Noida News : भूजल दोहन पर एनजीटी का बड़ा एक्शन, दो सप्ताह में मांगा बिल्डरों से जवाब, जानिए पूरा मामला
नोएडा: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों द्वारा भूजल के अवैध दोहन का आरोप लगाने वाली याचिका पर अपना जवाब देने के लिए 63 बिल्डरों/प्रमोटरों को दो सप्ताह का समय दिया। एनजीटी ने इसे आखिरी अवसर बताया है। ट्रिब्यूनल ने दो पर्यावरणविद्धों की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कुछ बिल्डरों द्वारा भूजल का बड़े पैमाने पर दोहन करने का आरोप लगाया गया है।
20 मार्च को, ट्रिब्यूनल पर्यावरण कार्यकर्ताओं और ग्रेटर नोएडा निवासियों प्रदीप दहलिया और प्रसून पंत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में परियोजनाओं के लिए 63 बिल्डरों द्वारा भूजल का बड़े पैमाने पर दोहन किया जा रहा है। पिछली सुनवाई के दौरान संबंधित बिल्डरों ने कहा था कि अवैध भूजल निकासी के संबंध में विभागों द्वारा उन्हें ‘उचित नोटिस’ नहीं दिए गए थे। एनजीटी ने 8 दिसंबर, 2023 को आखिरी सुनवाई पर स्थानीय प्रशासन और बिल्डरों को दो सप्ताह के भीतर मामले में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था।
मई 2022 में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर भूजल के अवैध दोहन पर एनजीटी में याचिका दायर की थी। तब से, ये बिल्डर ट्रिब्यूनल के समक्ष आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें औपचारिक नोटिस नहीं दिए गए थे और इस प्रकार, वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं थे। एनजीटी ने कहा था कि सभी उत्तरदाताओं को उचित नोटिस जारी किया जाना चाहिए ताकि वे दो सप्ताह के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल कर सकें। हालांकि, बिल्डरों एवं प्रमोटरों ने अब और समय मांगा है, जबकि उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था।
ट्रिब्यूनल द्वारा जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के अधिकारियों की एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था। जिसने निरीक्षण किया और पाया कि 2023 में 33 ग्रुप हाउसिंग सोसायटी अवैध रूप से भूजल निकाल रही थीं। समिति द्वारा दोषी डेवलपर्स पर 306 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया था।