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ग्रैप-वन बना मखौल : नोएडा सिटी सेंटर के पास खुले में डाला जा रहा तोड़े गए मकान का डस्ट और मार्बल

नोएडा (फेडरल भारत न्यूज) दहशरे के दिल्ली-नोएडा की आबोहवा अचानक खराब होने लगती है, जो सिलसिला दीपावली के बाद तक चलता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब होने के कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो दिन पहले नोएडा में पहले स्तर का ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान(ग्रैप) लागू किया था। इसका निर्णय कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) की बैठक में लिया गया था। इन तमाम प्रयासों पर प्राधिकरण के लापरवाह अधिकारी पानी फेर रहे हैं। चेकिंग के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। कहीं सड़कों पर कूड़ा-कचरा है तो कहीं मलबा डालकर धूल उड़ाई जा रही है।
सड़कों पर मलबे के ढेर
नोएडा सिटी सेंटर के पास खुले में मकान का डस्ट और मार्बल के टुकड़े फेंके जा रहे हैं। इससे प्रदूषण फैलने में मदद मिल रही है। इसी तरह सेक्टर 75 में बने क्लब 75 की चारों ओर की सड़क बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। क्लब के एक साइड में खुले में मलबे-कचरे के ढेर लगे हैं। जहां दिनभर मिट्टी हवा में उड़कर जहर घोलने का काम कर रही है। क्लब 75 से स्पेक्ट्रम मॉल की ओर आने वाली सड़क में जगह-जगह गड्ढे हैं। यहां यातायात काफी है। जिससे हवा में मिट्टी मिलकर प्रदूषण की वजह बढ़ रही है।
दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर
नोएडा शहर का एक्यूआइ200 के पार पहुंच चुका है। ग्रैप का पहला स्तर लागू होने के बाद दावा किया गया कि जांच के लिए प्राधिकरण की 14 टीमें गठित की गई हैं। लेकिन यह टीमें कहां जा रही हैं और किसी स्थल का निरीक्षण कर रही हैं, इसकी बानगी देखिए तो पता चलता है कि जमीन पर टीमें काम नहीं कर रही है। जुर्माने की कारवाई की नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। इस लापरवाही के लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार है। फिलहाल ग्रैप लागू होने के बाद जनरेटर पर रोक लगाई गई है। होटलों में तंदूर बैन कर दिए गए हैं। जरा प्राधिकरण के अफसर मामूरा के सेक्टर 61 और सेक्टर 59 मेट्रो स्टेशन के आसपास भी जाकर चेक करें। कैसे इन स्थानों पर ग्रैप का मखौल बनाकर रखा दिया गया है।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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