महापंचायतः यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो पॉइन्ट पर किसानों की पंचायत शुरू, रन्हेरा गांव के किसानों को मॉडलपुर के पास बसाएं
धरनास्थल पर ही किसानों ने की महापंचायत, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने दिया अपना समर्थन, कहा पूरी तरह भाकियू उनके साथ
ग्रेटर नोएडा। जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों ने अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे पर डेरा डाल दिया है। उनके डेरा डालने से यहां पुलिस के हाथ-पैर फूल गए हैं। किसानों और प्रभावित ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजकर उन्हें पूरा करने की गुहार भी लगाई है।
किसानों ने की महापंचायत
धरनास्थल पर ही किसानों ने अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर महापंचायत की। रन्हेरा गांव के किसान अपनी विभिन्न मांगों के साथ ही खुद को मॉडलपुर गांव के पास बसाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने अपनी मांगों को पूरा कराने और समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार भी लगाई है।
मांगें पूरी होने तक धरना जारी रहेगा
महापंचायत में हजारों किसान जुटे हैं। यहां काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। महापंचायत में घोषणा की गई कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
भाकियू का मिला समर्थन
अपनी मांगों के लिए यहां आंदोलन कर रहे किसानों को भारतीय किसान यूनियन ने अपना समर्थन दिया है। भाकियू ने आंदोलनकारी किसानों की मांगों को जायज बताया है और कहा है कि उनकी मांगों को पूरा करने के साथ ही उनकी समस्याओं का समाधान भी शीघ्र करना चाहिए। किसान यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण पर जो भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं उन्हें दूर किया जाना चाहिए। प्राधिकरण को समानता का व्यवहार करना चाहिए और उनका उत्पीड़न तुरंत बंद किया जाना चाहिए।
स्थानीय नेताओं पर भेदभाव का आरोप
रन्हेरा गांव के किसान उन्हें अन्यत्र बसाने सहित अन्य मामलों में स्थानीय नेताओं पर भी भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वाइंट के पास धरने पर बैठे किसान लोगों के बीच अपनी बात रख रहे हैं। वहीं किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए वहां भारी पुलिस बल भी तैनात है। किसान नेता पवन खटाना ने बताया जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीनों का अधिग्रहण जारी है। इसी क्रम में रन्हेरा गांव के किसानों भी जमीन का भी अधिग्रहण हुआ है। रन्हेरा गांव के निवासी फलेदा कट के पास नहीं बसना चाहते। वे खुद को मॉडलपुर के पास बसाए जाने की मांग कर रहे हैं।
किसानों ने मुख्यमंत्री को भेजा मांग पत्र
जेवर एयरपोर्ट स्टेज-2 के भूमि अधिग्रहण से विस्थापित और प्रभावित ग्रामीणों ने भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के संदर्भ में मुख्यमंत्री को अपनी मांगों से संबंधित पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जेवर एयरपोर्ट स्टेज 2 के लिए जमीन अधिग्रहण से विस्थापित व प्रभावित ग्राम वासयों की मांगों का पूरा करने की मांग की गई है।
ये है प्रभावित और विस्थापित किसानों की मांग
मांग-1– मुआवजा देने के लिए सभी प्रभावित गांवों को शहर घोषित कर दिया गया है। इसलिए नोएडा विकास प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा देय मुआवजा रुपये 5600 प्रति वर्ग मीटर दिया जाए या इसका निर्धारण भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 26 के अनुसार भूमि के बाजार मूल्य से किया जाए।
मांग-2– कृषि भूमि पर मौजूद वृक्ष, नल, बोरिंग, ट्यूबवेल, निर्माण आदि की धनराशि भूमि के मुआवजे के साथ ही किसान के खाते में डाली जाए। बाद में अधिकारी किसान को परेशान करते हैं। ऐसा पहले फेज में देखने में आया है।
मांग-3– भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की मूल भावना और उद्देश्यों के अनुसार ग्रामीणों के वर्तमान में मौजूद घर, पशुबाड़े आदि के समतुल्य या न्यूनतम 100 वर्ग मीटर का प्लॉट उसको विस्थापित साइट पर दिया जाए। साथ ही उसका मालिकाना हक भी दिया जाए।
मांग-4– विस्थापित परिवारों को उनके मौजूदा स्वरोजगारों, व्यवसायों आदि को उजाड़ा न जाए बल्कि उन्हें पुनः स्थापित करने के लिए उनकी मौजूदा साधनों, संरचनाओं के समतुल्य जमीन विस्थापित साइट पर दी जाए।
मांग-5–भूमि अधिग्रहण कानून 2013 कानून की मूल भावना के अनुसार किसान को विकास में सहभागी बनाने के लिए उसकी अर्जित भूमि का 20 फीसद भू-भाग विकसित कर उसको वापस लौटाने का प्रावधान है जिसका उल्लेख भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की दूसरी अनुसूची की क्रम संख्या 3 और टिप्पणी नोट्स के बिंदु 13 में है (वर्तमान में 10 फीसद भूभाग के प्लॉट नोएडा/ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा किसानों को दिए भी जा रहे जबकि हमारा तो पूर्ण विस्थापन हो रहा है।)
मांग-6– दूसरी अनुसूची के सभी लाभों, अनुदान और हकदारियां की राशियां न्यूनतम है जबकि कानून की धारा 31 के अनुसार यह राशियां वर्तमान कीमत सूचकांक के आधार पर बढ़ोतरी कर दी जाएं (उदाहरण 5.5 लाख की राशि विस्थापन के एवज में दी जा रही है जो की वर्तमान समय के अनुसार बहुत कम है। कम से कम इसे 12 लाख किया जाए। दूसरे विभाग इतनी राशि दे भी रहे हैं।)
मांग-7– प्रभावित किसानों/युवाओं को नौकरी देने के लिए समयबद्ध योजना बनाई जाए। क्योंकि पहले चरण के प्रभावित एक भी किसान/युवा को अब तक रोजगार नहीं दिया गया है। कानून की भावना के अनुसार व्यस्क लड़के, लड़की को समान लाभ दिया जाए।
मांग-8–प्रभावित ग्रामीण यदि दूसरी जगह उत्तर प्रदेश में संपत्ति खरीदता है तो उसे स्टांप ड्यूटी/पंजीकरण शुल्क से छूट दी जाए (ऐसा पहले चरण का वादा भी था तत्कालीन जिलाधिकारी का।)
मांग-9– (i) गरीब पट्टाधारकों के हर प्रकार के पट्टे का लाभ उसको उसीप्रकार दिया जाए जिस प्रकार मूल किसान को दिया जाता है।
(ii) इसी प्रकार जो जहां काबिज है उसे उसकी आबादी माना जाए और काबिज व्यक्ति को ही विस्थापन का पूरा लाभ दिया जाए।
मांग-10– रन्हेरा क्षेत्र का प्राचीनतम व बड़ा गांव है जिसमे कई मंदिर धर्मशाला,चौपाल, अंबेडकर पार्क आदि हैं। सभी ग्रामीणों की मांग है कि इन सभी को विस्थापित साइट पर इनके समतुल्य जमीन दी जाए और इनकी पहचान भी कायम रखी जाए।
मांग-11– विस्थापित साइट का चयन गांव की खुली बैठक में ग्रामीणों के बहुमत के आधार पर किया जाए। अब बहुतायत ग्राम की सहमति खुर्जा कट के पास मॉडलपुर गांव के आसपास बनी है। इसलिए विस्थापन के लिए मॉडलपुर के आसपास जगह चयनित की जाए।
मांग-12– इन सभी मांगों को सहमति प्रपत्र पर लिखा जाए। इन शर्तों पर ग्रामीण अपनी जमीन देने के लिए या अपने विस्थापन के लिए तैयार हैं। जब तक ये मांगे सहमति प्रपत्र पर अंकित नहीं हो जाती गांववासी सहमति की प्रक्रिया का विरोध करेंगे।