मांगों को लेकर किसानों का प्राधिकरण दफ्तर पर जबरदस्त हंगामा, ना पुलिस रोक पाई ना बैरिकेड्स
नोएडा (Federal Bharat news) : भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में गुरुवार को हजारों किसानों ने नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर को घेर लिया। किसानों ने नोएडा विकास प्राधिकरण के बाहर पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ दिया और मुख्य गेट तक पहुंच गए तथा वहीं धरने पर बैठ गए। इस दौरान पुलिस और किसानों की बीच झड़प भी हुई, लेकिन किसानों ने पुलिस की कोई परवाह नहीं की।
हरौला में इकट्टा हुए थे किसान
गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन लोक मंच के तत्वावधान में गुरुवार को 81 गांव के किसान दोपहर एक बजे हरौला के बारात घर पहुंचे। यहां एकत्रित होने के बाद किसानों ने नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर की ओर कूच किया। किसानों को रोकने के लिए प्राधिकरण कार्यालय के पास नोएडा पुलिस ने बैरिकेड लगा रखे थे। यहां किसानों के साथ पुलिस की बड़ी झड़प हुई। काफी देर की झड़प के बाद किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिया और उसके ऊपर से कूदते हुए प्राधिकरण के मुख्य द्वार तक पहुंच गए।
क्या हैं किसानों की मांगें
नोएडा प्राधिकरण अधिसूचित क्षेत्र के 81 गांवों के किसानों की मांग है कि जिन किसानों को मूल 5 प्रतिशत के प्लॉट नहीं मिले हैं, उन सभी को 5 प्रतिशत के मूल प्लॉट दिए जाएं। जिन किसानों के न्यायालय से आदेश चुके हैं, उन सभी किसानों को अतिरिक्त 5 % के भूखंड या धनराशि दीजाये। सभी 81 गांवों का विकास सेक्टर की तर्ज पर किया जाए।
गांवों में नक्शा नीति समाप्त की जाए
किसानों को वर्ष 1997 से 64.7 प्रतिशत मुआवजा और 10 प्रतिशत के विकसित भूखंड दिया जाए। नोएडा के सभी 81 गांव के किसानों की आबादी को 450 मीटर से एक हजार मीटर करते हुए आबादी का संपूर्ण समाधान करें और 1976 से वर्ष 1997 तक के सभी किसानों को कोटा स्कीम के प्लॉट आवंटित करें। नोएडा प्राधिकरण के गांवों में सुवामित योजना लागू की जाए गांवों में नक्शा नीति समाप्त की जाए, गांव में यह व्यावहारिक नहीं है।
प्राधिकरण का किसानों से तानाशाही पूर्ण रवैया
भारतीय किसान यूनियन मंच के पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि कि नोएडा प्राधिकरण किसानों से तानाशाहीपूर्ण व्यवहार कर रहा है। प्राधिकरण ने किसानों से किए गए करारों को पूरा नहीं किया है। नक्शा 11 में स्पष्ट लिखा है कि किसानों को मिलने वाले मुआवजे की धनराशि में से 10 प्रतिशत धनराशि आबादी भूखंड देने के लिए काट ली गई थी और किसानों को केवल 90 प्रतिशत धनराशि का ही भुगतान किया गया था। अब नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड नहीं दे रहे हैं। यह करार नियमावली का उल्लंघन है।