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काम की खबरः जल्द खत्म होगा पार्किंग का झंझट, नोएडा प्राधिकरण बना रहा बाजारों में पजल पार्किंग की योजना

 नोएडा (फेडरल भारत नेटवर्क) : नोएडा, ग्रेटर नोएडा में स्थित प्रमुख बाजारों में पार्किंग की बेहद गंभीर समस्या है। पार्किंग को लेकर लोगों के बीच अक्सर विवाद भी देखने को मिलते हैं और कोई बिना अनधिकृत स्थान पर पार्किंग करता है तो ट्रैफिक पुलिस चालान काटकर उनके पते पर भेज देती है। अब लोगों को पॉर्किंग की समस्या से निजात दिलाने के लिए नोएडा अथॉरिटी ने विस्तृत प्लान तैयार किया है। इसके लिए अथॉरिटी ऑटोमेटेड पजल पार्किंग पर बनाने पर विचार कर रहा है।
अथॉऱिटी में कंपनी ने दिया प्रेजेंटेशन
नोएडा के प्रमुख बाजार में पार्किंग की समस्या के समाधान के लिए ऑटोमेटेड पजल पार्किंग बनाई जाएगी। प्रथम चरण में इसे नोएडा प्राधिकरण के बाहर बनाया जाएगा। इस पार्किंग की क्षमता पांच मंजिल और 50 वाहनों की होगी। इसके बाद इसे दो अन्य बाजारों में बनाया जाएगा। वहां इसकी क्षमता 100 वाहनों के आसपास रखी जाएगी। पजल पार्किंग तैयार करने वाली कंपनी ने प्राधिकरण में प्रेजेंटेशन दिया था, जिसे अफसरों की ओर से मंजूरी मिल गई है। बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव पास करके योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा।
पार्किंग की बाजारों में सख्त जरूरत
प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार नोएडा के लिए इस तरह की पार्किंग जरूरी हो गई है। यहां भीड़भाड़ वाले इलाकों में इस तरह की पार्किंग बनाने पर विचार किया जा रहा है। एक कंपनी की ओर से प्रेजेंटेशन दिया गया। यह कंपनी दिल्ली में कई जगहों पर पजल पार्किंग संचालित कर रही है।पजल पार्किंग का फायदा
इस तरह की पार्किंग के निर्माण के लिए ज्यादा स्पेस की आवश्यकता नहीं होती। इसे काफी कम जगह में पांच से छह मंजिल तक बनाया जा सकता है। पजल पार्किंग सेंसर पर आधारित है। इसलिए चोरी या टूटने का खतरा नहीं है। एक स्लॉट बनाने में करीब 8 लाख का खर्च आता है। यानी करीब 4 करोड़ में 50 स्लॉट वाली पार्किंग बनकर तैयार हो जाएगी। इसके संचालन के लिए ज्यादा स्टाफ की जरूरत नहीं होगी।
कैसे काम करती है पजल पार्किंग
यह पार्किंग ऑटोमेटेड है। इसमें गाड़ियां जमीन से एक मंजिल से दूसरी मंजिल पर शिफ्ट होती हैं। उसी तरीके से नीचे आती हैं। यह पूरा काम मशीनों के जरिए होता है। इसलिए इसमें सेंसर लगाए गए हैं। अगर गलती से कोई बच्चा या जानवर पार्किंग में घुस जाता है तो गाड़ी अपने आप जहां है वहीं स्थिर हो जाएगी। नीचे नहीं आएगी, ताकि कोई उसके नीचे न दब जाए। इसकी रेंज तय की जा सकती है। जिसे पीली लाइन से दर्शाया जा सकता है। ऑटोमेटेड पजल पार्किंग एक पजल गेम की तरह है। जिसमें जितने पार्किंग स्लॉट हैं, उतने ही स्टैंड हैं। जो घंटियों को ऊपर, नीचे, दाएं और बाएं घुमाते हैं। इसे ऐसे समझें, एक कार पार्किंग के लिए आती है। उसे जमीन पर बने स्टैंड पर पार्क किया जाता है। कार को पांचवीं मंजिल पर पार्क करना होता है। ऐसे में सेंसर के जरिए पूरा स्टैंड कार के साथ ऊपर उठ जाएगा और पांचवीं मंजिल पर जाकर सेट हो जाएगा। दूसरा स्टैंड अपने आप नीचे खाली जगह पर शिफ्ट हो जाएगा।

 

 

Mukesh Pandit

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