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किस्सा कुर्सी का : एमपी, एमएलए के सामने ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठें AIS, IPS अफसर, उप्र सरकार का फरमान

लखनऊ(फेडरल भारत नेटवर्क) : उत्तर प्रदेश सरकार की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक नया और बेतुका आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जिलों में तैनात डीएम-एसपी सहित अन्य IAS, IPS, PCS, और PPS अधिकारी सांसदों और विधायकों के सामने ऊंची कुर्सी या सोफे पर नहीं बैठ सकेंगे। इस नए आदेश से प्रदेश की आईएएस और आईपीएस लाबी सकते में हैं।
जनप्रतिनिधियों के सम्मान के लिए दिया आदेश
जानकारी के अनुसार, उप्र विधानसभा की संसदीय अनुश्रवण समिति की सिफारिश पर शासन स्तर से जिलों में तैनात अधिकारियों को इस तरह का आदेश जारी किया गया है। राज्य सरकार के इस कदम को जनप्रतिनिधियों के सम्मान को बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन आइएएस और पीसीएस अफसरों को यह आदेश तनिक नहीं भा रहा है। अफसरों में इस आदेश को लेकर अंसतोष भी पनप रहा है।
विधायक कर रहे हैं शिकायतें
उल्लेखनीय है कि अक्सर सांसद और विधायकों को जिलास्तर के अधिकारियों से यह शिकायत रहती है कि बैठकों अथवा मुलाकात के दौरान अफसर जनप्रतिनिधियों को उचित मान सम्मान नहीं देते हैं। इस संबंध में निर्वाचित जनप्रतिनिधि विधानसभा की संसदीय अनुश्रवण समिति के समक्ष अपनी आपत्ति व शिकायतें दर्ज कराते रहे हैं। कई विधायकों ने यहां तक शिकायत की है कि जब कोई जनप्रतिनिधि मुलाकात के लिए जिले के प्रमुख अफसर से मुलाकात के लिए जाता है तो उन्हें जनबूझकर प्रतिक्षालय में बैठाकर इंतजार कराया जाता है, जो बेहद अपमानित करने वाला है। विधायकों ने शिकायत की थी कि कोई भी जनप्रतिनिधि अफसरों से जनहित के कार्यों के सिलसिले में ही मिलने जाता है, ऐसे में उपेक्षापूर्ण व्यवहार खराब लगता है।
अफसरों में आदेश से बेचैनी
उधर, इस नये आदेश से राज्य में तैनात आइएएस, आइपीएस, पीपीएस और पीसीएस अफसरों में बेचैनी महसूस हो रही है। चर्चा कि अधिकारी इस आदेश को रद्द कराने के लिए सरकार से अपील करने पर विचार कर रहे हैं। इस फैसले के बाद अधिकारियों में चिंता देखी जा रही है, और चर्चा है कि अधिकारी संगठन इस आदेश को रद्द करने के लिए सरकार से अपील कर सकता है। हालांकि लोकप्रति निधि अधिनियम में जनप्रतिनिधियों और लोकसेवक के बीच के संबंधों को लेकर स्पष्ट प्राविधान हैं। अक्सर इस तरह के प्रावधानों का पालन नहीं होता है और स्थिति काफी प्रतिगामी बन जाती है।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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