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नन्हें वैज्ञानिकः चार बच्चों ने बनाई तीन अद्भुत कार, महज नौ से 14 वर्ष की उम्र की उनकी

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने की सराहना, कहा, जब ये कार मार्केट में आएंगी तो लखनऊ का नाम देश दुनिया में होगा रौशन

लखनऊ। उम्र उनकी महज 9 से 14 वर्ष है लेकिन उन्होंने जो काम किया है उससे बड़े-बड़े इंजीनियर और वैज्ञानिक फेल हैं। लखनऊ में इन चार बच्चों ने मिलकर तीन डिजाइनों की ऐसी कार बनाई है जो 5-जी-रेडी हैं। इन कारों से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता। ये कार पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन से बचाने में काफी कारगर सहायक होगा। कार बनाने में बच्चों ने विज्ञान और स्वदेशी तकनीक का सहारा लिया है।

इन्होंने बनाई अद्भुत कार

जिन बच्चों ने तीन डिजाइनों के अद्भुत कार बनाए हैं उनमें 11 वर्षीय विराज अमित मेहरोत्रा, 9 वर्षीय आर्यव अमित मेहरोत्रा, 12 वर्षीय गर्वित सिंह और 14 वर्षीय श्रेयांश मेहरोत्रा हैं। इन्होंने आपस में तालमेल कर ‘फोरएवर’ नामक एक टीम बनाई। 250 से अधिक दिनों की कड़ी मेहनत, लगन, अद्वितीय समर्पण और प्रयासों से सुप्रसिद्ध रोबोटिक वैज्ञानिक मिलिंद राज की सलाह और उनकी देखरेख में अपने संकल्प को अंजाम दिया और कारों का निर्माण किया। इन विशेष कारों को बनाने के लिए जिन सामग्रियों का उपयोग किया गया है, उनमें से ज्यादातर का पुनर्नवीनी करण किया गया है।

तीन डिजाइन की बनाई कार, ये है खासियत

इन नन्हें वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने तीन विशेष प्रकार के कार बनाए हैं। ये बेहद अनोखे कॉन्सेप्ट से युक्त भी हैं। ये कार  हवा में तैरते धूल और प्रदूषण के कणों को साफ करने में सक्षम हैं। उन्होंने इस कॉन्सेप्ट को डीएफएस (DFS) यानी डी=डस्ट, एफ=फिल्ट्रेशन एस=सिस्टम नाम दिया है। डीएफएस एक ऐसी तकनीक है जो फेफड़ों से संबंधित बीमारियों  को हवा में घुलेमिले कम को कम करने और हमें सांस लेने के लिए स्वस्थ हवा देने में मददगार साबित हो सकती है। इनके बनाए कार विभिन्न आकार और डिजाइन की हैं। इनमें एक, दो व 3 सीटर में हैं। अनुमान है कि एक बार पूरी तरह से चार्ज वाहन 110 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। क्लासिक एवं आधुनिक डिजाइन के साथ इन गाड़ियों में 1000-वाट इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम के बीएलडीसीएम लगाया गया हैl ये प्रदूषणमुक्त गाड़ियां पर्यावरण की मदद करने में बेहद कारगर साबित होंगे।

95 हजार उत्पादन लागत का अनुमा

कई दिनों के कठोर परिश्रम और गहन अनुसंधान के बाद  इन वाहनों की अंतिम उत्पादन लागत लगभग 95 हजार रुपये होने को अनुमानित है। इनके भविष्य का मिशन सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले तथा  गतिशीलता और आईओटी. को बढ़ावा देने के लिए एक बेहद किफायती वाहन बनाना है।

मीट द हिस्ट्री क्रियेटर

इन बाल वैज्ञानिकों एवं इंजीनियर बच्चों को उत्साहित करने और सम्मानित करने के इरादे से रविवार को आयोजित “मीट द हिस्ट्री क्रियेटर” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के उपमुखमंत्री ब्रजेश पाठक शामिल हुए। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।  उन्होंने कहा, मुझे लगता है तीनों कारे जब मार्केट में आएंगी तो बहुत तेजी के साथ इनकी बिक्री होगी। इससे लखनऊ का नाम देश दुनिया में रौशन होगा।  इस ढंग के कार को देखकर हम कह सकते हैं कि तीनों अपनी-अपनी श्रेणी की अद्भुत डिजाइन और अद्भुत कार हैं।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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