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उत्तर प्रदेशगौतम बुद्ध नगरग्रेटर नोएडानोएडानोएडा वेस्ट

ज्ञापनः लखीमपुर खीरी कांड की बरसी पर संकिमो व भाकियू ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा

केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टैनी की बर्खास्तगी, निर्दोष किसानों की रिहाई व उन पर लगाए गए मुकदमें को वापस लेने की मांग

ग्रेटर नोएडा। लखीमपुरी खीरी कांड की बरसी पर संयुक्त किसान मोर्चा (संकिमो) एवं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने गौतम बुद्ध नगर जिला अधिकारी कार्यालय पर दो मिनट का मौन धारण कर एक ज्ञापन एडीएम नितिन मदान को सौंपा गया। ज्ञापन प्रधानमंत्री को संबोधित है। लखीमपुर खीरी में चार किसान एवं एक पत्रकार आज के ही दिन शहीद हुए थे। उन्हें मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले साल आज ही के दिन तिकोनिया, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन कर वापस लौट रहे किसानों पर थार गाड़ी चढा़ दी गई थी। इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए थे। 13 से अधिक किसान बुरी तरह से घायल हुए थे।

सुनियोजित साजिश थी

ज्ञापन के अनुसार इस घटना के पीछे सुनियोजित षड़्यंत्र था जिसे बाहुबली अजय मिश्र टैनी ने अपने बेटे आशीष मिश्र टेनी के साथ मिलकर रचा। देश भर में इस कुकृत्य के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुआ।  शहीद किसानों के अंतिम संस्कार के दौरान किसान नेताओं के साथ सरकार का कुछ मांगों पर समझौता हुआ, लेकिन उन मांगों पर न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने कोई ध्यान दिया। आजादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया, तब जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार से बैठक कराने का वादा भी किया, लेकिन आज तक मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को या उस समझौते में शामिल अधिकारियों को किसान नेताओं के साथ मीटिंग करने की फुर्सत नहीं मिली।

न्याय नहीं मिलने का आरोप

आज लखीमपुर के उन पांच किसानों की सुनियोजित हत्या को एक साल हो गया है, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला। मजबूरन आज देश भर में किसान और इस घटना से आहत अन्य तमाम वर्गों के न्यायपसंद लोग काली पट्टी बांधकर, शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए, केन्द्र सरकार का पुतला फूंकते हुए आपकी सरकार के किसानों के प्रति इस शत्रुतापूर्ण रवैये के विरोध में अपना रोष जाहिर कर रहे हैं। साथ ही एकबार फिर लखीमपुर के शहीद किसानों के लिए न्याय की मांग दोहराते हैं।

1.लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए और उसको तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा  जाए।

3 अक्टूबर की घटना के संबंध में हमने जो शिकायत, एफआईआर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी, उसके विभिन्न पहलुओं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अजय मिश्र टैनी ही वे दोषी है जिनके आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने 3 अक्टूबर को तिकोनिया में विरोध दर्ज किया था। उन्होंनें ही 25 सितंबर 2021 में एक सभा में खुले मंच से एक धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़कर कर बाहर करने की धमकी दी थी, जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था। एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120 बी  यानी हत्या का सुनियोजित षड़यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है। इसके बावजूद आपकी सरकार द्वारा अजय मिश्र टैनी को बचाने के प्रयास जारी है, और सबसे ज्यादा शर्मनाक उनका आज तक केन्द्रीय मंत्री बने रहना है। इतना ही नहीं अजय मिश्र टैनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानवाजी आज भी जारी है। आपसे आग्रह है कि अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करते हुए लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के दोष में जेल भेजें।

2.जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी केसों की वापसी 4अक्टूबर, 2022 को हमारे शहीद हुए 5 साथियों के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस कमिश्नर लखनऊ निरंजन कुमार, वरिष्ठ आई जी पुलिस लक्ष्मी सिंह, तत्कालीन डी एम,  एस.  एस. पी.  से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी कि हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इसे घटना को गंभीर व एकाएक उकसावे से पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है, उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर उन्हें तुरंत जमानत दे देगी। आश्वासनों के विपरीत हमारे चार साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत आज तक जेल में डाला हुआ है और इन्हें जमानत न मिल सके, इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी करते हैं। हम आपसे एकबार फिर कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। किसी कारण से आपकी सरकार इसको मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर यह दमन कर रही है। हमारा आपसे आग्रह है इन चार साथियों के ऊपर लगाए गएआरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाने और दोषमुक्त करें।

3.शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वायदा पूरा करो

सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक शहीद हुए साथी के परिजनों को 45 लाख रूपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी और सभी घायलों को 10 लाख रूपये का मुआवजा देगी।

ज्ञापन में खेद के साथ कहा गया है कि सरकार ने केवल 5 शहीद हुए साथियों के परिवारों को 45 लाख रूपये मुआवजा दिया है। बाकी सभी आश्वासनों को पूरा करने में आपकी सरकार लगातार मुकर रही है। राज्य सरकार ने इस घटना में घायल हुए 13 साथियों को अभी तक कोई मुआवजा  नहीं दिया और न ही शहीद हुए 5 किसान साथियों के परिवार में किसी को सरकारी नौकरी दी।

ज्ञापन के अनुसार इस घटना से संबंधित गवाहों पर जानलेवा हमले भी हुए, पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमें थोपने और डराने धमकाने की साजिशें होती रही हैं। हमारा आग्रह है इस घटना के सभी गवाहों और पैरवी कर रहे किसान नेताओं की मजबूती से सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है जो की जानी चाहिए, ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके।

इस मौके पर जिला अध्यक्ष अमित कसाना मोनू शर्मा सुरेंद्र नागर भगत सिंह सुनील प्रधान विनोद शर्मा जोगिंदर ची ची रोबिन नागर अनिल भिखारी प्रधान सुभाष सलारपुर धर्मपाल स्वामी इंदरजीत कसाना अजीत गैराठी शरीफ इंद्रेश गजेंद्र नागर दीपक शर्मा आदि सैकड़ों किसान कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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