उत्तर प्रदेशगौतम बुद्ध नगरग्रेटर नोएडानोएडानोएडा वेस्टराजनीति

Greater Noida Hindi News: संयुक्त मोर्चा बनाकर 18 जुलाई को शुरू करेंगे आंदोलन, विपक्षी पार्टियां देंगी समर्थन

प्रेस कांफ्रेस में किसान नेताओं ने कहा, सपा, कांग्रेस, रालोद, आसपा, माकपा व सभी किसान संगठनों ने किया है समर्थन देने का ऐलान

ग्रेटर नोएडा। अखिल भारतीय किसान सभा ने 18 जुलाई को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Greater Noida Industrial Development Authority) के विरुद्ध संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। किसान नेताओं ने कहा कि किसानों के आंदोलन को समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), आजाद समाजवादी पार्टी (आसपा), कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (माकपा) एवं गौतमबुद्ध नगर जिले में सक्रिय सभी किसान संगठनों ने 18 जुलाई के आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का किया ऐलान किया है।

 

पांच महीने से कर रहे थे आंदोलन

किसान सभा के प्रवक्ता डॉ.रुपेश वर्मा ने मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि किसान सभा ने किसानों के मुद्दों पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विरुद्ध 7 फरवरी 2023 को अपना आंदोलन शुरू किया था। इसके क्रम में किसान सभा ने 7 मार्च, 14 मार्च 23 मार्च को एक-एक दिन का हजारों की संख्या में प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन में हजारों किसान शामिल हुए थे। इनमें महिलाओं की भी अच्छी खासी तादात थी। 23 मार्च तक कोई नतीजा नहीं निकलने पर किसान सभा ने 25 अप्रैल से रात-दिन का धरना शुरू करने का फैसला किया था। 25 अप्रैल को किसान सभा ने रात दिन का धरना शुरू किया। इसमें 6 जून तक प्राधिकरण के अधिकारी किसानों के 10% प्लाट एवं अन्य बड़े मुद्दों पर ठोस कदम उठाने में आनाकानी करते रहे। 6 जून को प्राधिकरण के अधिकारियों ने पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर शांतिपूर्ण किसानों के धरना-प्रदर्शन को जबरन समाप्त करने के मकसद से रात के वक्त 33 किसानों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के विरोध में सैकड़ों किसान पुलिस लाइन का घेराव करने पहुंचे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज कर दिया। इस खबर को सुनकर सभी किसान संगठन एवं विपक्षी पार्टियों ने किसान सभा को अपना समर्थन देने की घोषणा की। किसान सभा ने अन्य सभी किसान संगठनों के साथ मिलकर 7 जून से धरनास्थल पर पुनः कब्जा कर लिया। इससे पुलिस और प्राधिकरण की योजना ध्वस्त हो गई। मजबूरन दादरी विधायक तेजपाल नागर को बीच में लाकर किसानों के साथ बातचीत शुरू की गई। बातचीत बीच में ही फेल हो गई। इसके बाद 16 जून से बातचीत में राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर को उतारा गया। सुरेंद्र नागर की मध्यस्थता में किसानों ने अपने अनुसार लिखित ड्राफ्ट तैयार कराया जिसमें शासन स्तर से औद्योगिक विकास मंत्री की अध्यक्षता में चेयरमैन ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, सीईओ औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास दादरी विधायक जेवर विधायक सांसद महेश शर्मा सांसद सुरेंद्र नागर एवं किसानों के प्रतिनिधियों को सदस्य के तौर पर शामिल करते हुए 30 जून तक नोटिफिकेशन करते हुए किसानों के सभी बड़े मुद्दों पर 15 जुलाई तक फैसला लेने के लिए अधिकृत करते हुए हाई पॉवर कमेटी के गठन का लिखित आश्वासन दिया गया। समझौता पत्र पर एसीईओ आनंद वर्धन ने साइन किए थे। फैसले के वक्त किसान सभा ने स्पष्ट तौर पर सांसद सुरेंद्र नागर को बताया कि हमें पुलिस प्रशासन और प्राधिकरण पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। यदि आप जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं तो हम आप पर भरोसा करने को तैयार हैं। इसी बातचीत के क्रम में सुरेंद्र नागर ने जेल में बंद 33 किसानों की रिहाई के बाद धरना स्थल पर आकर समझौते को लागू कराने के बारे में धरना स्थल पर उपस्थित सैकड़ों किसानों को आश्वासन दिया था।

वादा खिलाफी का आरोप

किसान नेताओं ने प्राधिकरण और सरकार पर  लिखित समझौते का उल्लंघन करते हुए वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि किसानों के साथ धोखाधड़ी करते हुए हाईपॉवर  कमेटी के गठन से इनकार कर दिया। इस संबंध में प्राधिकरण ने शासन द्वारा प्रेषित पत्र 6 जुलाई को किसान सभा को उपलब्ध कराया। अगले ही दिन 7 जुलाई को किसान सभा ने अपनी बैठक बुलाकर 18 जुलाई से आंदोलन की घोषणा कर दी।

विपक्षी पार्टियों की भूमिका उल्लेखनीय

किसान सभा के इस पूरे संघर्ष में अन्य किसान संगठनों एवं विपक्षी पार्टियों ने अत्यंत उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को पूरी ताकत के साथ प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का मोर्चा शुरू होगा। 18 जुलाई तक प्राधिकरण सरकार एवं राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर के पास पूरा मौका है कि वह किसानों के साथ किए गए समझौते का पालन करें अन्यथा सरकार और भाजपा को किसानों के साथ किए गए धोखे की राजनीतिक कीमत 2024 के लोकसभा चुनाव में चुकानी पड़ेगी। किसान सभा ने इस आंदोलन को शुरू करते वक्त यह फैसला लिया था कि आंदोलन को लगातार तब तक चलाया जाएगा जब तक की मुद्दों को हल नहीं कर लिया जाता। इसी क्रम में आज तक किसान सभा के आंदोलन को पूरे 5 महीने गुजर चुके हैं। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आजाद समाज पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी, लोकदल, अखिल भारतीय महिला समिति, सीटू, भारतीय वीर दल किसान यूनियन अंबावता, किसान यूनियन अजगर, किसान यूनियन लोक शक्ति, किसान यूनियन बलराज, भारतीय किसान परिषद, किसान एकता संघ एवं किसान एवं सामाजिक संगठन यह संदेश देना चाहते हैं कि किसानों के मसले पर सारे किसान संगठन एकजुट हैं। किसान विरोधी प्राधिकरण और किसान विरोधी सरकारी नीतियों के विरुद्ध जमकर लड़ने को तैयार हैं।

ये लोग थे मौजूद

समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी, राष्ट्रीय लोकदल के जिला अध्यक्ष जनार्दन भाटी, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष दीपक चोटीवाला, किसान यूनियन अंबावता के बृजेश और विकास किसान यूनियन अजगर के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरवीर नागर और प्रवक्ता नरेश चपरगढ़, किसान यूनियन बलराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराज भाटी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी एवं सीटू के नेता कॉमरेड गंगेश्वर दत्त शर्मा, महिला समिति की नेता आशा यादव, किसान यूनियन लोक शक्ति के नेता मास्टर श्योराज सिंह, किसान एकता संघ के नेता सौरन प्रधान प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल थे। उन्होंने ऐलान किया कि सभी किसान संगठन और विपक्षी पार्टियां ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विरुद्ध जमकर लड़ने को तैयार हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा  यमुना प्राधिकरण एक ही कानून के तहत स्थापित संस्थाएं हैं। तीनों प्राधिकरणों के लिए बनने वाली नीतियां भी एक जैसी होती हैं। 10 परसेंट का मुद्दा तीनों प्राधिकरणों में समान रूप से लागू होना है इसलिए सभी संगठन एक साथ मिलकर प्राधिकरण के विरुद्ध आंदोलन करने को तैयार हैं।

दिल्ली जैसा आंदोलन की जरूरत

किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि इन मुद्दों पर एकजुटता और संयुक्त मोर्चे की अत्यंत आवश्यकता है। दिल्ली आंदोलन से सबक लेकर हम अपने जिले में इस चीज को लागू कर रहे हैं। विपक्षी राजनीतिक पार्टियों की किसानों के मुद्दों को हल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका है। प्राधिकरण और सरकार किसान विरोधी नीतियां बना रहे हैं और किसानों के पूर्व में समझौते से पीछे हटकर वादाखिलाफी कर रहे हैं। इसके विरोध में पूरे क्षेत्र में आक्रोश है। 24 जून को किए गए समझौते अभी ताजे हैं। उसने यह बात दोबारा रेखांकित कर दी है कि प्राधिकरण के लिए धोखाधड़ी और वादाखिलाफी बच्चों का खेल है इसलिए आज प्राधिकरण और किसानों के बीच विश्वास की गहरी खाई पैदा हो गई है जिसे जल्दी से पाटना तभी संभव है जब प्राधिकरण के अधिकारी इमानदारी से किसानों के मुद्दों को हल करें। किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि किसान सभा ने अपनी लड़ाई आर-पार के मूड से शुरू की है जीत कर ही दम लिया जाएगा। किसान सभा ने आंदोलन केवल स्थगित किया था और प्राधिकरण सरकार और सांसद को मौका दिया था कि वह अपनी कहीं बात पर अमल करें पुलिस प्रशासन प्राधिकरण सरकार और सांसद सुरेंद्र नागर अपने वादे के अनुसार 18 जुलाई तक कार्य करें अन्यथा झूठ बोलने वादा खिलाफी करने की कीमत चुकाने को तैयार रहें। कांग्रेस नेता दीपक चोटीवाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के मुद्दों पर किसान सभा के आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने को तैयार है। आवश्यकतानुसार शीर्ष नेतृत्व को आंदोलन में शामिल किया जाएगा। समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी ने कहा कि हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी है। हम अपना कर्तव्य पूर्व की भांति निभाते रहेंगे। आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी आंदोलन में शामिल करेंगे। रालोद के जिला अध्यक्ष जनार्दन जनार्दन भाटी ने कहा कि जयंत चौधरी को लगातार आंदोलन के बारे में अवगत कराते रहे हैं। आगे भी कराते रहेंगे। जयंत चौधरी को आंदोलन में ले करके आएंगे। आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष दिनेश गौतम ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण गरीबों किसानों के लिए लगातार लड़ाई लड़ते रहे हैं। आगे भी लड़ते रहेंगे। दो बार किसान आंदोलन में ग्रेटर नोएडा आ चुके हैं आवश्यकता पड़ने पर आगे भी आएंगे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी गरीबों दलितों मजदूरों किसानों की पार्टी है। हमारी पार्टी खुले तौर पर गरीबों की पार्टी होने का ऐलान करती है हमारी पार्टी और हमारा मजदूर संगठन सीटू किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ता रहा है आगे भी लड़ता रहेगा। किसान यूनियन अंबावता के नेता विकास और बृजेश ने कहा कि किसान यूनियन अंबावता 7 फरवरी से ही किसान सभा के आंदोलन में साथ रही है आगे भी साथ रहेगी। किसान यूनियन के नेता हरवीर नागर और नरेश चपरगढ़ ने ऐलान करते हुए कहा कि हम प्राधिकरण और सरकार के झूठे वादों से तंग आ चुके हैं पूरे जिले का किसान एकजुट है और आगे भी एकजुट होकर संघर्ष करता रहेगा। किसान यूनियन बलराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराज भाटी ने कहा कि हम जेल में भी किसान नेताओं से मिलकर आए थे। 33 किसानों की गिरफ्तारी के बाद भी धरनास्थल पर किसान यूनियन बलराज बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही। 18 जुलाई के आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगी। किसान यूनियन लोक शक्ति के नेता मास्टर श्योराज सिंह ने कहा कि अबकी बार लड़ाई आर-पार की चल रही है। अफसरों को हमारी साफ चेतावनी है कि किसानों के 10% प्लाट सहित अन्य सभी प्रमुख मुद्दों को तुरंत हल कर दें अन्यथा सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे। किसान एकता संघ के नेता सोरन प्रधान ने कहा कि हमारी यूनियन सभी यूनियनों के साथ मिलकर आगे बढ़ने को तैयार है। किसान सभा के 18 जुलाई के आंदोलन में हम संयुक्त मोर्चा बनाकर हिस्सेदारी करने को तैयार हैं। भारतीय वीर दल ने कहा कि हमेशा की तरह हम किसान सभा के आंदोलन में साथ खड़े रहेंगे। महिला समिति की नेता आशा यादव ने कहा कि हजारों महिलाएं आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। ऐतिहासिक तौर पर महिलाओं ने इस आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई है आंदोलन को महिलाओं ने अपने कंधों पर उठा लिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में गवरी मुखिया सूबेदार ब्रह्मपाल निशांत रावल जगबीर नंबरदार हरेंद्र खारी नरेंद्र भाटी महाराज सिंह प्रधान प्रकाश प्रधान अजय पाल भाटी प्रशांत भाटी अजब सिंह नेताजी मोहित भाटी संदीप भाटी सतीश यादव सुरेश यादव यतेंद्र मैनेजर पप्पू प्रधान सुशील सुनपुरा मुकेश खेड़ी निरंकार प्रधान किसान सभा के अन्य नेता कार्यकर्ता पार्टियों एवं अन्य किसान यूनियनों संगठनों के नेता कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Related Articles

Back to top button
Close