Noida : बिग बॉस विजेता एल्विश यादव की गिरफ्तारी पर पुलिस पर लगे बड़े आरोप, नियमों की गई अनदेखी, दो गिरफ्तार
नोएडा : सांपों की तस्करी के मामले में पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों की पहचान ईश्वर और विनय के रूप में पुलिस ने की है। दरअसल, एल्विश यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है। अभी कई और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। इनमें गायककार फाजिलपुरिया भी शामिल है। साथ ही कई बड़े नाम को पूछताछ के लिए नोटिस देने की भी तैयारी नोएडा पुलिस कर रही है। अभी तक इस मामले में सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में रेव पार्टी आयोजित करने के दौरान सांपों के जहर तस्करी के मामले में नोएडा पुलिस की जांच जारी है। नोएडा पुलिस ने यूटयूबर एल्विश यादव को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसके खिलाफ एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एल्विश यादव फिलाहल नोएडा की लुक्सन जेल की हाई सिक्यूरिटी बैरक में बंद है। पिछले साल 3 नवंबर को, यादव और पांच अन्य पर सेक्टर 49 पुलिस स्टेशन में डब्ल्यूपीए और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत नोएडा में पार्टी के मौज-मस्ती करने वालों को कथित तौर पर मनोरंजक उपयोग के लिए सांप के जहर की आपूर्ति करने का मामला दर्ज किया गया था।
यादव के वकील प्रशांत राठी ने मंगलवार को कहा कि नोएडा पुलिस ने गवाह के रूप में जांच में शामिल होने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 (गवाहों की उपस्थिति की आवश्यकता के लिए पुलिस अधिकारी की शक्ति) के तहत पूछताछ के लिए यादव को बुलाया था, लेकिन बाद में उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार कर लिया। राठी ने आगे कहा कि जिस अपराध के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, वह डब्ल्यूपीए से संबंधित है और यादव के पास से ऐसा कोई प्रतिबंधित पदार्थ (सांप का जहर) बरामद नहीं हुआ था।
“यादव उक्त पार्टी में मौजूद भी नहीं था और उनके पास से डब्ल्यूपीए के तहत कोई प्रतिबंधित पदार्थ बरामद नहीं हुआ था। इसके अलावा, डब्ल्यूपीए की धारा 55 के अनुसार, केवल एक सरकारी अधिकारी ही इस अधिनियम के तहत किसी अपराध का संज्ञान लेने और शिकायत दर्ज करने के लिए अधिकृत है। वहीं, इस मामले में एक एनजीओ के सदस्य ने शिकायत दर्ज कराई है, जो नियमों का उल्लंघन है।
वकील ने बताया कि यादव के पास से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद नहीं किया गया है। दूसरे, जिस सांप के जहर की बात हो रही है उसका एनडीपीएस के तहत प्रतिबंधित मनोदैहिक पदार्थों की सूची में भी उल्लेख नहीं है। तीसरा, एनडीपीएस एक विशेष अधिनियम है, और एक जांचकर्ता को मामले में एक अलग एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता होती है, और इस अधिनियम के तहत अपराधों को मौजूदा एफआईआर में नहीं जोड़ा जा सकता है।
डीसीपी विद्यासागर मिश्रा ने कहा, नोएडा पुलिस अदालत के समक्ष इन सभी आरोपों का जवाब देगी, क्योंकि मामला विचाराधीन है। कानूनी कार्रवाई दायरे में रहकर की गई है और कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।