अनुदेशकों को 17 हजार रुपये मानदेय देने की मामले की हुई सुनवाई
अनुदेशकों की ओर से अधिवक्ता रखेंगे अपना पक्ष, केंद्र व राज्य सरकार रख चुके हैं पक्ष
प्रयागराज। प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार रुपये मानदेय दिए जाने के मामले में हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। इस मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की बहस पूरी हो चुकी है। कल अनुदेशकों की ओर से अधिवक्ता पक्ष रखेंगे। हाईकोर्ट में कल भी मामले पर सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि अनुदेशकों को 17 हजार रुपये मानदेय देने के मामले में हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को राज्य सरकार ने विशेष अपील में चुनौती दी थी। सरकार की विशेष अपील पर चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचियों की ओर से अधिवक्ता दुर्गा तिवारी और सुप्रीम कोर्ट से आये अधिवक्ता एपी सिंह ने अनुदेशकों का पक्ष रखा।
अधिवक्ताओं ने कोर्ट में दलील पेश कि अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने भी 2017 में 17000 मानदेय देने का आदेश दिया था। यूपी सरकार ने इस ने आदेश का भी पालन नहीं किया। वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से पूरा फंड नहीं दिया गया है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र ने बजट नहीं दिया तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गई। कोर्ट ने लगभग एक घंटे तक दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 16 मई को दोबारा मामले की सुनवाई का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था। जिसको यूपी सरकार ने लागू नहीं किया है।
मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने हाई कोर्ट में रिट दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने अनुदेशकों को 2017 से 17000 मानदेय 9 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है। विवेक सिंह और आशुतोष शुक्ला की ओर से याचिका दाखिल की थी। जिस पर सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दायर की है।