दिलाया भरोसाः डेयरी सेक्टर के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के भारत देगा योगदान
केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन के समापन अवसर पर विश्व समुदाय को दिलाया भरोसा
ग्रेटर नोएडा। केन्द्र सरकार ने विश्व समुदाय को भरोसा दिलाया है कि भारत कृषि, डेयरी एवं उत्सर्जन की वजह से पर्यावरण पर विपरीत प्रभावों को कम करने के विश्वस्तरीय प्रयासों में योगदान देने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि दुनिया के कुल दुग्ध उत्पादन में करीब एक चौथाई योगदान भारत का है। भारत में मवेशियों की आबादी भी सबसे अधिक है।
यहां ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एवं मार्ट में आयोजित विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन के दौरान ‘पर्यावरण पर प्रभाव कम करने के लिए स्थायी डेयरी’ विषय पर सत्र को संबोधित करते हुए उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालयों के केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, ने कहा कि दुनिया में डेयरी का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते हमें इस दिशा में सबसे ज़्यादा योगदान देना है। दूध का करीब एक चौथाई उत्पादन भारत में ही होता है। भारत सरकार सहकारिता क्षेत्र एवं किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
भविष्य में दुग्ध उत्पादन में योगदान बढ़ेगा
उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आने वाले सालों में विश्वस्तरीय उत्पादन में भारत का योगदान और अधिक बढ़ेगा। जो छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जिनके पास 2-3 मवेशी होते हैं और ये मवेशी उनके लिए अतिरिक्त आय एवं पोषण उपलब्ध कराते हैं।
भारत कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहता है
उन्होंने कहा कि जब हम गुणवत्ता के मानकों और स्थायित्व की बात करते हैं, तब भारत दुनिया के साथ कदम-से-कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहता है। हम कृषि, डेयरी या उत्सर्जन की वजह से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के विश्वस्तरीय प्रयासों में योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन को भारत में एक टीम बनानी चाहिए जो देश के विभिन्न हिस्सों में जलवायु का अध्ययन करे और इन्हें ध्यान में रखते हुए जलवायु परिवर्तन के व्यवहारिक समाधान खोजे, जो छोटे किसानों के लिए भी प्रासंगिक हों।
हम विकसित राष्ट्र बनने को प्रतिबद्ध
गोयल ने कहा कि अगले 25 सालों में, हम 75 सालों से आगे बढ़कर 100 सालों की यात्रा पूरी करेंगे। हम एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं, एक ऐसा देश जहां देश भर में 1.3 बिलियन लोग समृद्ध हों। इन 1.3 बिलियन में से तकरीबन 70 मिलियन किसान हैं। खासतौर पर छोटे एवं सीमांत किसान जिनके पास 2-3 एकड़ ज़मीन और 2-3 दुधारू मवेशी होते हैं।
मवेशियों की पूजा करते हैं किसान
उन्होंने कहा कि भारतीय किसान अपने मवेशियों की पूजा करते हैं। जहां तक जलवायु परिवर्तन के समाधानों का सवाल है, विकसित दुनिया इसमें पूरी तरह से असफल रही है। हमारे पास इतना बड़ा देश हैं, लेकिन हम सीएचजी में मात्र 3 फीसदी योगदान दे रहे हैं।
दो किसानों को किया सम्मानित
उन्होंने किसानों के योगदान की सराहना की और इस दृष्टिकोण के साथ दो सीमांत किसानों को सम्मानित भी किया कि कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले प्रयासों एवं सभी गतिविधियों में छोटे और सीमांत किसानों पर ध्यान देना सबसे ज़रूरी है।
सत्र की अध्यक्षता पुरुषोत्तम रूपाला, केन्द्रीय मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने की। इस अवसर पर आईडीएफ के अध्यक्ष पियर क्रिस्टियानो ब्राज़ेल और महानिदेशक मिस कैरोलीन एडमंड भी मौजूद थीं।
प्रधानमंत्री ने किया था उद्घाटन
1974 में इंटरनेशनल डेयरी कॉफ्रेंस के 48 साल बाद सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्घाटन 12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्री मोदी ने किया था। इस अवसर पर पुरुषोत्तम रूपाला, केन्द्रीय मछलीपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री तथा उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।