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आंदोलनः 8 मई के जुलूस में शामिल लोगों के दर्ज खिलाफ एफआईआर को हाई कोर्ट में चुनौती देगा किसान सभा

किसान सभा के प्रवक्ता ने मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान दी जानकारी, किसानों की समस्याओं, आंदोलन के कारणों, आंदोलन की शुरुआत आदि के बारे में दी विस्तार से जानकारी

ग्रेटर नोएडा। अखिल भारतीय किसान सभा गौतमबुध नगर जिला इकाई के प्रवक्ता डॉ. रुपेश वर्मा ने कहा कि किसानों की मांगों और समस्याओं को निराकरण के समर्थन में 8 मई को निकाले गए जुलूस में शामिल लोगों के खिलाफ पुलिस ने एफआरआर दर्ज किया है। इस एफआईआर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वह शुक्रवार को किसानों के महापड़ाव (धरना) स्थल पर मीडिया कर्मियों से बातचीत कर रहे थे। किसानों का महापड़ाव ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के कार्यालय पर 25 अप्रैल से लगातार जारी है।

उन्होंने कहा कि 7 फरवरी को किसान सभा के नेतृत्व में प्राधिकरण के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इसके क्रम में 14 मार्च, 23 मार्च को आंदोलन हुआ। 23 मार्च के आंदोलन के बाद 25 अप्रैल से रात-दिन के महापड़ाव की जारी है। करीब डेढ़ हजार की संख्या में किसान प्राधिकरण पर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे। मांगों के सिलसिले में प्राधिकरण की सीईओ से बातचीत भी हुई लेकिन किसी भी मसले पर कोई सहमति नहीं बन सकी। लिहाजा, किसानों ने घोषणा के अनुसार अपने महापड़ाव की शुरुआत कर दी। 2 मई के बड़े आंदोलन की घोषणा कर दी। इसमें करीब साढ़े तीन  हजार किसान प्राधिकरण को घेरने पहुंचे। दबाव में आकर प्राधिकरण के अधिकारियों से फिर बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि कभी जिन मसलों पर प्राधिकरण के अधिकारी जरा भी चर्चा करने के लिए तैयार नहीं थे 2 मई को किसानों की बड़ी संख्या देखकर चर्चा के लिए तैयार हो गए लेकिन उनकी नियत मुद्दों को हल करने की नहीं थी। अधिकारियों की कोशिश रही कि किसानों को आश्वासन के आधार पर धरना समाप्त करने के लिए राजी कर लिया जाए परंतु किसान इस चाल को बखूबी समझ गए। वे सालों से इस प्रेक्टिस को देखते आए हैं। इसलिए फिर किसान सभा ने अपने महापड़ाव को और आगे बढ़ाते हुए 8 मई को हजारों की संख्या में शांतिपूर्ण जुलूस निकाला जिसे दबाने के मकसद से बेवजह पुलिस ने किसानों के विरुद्ध एफआईआर बीटा थाने में दर्ज की है। इस संबंध में किसान सभा ने निर्णय लिया है कि गौतमबुध नगर प्रशासन द्वारा धारा 144 का दुरुपयोग करने एवं लोगों के शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन के संवैधानिक अधिकार को दबाने के मकसद से की गई एफआईआर को हाई कोर्ट इलाहाबाद में चुनौती दी जाएगी।

पहला मुद्दा हाई कोर्ट के फैसले लागू कराना

उन्होंने कहा कि    किसानों का सबसे पहला मुद्दा गजराज सिंह बनाम राज्य एवं अन्य में हाई कोर्ट के फैसले के संदर्भ में ठाकुर जयवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश हैं। सिफारिशों में 64% मुआवजा और 10% आबादी प्लॉट सभी प्रभावित किसानों को देने की बात कही गई है। 64% मुआवजे की सिफारिश को प्राधिकरण ने अपनी 91वीं बोर्ड बैठक में पास कर दिया एवं 10% आबादी प्लाट के संबंध में किसानों से वादा किया कि आप हाईकोर्ट न जाएं आपको 10% का लाभ प्राधिकरण के स्तर पर दिया जाएगा एवं 64% मुआवजा उठाते समय किसानों से गजराज सिंह के फैसले के बाबत संतुष्ट होने का शपथ पत्र भी ले लिया। इससे किसान 10% आबादी प्लाट के लिए हाईकोर्ट भी नहीं जा सके। इस तरह प्राधिकरण ने किसानों के साथ न केवल वादाखिलाफी की है बल्कि उन्हें झूठा आश्वासन देकर हाई कोर्ट जाने के उनके अधिकार से भी उन्हें वंचित कर दिया है। यह एक तरह से धोखाधड़ी की हद तक है। इससे प्राधिकरण क्षेत्र के प्रभावित किसान अत्यधिक आक्रोशित हैं।

सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा मिले

उन्गोंने कहा कि नई भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट का 4 गुना मुआवजा एवं शहरी क्षेत्र में दो गुना मुआवजा देने का प्रावधान है। कानून में जिस प्रोजेक्ट के लिए जिन लोगों की भी जमीन ली जाएगी उन्हें प्रोजेक्ट अफेक्टेड फैमिलीज कहा गया है और सभी को एक समान लाभ की बात की गई है परंतु प्राधिकरण ने कानून का उल्लंघन करते हुए क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को समाप्त करा दिया। जिससे कि जिन गांवों में जमीन की खरीद हो रही है वह शहरी क्षेत्र में परिभाषित हो जाए। प्राधिकरण ने अपनी आवंटन दरों में 2014 के बाद से कई बार बढ़ोतरी कर ली है। इसी तरह डीएम के स्तर पर होने वाले सर्किल रेट में भी शहरी क्षेत्र में कई बार वृद्धि की जा चुकी है परंतु गांव के सर्किल रेट में 2014 से 2023 तक 8 वर्ष के दौरान कोई वृद्धि नहीं हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट पार्टी के बीच 10 हजार रुपये प्रति वर्ग गज तक की रेट पर खरीद बिक्री हो रही है। परंतु प्राधिकरण ने किसानों की जमीनों के भाव मात्र 4250 रुपये तक सीमित किए है। जिन गांव में खरीद हो रही है वहां बोली लगाकर इंडस्ट्री के प्लॉट 72 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचे जा रहे हैं। इस तरह प्राधिकरण किसानों को लूटकर मुनाफाखोरी कर रहा है। किसान सभा की मांग सर्किल रेट के चार गुना मुआवजा एवं कानून के अनुसार सभी लाभ सभी प्रभावित किसानों को समान रूप से देने की है।

वादों पर खरा नहीं उतरता प्राधिकरण

उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने 120 वर्ग मीटर के न्यूनतम प्लाट का साइज 40 मीटर कर दिया। बाद में इसे भी समाप्त कर दिया। इसी तरह प्राधिकरण ने प्राधिकरण के आवासीय स्कीमों में किसानों के साढ़े 17% कोटे को खत्म कर दिया है। प्राधिकरण ने 3 दिसंबर 2010 के शासनादेश के अनुसार हर प्रभावित परिवार को रोजगार देने की नीति को आज तक लागू नहीं किया है। इसी तरह पतवाड़ी समझौते के तहत भूमिहीनों को 40 वर्ग मीटर के प्लाट से भी वंचित रखा है।

उन्होंने कहा कि      किसानों के आबादी शिफ्टिंग के मामलों में रकबे को आधा करने का प्रस्ताव प्राधिकरण ने शासन स्तर पर भेजा है जबकि प्राधिकरण ने किसानों की आबादी की शिफ्टिंग अधिक विकसित क्षेत्र से कम विकसित क्षेत्र की ओर की है। अपनी जरूरत के अनुसार की है। आबादी नियमावली में शिफ्टिंग के पर्याप्त प्रावधान है इसलिए किसान सभा प्राधिकरण से शिफ्टिंग की भेजी गई नीति को वापस मंगाकर नियमावली के प्रावधानों के अनुसार पूरे रकबे की लीजबैक की मांग की है।

निजी कंपनी के सीईओ की तरह बात करते हैं

उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के साथ वार्ता के दौरान प्राधिकरण के अधिकारी किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सीईओ की तरह बात करते हैं। अधिकारियों की मनसा किसानों के मुद्दों को उलझाकर रखने एवं आश्वासन देने तक सीमित है। किसानों ने स्थाई सीईओ की नियुक्ति की मांग की है।

पांच साल से जांच ही चल रही

उन्होंने कहा कि आबादी के मामलों में एसआईटी जांच 5 वर्ष से चल रही है। इसमें से 1451 प्रकरणों को एक कार्यक्रम में
उन्होंने प्रश्न पूछा था। इसके जवाब में क्लियर किया गया। बाकी मामलों में जिसमें बादलपुर चौगानपुर के 208 प्रकरण, पूरे क्षेत्र के 533 प्रकरण शासन स्तर पर लंबित हैं, प्राधिकरण ने कोई कार्यवाही नहीं की है।

मुद्दों के हल होने तक महापड़ाव जारी रहेगा

उन्होंने कहा कि किसान सभा ने दृढ़ संकल्प के साथ हर गांव में संगठन तैयारकर प्राधिकरण पर महापड़ाव डाला है। मुद्दों हल होने तक यह जारी रहेगा। महापड़ाव को दिल्ली की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर हजारों किसान गिरफ्तारी के लिए भी तैयार हैं।

पहलवानों के समर्थन देने का प्रस्ताव पारित

उन्होंने बताया कि आज किसान सभा ने महापड़ाव स्थल पर दिल्ली में धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में प्रस्ताव पास किया। प्रस्ताव में मांग की गई कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार कर उनके मुकदमा चलाया जाए। उन्हें कुश्ती संघ से बर्खास्त कर सभी खेल संघों का लोकतांत्रिक करण किया जाए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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