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निर्देशः अब निर्धारित ड्रेस में ही डाक्टरों और स्टाफ को करनी होगी ड्यूटी

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों को दिए निर्देश

लखनऊ। अब प्रदेश सरकार के अधीन अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में तैनात डाक्टरों और स्टाफ को निर्धारित ड्रेस में ड्यूटी करनी होगी। इसका उलंघन करने पर उनके साथ सख्ती भी हो सकती है और उन्हें दंडित भी किया जा सकता है। उनका वेतन भी उस दिन का कट सकता है।

बिना ड्रेस ड्यूटी करने वाले रोके जाएंगे

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ), मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों (सीएमएस), मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों (प्रिंसिपल) समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को मंगलवार को निर्देश दिए कि सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर-कर्मचारी अपनी निर्धारित ड्रेस पहनकर ही ड्यूटी करें। जिम्मेदार अधिकारी बिना ड्रेस में ड्यूटी करने वालों को रोके। उन्होंने निर्देश में यह भी कहा है कि अगर जरूरी हो तो वे सख्ती भी करें।

क्यों दिए इस तरह के निर्देश

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को ये निर्देश इस देने पड़े कि अस्पतालों में तय ड्रेस नहीं पहनने से मरीजों को डाक्टर और अस्पताल के स्टाफ को पहचानने में असुविधा हो रही थी। मरीज आम लोगों और अस्पताल कर्मचारी के बीच अंतर नहीं कर पा रहे थे। इसमें उन्हें कई दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा था।

डाक्टर को ड्यूटी के समय पहनना होगा एप्रिन

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा दिए गए निर्देश में कहा गया है कि ड्यूटी के समय डॉक्टर एप्रिन पहनकर ही ड्यूटी करेंगे। इसमें वरिष्ठ व रेजिडेंट डॉक्टर तक शामिल हैं। इनके अलावा लैब टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स, सिस्टर, मैटर्न भी निर्धारित ड्रेस में ड्यूटी करने आएं। संविदा कर्मचारी भी निर्धारित ड्रेस पहनेंगे। इसमें किसी भी दशा में लापरवाही नहीं बरतें। इसको लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस बात का ध्यान रखें और कड़ी निगरानी रखें। इसी के साथ यदि कोई भी इन निर्देशों का पालन नही करता है तो उसके वेतन में कटौती की जाए। इस मामले में किसी प्रकार की कोई भी लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी।

बिना ड्रेस के इमरजेंसी तक में करते हैं ड्यूटी

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार ऐसा देखने में आया है कि डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी बिना ड्रेस में ओपीडी और इमरजेंसी में ड्यूटी कर रहे हैं। इससे मरीज और उनके परिवार के सदस्य डॉक्टर-कर्मचारियों को पहचान नहीं कर पाते हैं। इस कारण अव्यवस्था फैलती है। परिजनों को इस बात का भ्रम रहता है कि कौन डॉक्टर-कर्मचारी ड्यूटी कर रहा है कौन नहीं? ड्यूटी पर कोई है भी या नहीं? इस कारण कई बार अफरा तफरी का माहौल रहता है। इसे ही ध्यान रखते हुए ये निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देश में यह भी कहा गया है कि ड्रेस कोड का इस्तेमाल जरूर किया जाए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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