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मेंटल हेल्थ कान्क्लेवः शरीर व मस्तिष्क व्यवस्थित रखने से मिलता है स्थायी आनंदः सद्गुरु जग्गी वासुदेव

जीएल बजाज इंस्टीट्यूट में मेंटल हेल्थ कान्क्लेव-2022 आयोजन के मुख्य अतिथि थे सद्गुरु, विद्यार्थियों को किया संबोधित

ग्रेटर नोएडा ग्रेटर नोएडा के नालेज पार्क स्थित जीएल बजाज इंस्टीट्यूट में मेंटल हेल्थ कान्क्लेव-2022 का आयोजन किया गया। कान्क्लेव के विशेष सत्र के मुख्य अतिथि सद्गुरु जग्गी वासुदेव थे। उनको विद्यार्थियों ने ध्यान पूर्वक सुना और उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर अपने विचार व्यक्त किए।

शरीर सबसे जटिल रासायनिक फैक्ट्री

जीएल बजाज इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट के वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने सद्गुरु को पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। छात्रों को संबोधित करते हुए सदगुरु ने कहा कि हमारा शरीर धरती पर सबसे जटिल रासायनिक फैक्ट्री है। यदि आप इसे व्यवस्थित करना सीख जाते हैं तो आपको आपके शरीर के भीतर से ही परमानंद की प्राप्ति होती है। इसके सामने दुनिया में किसी भी शराब, ड्रग्स आदि से मिलने वाली अस्थायी खुशी बहुत तुच्छ है। यदि आप समझदार इंसान हैं तो अपने भीतर से आनंद की प्राप्ति का प्रयास करेंगे। यदि मूर्ख हैं तो ऐसे नकारात्मक रसायनों का इस्तेमाल करेंगे जिनका प्रयोग कर बहुत सारे लोग बर्बाद हो चुके हैं। यह देखा जाना चाहिए कि आप अपने आनंद के लिए जो कर रहे हैं, उसका आप पर क्या असर पड़ रहा है और क्या वह स्थायी है। ड्रग्स के प्रयोग से स्थायी आनंद नहीं मिलता। लेकिन मैंने एक रास्ता ढूंढा है मैं अपने शरीर और मस्तिष्क को व्यवस्थित रखता हूं, जिससे मुझे स्थायी आनंद मिलता है। मेरे पास क्या है। क्या नहीं है, इसका मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं हमेशा स्वयं को आनंद में पाता हूं। आप सभी जानते हैं कि इंजीनियरिंग का अर्थ है कि हमने जो एक समय में अच्छा किया, वह स्थायी रूप से बना रहे। हमने पिछले 100 वर्षों में अपने बाहर की दुनिया में तो बहुत इंजीनियरिंग कर ली। इससे हम बहुत सुविधासंपन्न भी बन गए हैं। इसके बावजूद हम बहुत खुश नहीं हैं और न ही सबसे प्रेम करने वाले बन पाए हैं। यदि आप कंप्यूटर या फोन का इस्तेमाल नहीं जानते तो वह आपके लिए परेशानी बन जाता है। इसी तरह अगर आप अपने शरीर और मस्तिष्क को चलाना नहीं जानते हैं तो उसका दुष्परिणाम खराब मानसिक स्वास्थ्य होता है। अब समय है कि हम अपने भीतर की भी इंजीनियरिंग करें, ताकि हम शरीर और मस्तिष्क का बेहतर प्रबंधन कर सकें और हमें स्थायी सुख मिले।

10 फीसद पशुओं में ही भिन्नता होती है

सद्गुरु ने कहा कि सभी पशु 90 प्रतिशत एक जैसे होते हैं, उनमें सिर्फ 10 प्रतिशत भिन्नता होती है। जबकि मनुष्य 10 प्रतिशत एक से होते हैं और उनमें 90 प्रतिशत भिन्नता होती है। पशुओं को यह चुनने की क्षमता नहीं मिली हैं कि वे कैसे बने, जबकि मनुष्य में यह चुनने की शक्ति है कि वे इस 90 प्रतिशत में कैसे बनें।

सद्गुरु की झलक पाने की ललक

युवाओं में सद्गुरु की लोकप्रियता का जज्बा देखने लायक था। छात्रों ने पूरे जोश और तालियों के साथ उनका अभिवादन किया। सद्गुरु के विचारों को सुनने और एक झलक पाने लिए युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कालेज में उनके पहुंचते ही युवाओं में जोश भर गया।  उनकी जयघोष करने लगे और फोटो खींचकर उन्हें अपने मोबाइल में कैद किया। सभी छात्रों ने आडिटोरियम में सद्गुरु की बातों को एकाग्र होकर सुना।

युवाओं ने भी रखे विचार

विभिन्न मुद्दों पर सद्गुरु द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर युवाओं ने अपने विचार व्यक्त किए। युवाओं ने सद्गुरु द्वारा मृदा संरक्षण पर कही गई बातों पर अमल करने का भरोसा दिलाया। अंत में कालेज के छात्रों ने सद्गुरु के जीवन को नाट्य प्रस्तुति के जरिये दर्शाया। इसमें उनके जन्म, शिक्षा, गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षित करने और उनकी शादी करने सहित अन्य वृतांत दर्शाए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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