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न्यायः अतीक व उसके दो करीबियों को उम्रकैद की सजा, भाई दोषमुक्त करार

उमेश पाल अपहरण के मामले में एमपी एमएलए विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ने सुनाई सजा, अतीक का अब जेल से बाहर आना मुश्किल

प्रयागराज। तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या के पुलिस के चश्मदीद गवाह एवं उनके रिश्तेदार रहे उमेश पाल के अपहरण मामले में बाहुबली सांसद रहे माफिया अतीक अहमद और उनके करीबियों को जिला न्यायालय की एमपी एमएलए विशेष न्यायालय के न्यायाधीश डॉ.दिनेश चंद्र शुक्ल ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने अतीक के भाई अशरफ को दोषमुक्त करार दिया है।

किस मामले में सजा हुई

प्रयागराज जिला न्यायालय की एमपी एमएलए विशेष न्यायालय के न्यायाधीश डॉ.दिनेश चंद्र शुक्ल ने अतीक के करीबयों शौकत हनीफ, दिनेश पासी को भी आजीवन कारावार की सजा सुनाई है। अतीक और उसके करीबियों को विशेष न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364 ए (अपहरण) के तहत दोषी करार दिया था। विशेष न्यायालय ने शेष सभी अभियुक्तों को इस मामले में दोषमुक्त करार दिया है। अतीक के भाई अशरफ को भी कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया है।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

मंगलवार को जिला न्यायालय के एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय कक्ष और उसके बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। अदालत परिसर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। चप्पे-चप्पे पर पुलिस क जवान तैनात किए गए थे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत अतीक और उसके भाई अशरफ को नैनी सेंट्रल जेल से लाया गया था। सुरक्षा के मद्देनजर दोनों को अलग-अलग कैदी वाहन से न्यायालय लाया गया था।

सजा से उमेश की पत्नी खुश नहीं

अतीक अहमद और उसके करीबियों को अपहरण के मामले में विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई सजा से उमेश पाल की पत्नी और वकील खुश नहीं हैं। उमेश पाल की पत्नी ने अतीक और उसके करीबियों की सजा होने के बाद मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि अतीक अहमद को फांसी की सजा होनी चाहिए थी। उनके वकील ने कहा कि वे हाई कोर्ट में अपील कर सजा को बढ़वाने की मांग करेंगे।

गुजरात से लाया गया था अतीक को

उमेश पाल के अपहरण मामले के मामले की सुनवाई के मामले में अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया था। उसके भाई अशरफ को बरेली सेंट्रल जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों को नैनी जेल के हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था।

क्या है मामला

अतीक अहमद, उसके भाई और करीबियों पर आरोप था कि 28 फरवरी 2006 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में पुलिस के गवाह उमेश पाल को बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ अपने साथियों के साथ अपहरण कर अपने कार्यालय में ले आए थे। उमेश पाल ने अतीक अहमद सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

जेल से निकलना मुश्किल

प्रयागराज जिले की जिला न्यायालय की एमपी एमएलए विशेष अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अतीक और उसके करीबियों का जेल से बाहर आना मुश्किल लगता है। अभी उसके खिलाफ एक मामले की सुनवाई के बाद आजीवन कारावास की सजा हुई है लेकिन उसके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सरकार और अधिकारी जिस तरह अतीक के खिलाफ मामलों की पैरवी कर रहे हैं उससे मुकदमों की गंभीरता का अंदाजा सहज की लगाया जा सकता है। इसमें न तो सरकार कोताही बरतना चाहेगी और न ही संबंधित अधिकारी ही।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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