×
Uncategorizedधर्म-कर्मराजनीति

कांवड़ यात्रा : यह कैसा आदेश, दुकानों पर लिखिए अपना नाम, सरकार से सहयोगी और विपक्षी भी खफा

नोएडा ( मुकेश पंडित) : कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों, ढाबों, होटलों और ठेलों पर प्रमुखता से नाम लिखे जाने के सरकारी आदेश से राज्य में नया सियासी उफान उठ खड़ा हुआ है। नेताओं में इसे लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है। विपक्षी दलों के साथ सहयोगी दल रालोद ने भी इस अजीबों-गरीब आदेश को तुगलकी फरमान बताया है तो भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इस पर अपने ही अंदाज में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस आदेश की शुरुआत कांवड़ मार्ग में पड़ने वाले मुजफ्फरनर जिले के एसी अभिषेक सिंह ने की थी, लेकिन इसकी आंच पूरे प्रदेश में फैल चुकी है।

कब शुरू होगी कांवड़ यात्रा
इस वर्ष 22 जुलाई से कांवड़ कांवड़ यात्रा शुरू होगी। इस दौरान दिल्ली, राजस्थान और यूपी आदि जिलों से लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री उत्तराखंड की पवित्र नगरी हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल लेकर आते हैं और महाशिवरात्रि पर शिवालयों में भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान शिवभक्त कांवड़िएं पैदल ही सैकड़ों किमी की दूरी तक करके अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं।

क्या था मुजफ्फरनगर के एसपी का आदेश
मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कांवड़ यात्रा के दौरान किनारे पर पड़ने वाले होटलों, ढाबा मालिकों, दुकानदारों और ठेलों पर खाद्य वस्तुएं बेचने वालों से अपनी-अपनी दुकानों के बाहर बड़े और साफ अक्षरों में नाम लिखने का आदेश दिया था। इसके पीछे वजह बतायी गई कि कांवडियों के बीच किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति पैदा नहीं हो और अप्रिय स्थिति को रोका जा सके। ताकि कानून-व्यवस्था में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो सके। इसके बाद दुकानदारों और ठेले वालों ने अपने-अपने नाम लिखने शुरू कर दिए। इसी बीच इस मामले ने सियासी रंगत पकड़ ली। फिर क्या था, नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गई।

योगी ने कहा-नाम लिखने में क्या खराबी

मौके की नजाकत और मंशा भांपकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले पर सख्त रूख अपनाते हुए साफ शब्दों में कह दिया कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों पर नाम लिखना ही होगा। इससे उनके सहयोगी दल भी नाराज हो गए। योगी को विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ अपने सहयोगी दलों और पार्टी के खास नेताओं की भी नाराजगी झेलनी पड़ रही है। लेकिन शायद योगी का मकसद इस राग को छेड़ने के पीछे पिछले कई दिनों से चल रही राज्य में सत्ता की खींचतान से ध्यान भटकाना भी हो सकता है।

क्या बोले विभिन्न दलों के नेता

राष्ट्रीय लोकदल क प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने इस आदेश पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए इस फिजूल बताया। सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि ये नफरत को बढ़ावा देने वाला आदेश है, ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

केसी त्यागी बोले, पीएम के नारे का उल्लंघन

केंद्र सरकार में सहयोगी जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में इससे भी बड़ी-बड़ी कांवड़ यात्रा होती है, वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं होता। जो प्रतिबंध लगाए गए हैं। वे प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे का उल्लंघन हैं। अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।

बोले भाजपा नेता हड़बड़ी में गड़बड़ी वाला आदेश
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ अति उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा देते हैं। साथ ही लिखा-

जन्म जात मत पूछिए, का जात अरू पात।
रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहि जात कुजात।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा राजनीति कर रहे अखिलेश
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि यह निर्देश हिंदू-मुस्लिम टकराव को रोकने के लिए व्यवस्था करने के लिए दिया गया था। मैं इसका समर्थन करता हूं। समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे हिंदू और मुसलमानों के बीच विभाजन पैदा न करें।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Tags

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Related Articles

Back to top button
Close