अंबेडकर जयंती : जानिए , डॉ. भीमराव अंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें !

नोएडा: डॉ. भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान निर्माता, महान समाज सुधारक और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता थे। उन्होंने सामाजिक समानता, शिक्षा और न्याय के क्षेत्र में अहम योगदान दिया।
अंबेडकर जयंती हर साल 14 अप्रैल को उनके सम्मान में मनाई जाती है। उनका जीवन प्रेरणा देता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और शिक्षा के बल पर बदलाव लाया जा सकता है।
उन्होंने न सिर्फ संविधान लिखा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को आवाज दी और बराबरी का हक दिलाने के लिए पूरी जिंदगी संघर्ष किया।
डॉ. अंबेडकर का संघर्ष और योगदान : एक नजर
1936 में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी में आयोजित महार सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिंदू धर्म के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की और इसके परित्याग की बात कही।
उसी साल, 15 अगस्त को उन्होंने दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की, जिसमें मुख्य रूप से श्रमिक वर्ग के लोग शामिल थे।
1938 में कांग्रेस द्वारा अस्पृश्यों के लिए नाम बदलने संबंधी एक बिल लाया गया, जिसे अंबेडकर ने खारिज कर दिया। उनका मानना था कि केवल नाम बदलने से सामाजिक भेदभाव खत्म नहीं होगा।
1942 में उन्हें गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में लेबर मेंबर बनाया गया। इसके बाद 1946 में वे संविधान सभा के सदस्य के रूप में बंगाल से चुने गए।
भारत की आजादी के बाद, 1947 में वे देश के पहले कानून मंत्री बने। लेकिन 1951 में कश्मीर, विदेश नीति और हिंदू कोड बिल पर नेहरू से मतभेद के चलते उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
1952 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने भारतीय संविधान निर्माण में उनके अहम योगदान को सम्मान देते हुए उन्हें एलएल.डी. (LLD) की मानद उपाधि प्रदान की।
डॉ. अंबेडकर का जीवन संघर्ष, सोच और सामाजिक बदलाव की मिसाल है।