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हिंदी पत्रकारिता ने देश को जोड़ने का काम कियाः हितेश

ग्रेटर नोएडा। पांचजन्य हिंदी साप्ताहिक के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि आजादी के समय से ही हिंदी पत्रकारिता ने देश को जोड़ने का काम किया। हमे पत्रकारिता में हमेशा निरपेक्ष रहना चाहिए। वह हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर सोमवार को शारदा विश्वविद्यालय द्वारा ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब के साथ मिलकर हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे।

हिंदी पत्रकारिता दिवस हर साल 30 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने की वजह यह है कि इसी दिन वर्ष 1826 में हिंदी भाषा का पहला अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन शुरू हुआ था। इस उपलक्ष्य में हिंदी पत्रकारिता दिवस शारदा विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं के साथ मिलकर मनाया गया। उन्हें हिंदी भाषा का महत्व बताकर जागरूक किया गया। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोलने और पढ़ने जानी वाली भाषा मे से एक है। हिंदी भाषा हर गांव, कस्बे, और पूरे भारत मे बोली जाती है।

संपादक हितेश ने कहा कि सही और बुरे को सरल भाषा मे समाज तक लाना ही एक असली पत्रकार की पहचान है। झूठ से परे रहकर समाज को एक सच का आईना दिखाना ही पत्रकार की जिम्मेदारी है। इस देश में सभी महापुरुष पत्रकार थे।

नेटवर्क 18 सीएनएन न्यूज़ चैनल के संपादक आनदं नरसिम्ह ने कहा कि इस देश की पहचान हिंदी है। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। इस देश मे हर जगह के लोग हैं और अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। किंतु हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसने हम सबको बांधकर रखा हुआ है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जैसे आप जीवन मे एक लक्षय बनाकर उस दिशा पर चलते हैं वैसी आपको पत्रकारिता में अपनी एक दिशा बनानी है। किसी के कहने और सुनने पर अपने विचार को नहीं बदलने चाहिए। सबसे पहले आप खुद को देखिए, आपको सच्चाई पर काम करना जरूरी है। वहीं किसी की राय पर करना आपकी  मर्जी है।

शारदा विश्वविधालय के प्रो चांसलर वाईके गुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता राष्ट्र निर्माण का “चौथा स्तंभ” है। आज टीवी समाचार चैनलों के 24 घंटों के प्रसारण, सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर) के होते हुए भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। बेशक आज पत्रकारिता के कई रूप हैं। हर भाषा में हैं। किंतु हिंदी पत्रकारिता आज भी देश मे बहुत आगे है। हिंदी पत्रकारिता इसी तरह अपनी बौद्धिकता बरक़रार रखे एवं गौरवशाली तरीके से सामाजिक विकास और परिवर्तन का वाहक बने।

शारदा विवि के कुलपति सिबाराम खारा ने कहा कि सामाजिक कल्याण करने में हिंदी पत्रकारिता अहम भूमिका निभाती है। देश की जनता को सरकार और सरोकार के बारे में बताने में पत्रकारिता ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। गांव में आज भी लोग हिंदी अखबार की मदद से कई तरह की जानकारी ले पाते हैं और वह उनके साक्षरता को भी बढ़ाती है।

शारदा स्कूल ऑफ़ बिज़नेस स्टडीज के डीन डॉ जयंती रंजन ने ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब को सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा उम्मीद जताई की इस तरह के आयोजनों से छात्रों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा|

कार्यक्रम का समापन करते हुए ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब के अध्य्क्ष धर्मेंद चंदेल ने सभी अतिथियों, शारदा विश्वविद्यालय के पीआर के डायरेक्टर अजीत कुमार ,शारदा स्कूल ऑफ बिज़नेस की डीन जयंती रंजन  स्कूल ऑफ लॉ के डीन प्रदीप कुलश्रेष्ठ, शारदा विश्वविद्यालय के उपस्थित छात्र और मौके पर मौजूद सभी पत्रकारों को धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम में आदेश भाटी और योग गुरु अखिल ठाकुर ने अपने विचार व्यक्त किए।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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