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व्याख्यानः सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ही वास्तविक राष्ट्रवाद : डॉ. राधेश्याम शुक्ल

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की अयोध्या इकाई ने अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में आयोजित किया सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विषयक व्याख्यान

अयोध्या। भारतीय संस्कृति के विश्लेषक विद्वान, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ही वास्तविक राष्ट्रवाद है। भारत तथा भारतीय संस्कृति की पहचान वापस लाने के लिए एक नए सांस्कृतिक आंदोलन छेड़ने की आवश्यकता है।

श्री शुक्ल अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की अयोध्या इकाई के तत्वावधान में अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में आयोजित एक व्याख्यान – सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने अविरल अबाध दो घंटे 51 मिनट तक अपने विषय को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि अन्य संस्कृतियां भारतीय संस्कृति को निगलने के लिए मुंह बाए खड़ी हैं। इसलिए सीमाओं की सुरक्षा की तुलना में संस्कृति की संरक्षा और सुरक्षा परम आवश्यक विषय है।

उन्होंने बताया कि सन् 632 से विदेशी आक्रांताओं ने भारत के सीमांत प्रांत सिंध पर हमला आरम्भ किया था। किंतु वे सफल नहीं हुए थे। धोखेबाजी और चालबाजी के गठजोड़ से 80 साल बाद सन् 712 में सिंध को आंशिक रूप से ही हासिल कर सके और सैंधव संस्कृति के सिपाहियों ने 300 वर्षों तक उन्हें सिंध में ही रोके रखा। उन्होंने कहा कि सन् 1020 मोहम्मद गोरी तक मुस्लिम शासन भारत में स्थापित नहीं हो सका।

श्री शुक्ल ने कहा कि भारतीय बहुदेववाद पश्चिम के बहुदेववाद से भिन्न है। भारतीय समाज की विशेषता सभी का पर्सानीफिकेशन अर्थात् अवतार में समाहित करना रहता है। उन्होंने कहा कि अनुवाद से गलत फहमियां पैदा हुईं। धर्म और संस्कृति शब्द का अन्य भाषाओं में कोई विकल्प नहीं है। गॉड और रिलीजन शब्द का हिंदी में कोई पर्याय नहीं है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य परिषद् के अवध प्रांत के मंत्री प्रो. सत्यप्रकाश त्रिपाठी, स्वागत स्थानीय इकाई अध्यक्ष प्रमोदकांत मिश्र, धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आरके सिंह और संचालन महामंत्री ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ’सरल’ ने किया। इस अवसर पर डॉ. असीम त्रिपाठी, प्रो. राजीव गौड़, डॉ. देवानंद त्रिपाठी, डॉ. भावेश त्रिपाठी, अमित मिश्र, पूनम सूद, अंजलि ज्ञाप्रटे, विश्वप्रकाश रूपन, एके तिवारी, रो. जयप्रकाश, भीम यादव, कन्हैया यादव, अंजनी पाण्डेय, सुधीर सिंह, अनिल सिंह आदि गणमान्य जन उपस्थित थे।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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