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किसान आंदोलनः जेल गए किसानों का घंगोला व मायेचा गांवों में हुआ सम्मान, सक्रिय भूमिका निभाने वाली महिलाएं भी हुईं सम्मानित

किसान पर दर्ज मुकदमें और मुचलका वापस लेने की प्रक्रिया पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्ध नगर ने शुरू कर दी है, सम्मान समारोह में दी गई जानकारी

ग्रेटर नोएडा। अखिल भारतीय किसान सभा की घंगोला और मायेचा कमेटी ने अपने-अपने गांव में जेल गए किसान साथियों और धरने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाली महिलाओं का सम्मान किया। सम्मान समारोह में ही गांव घंगोला में आंदोलन की आगे की रणनीति के बारे में कमेटियों की बैठक की गई।

किसानों को पगड़ी पहनाई, महिलाओं ओढ़नी की गई भेंट

किसान सभा की मायेचा एवं  घगोला कमेटियों ने किसानों को पगड़ी पहनाकर, चादर ओढ़ाकर और महिलाओं को ओढ़नी देकर सम्मानित किया। सम्मान समारोह के तुरंत बाद किसान सभा की गांव कमेटियों और जिला कमेटियों की बैठक में किसान आंदोलन की समीक्षा की गई।

इन मुद्दों पर हुआ था आंदोलन

किसान सभा के प्रवक्ता डॉ.रूपेश वर्मा ने बताया कि किसान सभा के नेतृत्व में किसानों के 10% आबादी प्लॉट, रोजगार, भूमिहीनों के 40 वर्ग मीटर के प्लॉट, 120 वर्ग मीटर न्यूनतम प्लाट एवं साढ़े 17% आवासीय स्कीम में कोटा की नीति को बहाल करने, नई खरीदों में सर्कल रेट का 4 गुना मुआवजा देने और नई खरीद से प्रभावित किसानों को नए कानून के पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लाभ देने, किसानों के प्लाटों पर पेनल्टी खत्म करने, आबादियों की लीज बैक तुरंत तेज गति से शुरू करने, आबादी के शेष प्रकरणों का निस्तारण करने सहित अन्य अनेक मांगों को लेकर 7 फरवरी से किसान सभा ने आंदोलन शुरू किया था। किसान सभा ने 7 मार्च, 14 मार्च और 23 मार्च को हजारों की संख्या में एक-एक दिन का धरना-प्रदर्शन किया था। 25 अप्रैल से किसान सभा ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण पर रात-दिन का महापड़ाव डाल दिया था। इसमें लगातार आंदोलन करते हुए 6 जून को किसानों ने प्राधिकरण के दोनों गेटों को बंद कर दिया। इस दौरान चले आंदोलन में अभूतपूर्व रूप से किसानों ने हजारों की संख्या में हिस्सा लिया। संख्या के लिहाज से आंदोलन ऐतिहासिक रहा। आंदोलन में महिलाओं युवाओं और भूमिहीन किसानो की हजारों की संख्या ऐतिहासिक तौर पर बेमिसाल रही। 6 जून को प्रशासन ने शाम के 6:00 बजे धरने पर मौजूद 33 किसानों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी की खबर पाकर हजारों किसान पुलिस लाइन का घेराव करने पहुंच गए जहां पुलिस ने घबराकर किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज कर दिया। किसानों ने अपने आपको गिरफ्तारी के लिए प्रस्तुत किया लेकिन पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी से इनकार कर दिया। किसानों ने 7 जून को पुनः प्राधिकरण पर धरनास्थल को कब्जाने का फैसला किया और 7 जून को हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर महिलाओं के नेतृत्व में किसानों ने धरनास्थल को कब्जा लिया।

कई संगठनों का समर्थन रहा

डॉ. वर्मा ने बताया कि अन्य किसान संगठन और विपक्षी पार्टियां बड़ी संख्या में किसान सभा के धरना प्रदर्शन को प्राधिकरण पर समर्थन देने आने लगीं। इससे प्राधिकरण और प्रशासन के अधिकारी घबड़ा गए। इस पूरे दौर में किसानों के शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन के बावजूद पुलिस ने अपनी दमनकारी नीति जारी रखी और किसानों के बोलने के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। किसानों पर 5 से अधिक फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए एक एक मुकदमे में 1100 लोगों 600 लोगों को नामित किया गया। जेल में बंद 33 किसानों को फर्जी मुकदमों में तलब कर तोड़ने का प्रयास किया जाने लगा। धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहॆ किसानों के विरुद्ध दो-दो, ढाई-ढाई लाख रुपये के मुचलके के नोटिस भेजे जाने लगे। थाने के एसएचओ और संबंधित एसीपी गांव में जाकर खुली सभाएं कर किसानों को धमकाने लगे परंतु पुलिस की लाख दमनकारी कोशिश के बावजूद किसान पीछे नहीं हटे और बुलंद हौसले के साथ तमाम मुश्किलों को झेलते हुए हजारों की संख्या में प्राधिकरण पर जुटे रहे।

खाना-पानी की सप्लाई बंद

डॉ.रूपेश वर्मा ने बताया कि 6 जून से 24 जून के बीच पुलिस ने किसानों को खाना-पानी सप्लाई कर रहे लोगों को धमकाया। किसानों के खाने को छीनकर फिकवा दिया। उनका बिजली कनेक्शन काट दिया गया। महिलाओं के लिए उपलब्ध शौचालय को हटा दिया गया परंतु किसान डटकर शांतिपूर्ण ढंग से धरने पर बैठे रहे। हार कर पुलिस, प्रशासन और सरकार को झुकना पड़ा और किसानों की जिन समस्याओं पर प्राधिकरण के अधिकारी हल करना तो दूर बातचीत करने से भी इनकार करते रहे उन पर फैसला लेने के बाबत सरकार ने हाई पॉवर कमेटी के गठन की हामी भरी।

मुद्दों को प्राधिकरण नहीं कर सकता था हल

डॉ.रूपेश वर्मा के अनुसार किसानों के उपरोक्त मुद्दों में से अधिकतर को प्राधिकरण के स्तर पर हल किया जाना संभव नहीं था। इसलिए शासन स्तर पर नोटिफाइड होकर मंत्री स्तरीय हाई पावर कमेटी की अत्यंत आवश्यकता थी। समझौते के अनुसार औद्योगिक विकास मंत्री की अध्यक्षता में जिले के चारों जनप्रतिनिधियों, किसान प्रतिनिधियों, अफसरों को शामिल करते हुए हाई पॉवर कमेटी का गठन किए जाने का समझौता हुआ है। डीएम के स्तर पर रोजगार के 3 सितंबर 2010 के शासनादेश को लागू करने नए भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने के लिए कमेटी का गठन किया जा चुका है। प्राधिकरण स्तर पर आबादियों की सुनवाई के लिए शेड्यूल जारी कर दिया गया है। सुने जा चुके 10 गांवों के प्रकरणों एवं पेनल्टी के बाबत अगली बोर्ड बैठक में प्रस्ताव ले जाने की बात प्राधिकरण स्तर पर प्राधिकरण के अधिकारी कह रहे हैं।

मुकदमें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू

किसान सभा के प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस कमिश्नर के स्तर पर किसानों के विरुद्ध दर्ज मुकदमें और मुचलकों को वापस लिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, ऐसा पुलिस अधिकारी आश्वस्त कर रहे हैं। 24 जून के बाद से किसान सभा के जेल गए साथियों और आंदोलन में जिन महिलाओं और किसानों ने अत्यंत उल्लेखनीय भूमिका निभाई है उनका सम्मान और आंदोलन की उपलब्धियां समझौते और रणनीति के लिए क्यों बैठक हर गांव में आयोजित की गई हैं इसी क्रम में आज गांव मायचा और घंघौला में जेल गए साथियों आंदोलन में अत्यंत उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाली महिलाओं और किसानों का सम्मान किया गया। किसान सभा की  मायचा एवं  घगोला कमेटी ने किसानों को पगड़ी पहनाकर,चादर ओढ़ाकर और महिलाओं को ओढनी देकर सम्मानित किया सम्मान समारोह के तुरंत बाद किसान सभा की गांव कमेटियों और जिला कमेटियों की बैठक में किसान आंदोलन की समीक्षा की गई।

किसानों में फिर विश्वास बहाल हुआ

समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि किसान आंदोलन में किसान सभा ने जो 5 महीने गांव में मेंबरशिप और कमेटी का गठन किया था उसके नतीजे के तौर पर किसान बड़ी संख्या में एकत्र हुए किसानों में फिर विश्वास बहाल हुआ। किसानों को पुनः अपने पर यकीन हुआ कि हम एकजुट होकर सामूहिक मांगों को लेकर आगे बढ़ सकते हैं। आंदोलन की शुरुआत में हालात अत्यंत निराशाजनक थे। किसानों के उपरोक्त मुद्दे सालों से लंबित चले आ रहे थे। प्राधिकरण के अधिकारी मुद्दों को सुनने को तैयार नहीं थे परंतु किसानों के जुझारू आंदोलन ने साबित कर दिया कि एकता में बड़ा बल है। अभी मुद्दों को अंजाम तक पहुंचाया जाना शेष है। आबादियों की लीज पर पर कार्रवाई शेष प्रकरण की सुनवाई सुने गए प्रकरण को आगामी बोर्ड बैठक में ले जाकर निस्तारित करने पर प्राधिकरण स्तर पर अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस के स्तर पर मुकदमों को वापस लेने, मुचलका को वापस लेने की कार्यवाही शुरू करने का आश्वासन मिला है। डीएम के स्तर पर गठित कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है।

महत्वपूर्ण पड़ाव पूरा

किसान सभा के प्रवक्ता डॉ. रूपेश वर्मा ने बैठक को को संबोधित करते हुए कहा कि हमने आंदोलन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पूरा कर लिया है। मुद्दों को हल करने के बाबत उचित मंच का निर्माण आंदोलन ने कर लिया है। इसलिए उक्त जटिल मुद्दों को हल होने की संभावना अत्यधिक बढ़ गई है। उन्होंने चेताया कि प्राधिकरण ने उक्त मुद्दों पर पूर्व में भी समझौते किए थे। वादाखिलाफी प्राधिकरण का मूल चरित्र है। प्राधिकरण ने आज तक जो भी कार्य किए हैं वह निरंतर दबाव की वजह से किए हैं। यदि किसान सभा ने जरा भी दबाव में कमी की तो प्राधिकरण मुद्दों से तुरंत मुकर जाएगा।

परिस्थियों का ठोस आंकलन हो

किसान सभा के नेता गवरी मुखिया ने कहा कि हमें ठोस परिस्थितियों का ठोस आंकलन करना चाहिए। 24 जून के लिखित फैसले को लागू करने के संबंध में किसान सभा ने 15 जुलाई तक का वक्त सरकार और प्राधिकरण को दिया है। फैसले को लागू करने के संबंध में हमें लगातार फॉलोअप की आवश्यकता है।

संगठन को और मजबूत करने की जरूरत

किसान सभा के जिला अध्यक्ष नरेंद्र भाटी ने कहा कि हमें अपने संगठन को और मजबूत करने की जरूरत है। नोएडा, यमुना प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा के मुद्दे एक समान हैं। शासन स्तर पर गठित कमेटी ग्रेटर नोएडा के किसानों के संघर्ष का परिणाम है। इसका लाभ सभी प्राधिकरण के किसानों को मिलेगा लेकिन इसके लिए आवश्यक शर्त है कि हम गांव में अपने संगठन को मजबूत करें। प्राधिकरण के अधिकारियों पर निरंतर दबाव बनाए रखें और प्राधिकरण स्तर पर जरा भी ढील दिखाई दे तो तुरंत हमें आंदोलन के लिए तैयार रहना है। किसान सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रह्मपाल नागर ने कहा कि हमारा संगठन ही हमारी ताकत है। हमें आज ही से गांवों में 15 जुलाई तक अपनी कमेटियों की बैठक बुलाकर गांव स्तर पर महापंचायत आयोजित करनी है महिलाओं को भूमिहीन और युवाओं ने आंदोलन में भागीदारी कर आंदोलन को अत्यंत मजबूत किया है और साबित किया है। आंदोलन को मुकम्मल उसकी मंजिल तक ले जाना उनके बिना संभव नहीं है। इसलिए कमेटियों में भूमिहीनों महिलाओं और युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी है। जिन गांव में संगठन का निर्माण और मेंबरशिप बाकी हैं वहां भी हमें 15 जुलाई तक कार्य पूरा करना है और 15 जुलाई के बाद किसी भी दिन हजारों की संख्या में धरना-प्रदर्शन के लिए तैयार रहना है।

ये लोग हुए सम्मानित

सम्मान समारोह का आयोजन मायचा गांव में रणवीर मास्टर जी यतेंद्र मैनेजर पप्पू प्रधान अजब सिंह बाबा नेतराम टीकम सिंह धीरज सिंह धीरज सिंह एवं पूरे मायचा गांव की कमेटी ने किया। इसी तरह घंगोला गांव में किसान सभा के जिला अध्यक्ष नरेंद्र भाटी सचिव राजेश प्रधान ग्राम कमेटी अध्यक्ष अभय भाटी राजेंद्र भाटी राजेंद्र भाटी सीनियर रामपाल सिंह एवं पूरी घंगोला कमेटी ने किया। जेल गए साथियों वीर सिंह नेताजी गवरी मुखिया बुध पाल यादव सतवीर यादव अमित यादव अंकित यादव मुकुल यादव सुरेश यादव रणवीर यादव टीकम भाटी नेतराम भाटी पप्पू भाटी बीरन भाटी शेखर भाटी प्रवेश नागर निरंकार प्रधान ज्ञानचंद बालेश्वर हरवीर पवन वसोया नीरज शर्मा नितिन भाटी महाराज सिंह प्रधान भीम सिंह नागर ब्रह्मपाल सूबेदार रणपाल गुर्जर का सम्मान किया गया।

ये महिलाएं हुए सम्मानित

महिलाओं मे गीता भाटी पूनम भाटी शांति तिलक देवी फूलवती संतरा एवं अन्य दर्जनों महिलाओं का सम्मान किया गया।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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