपुर व खतौली विधानसभा उपचुनाव के बीच समाजवादी नेता शिवपाल यादव समेत तीन वरिष्ठ आईएसएस अधिकारियों की मुसीबत बढ़ने वाली है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वर्ष 2012 से 2017 के बीच हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव,  भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन  वरिष्ठ  अधिकारियों से पूछताछ के लिए सीबीआई ने अनुमति मांगी है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषक ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी।

कई इंजीनियर जा चुके हैं जेल

गोमती रिवरफ्रंट योजना प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। इस परियोजना में 1438 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 500 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला होना माना जा रहा है। सपा सरकार के समय में इसकी काफी चर्चा हुई थी। लेकिन तब चूंकि सरकार ही सपा की थी तब यह मामला ढका-छिपा था। किसी ने इसकी जांच या चर्चा करने में कोई रुचि नहीं ली थई। लेकिन 2017 में सपा सरकार के जाने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच शुरू की गई थी। प्रारंभिक जांच के बाद इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। प्रारंभिक जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद इस परियोजना से जुड़े एक दर्जन से अधिक इंजीनियरों और ठेकेदारों को जेल भेज दिया गया था।

सीबीआई शिवपाल से करना चाहती है पूछताछ 

सीबीआई तत्कालीन सिंचाई मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव और परियोजना से जुड़े तीन वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती है। सीबीआई इस मामले में सरकार से नियमों के अनुसार पूछताछ की अनुमति मांगी है। सीबीआई का तर्क है कि शिवपाल और अधिकारियों से पूछताछ के बाद वह अपनी जांच आगे बढ़ाएगी। ये इस मामले की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। सीबीआई के अनुमति मांगने के साथ ही राज्य सरकार ने सिंचाई विभाग से संबंधित रिकार्ड तलब कर लिया है। इसी के आधार पर सीबीआई की पूछताछ के मामले में फैसला किया जाएगा। सीबीआई को पूछताछ की अनुमति मिलने की पूरी उम्मीद है।

पहले न्यायिक जांच हुई थी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार में आते ही अपने पहले कार्यकाल के दौरान मामले की न्यायिक जांच कराई थी। इसमें भारी घपले की पुष्टि हुई थी। फिर मामले की जांच के लिए सीबीआई के हवाले कर दिया गया था।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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