Noida News : दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में राम और रावण की होगी पूजा-अर्चना, जानिए क्यों
Noida News : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव स्थित मंदिर में भी पूर्ण विधि के साथ श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना की गई। मंदिर परिसर में 11 ब्राह्मणों ने पूरे रीति-रिवाज से पूजा अर्चना की। भव्य शोभायात्रा निकालने के बाद राजस्थान से लगाई गई मूर्ति को स्थापित किया।
बता दें कि बिसरख गांव रावण की जन्मस्थली माना जाता है। रावण का जन्म विश्ववा ऋषि के यहां हुआ था। विश्ववा ऋषि ने बिसरख गांव में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसकी पूजा रावण भी किया करता था। बिसरख गांव के शिवमंदिर में अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा आज भी देश के कोने—कोने से आने वाले करते थे। प्राचीन शिव रावण जन्मभूमि मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि मंदिर में राम दरबार में मूर्तियों को विशेष तरीके से स्थापित किया गया है। दरबार में माता सीता और हनुमान जी की मूर्ति अशोक वाटिका में अंगूठी मांगने वाले प्रतिमा को स्थापित किया गया है। अब इसी मंदिर में राम और रावण की पूजा होगी।
यह है मान्यता
दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा का बिसरख गांव विश्रवा ऋषि के घर रावण का जन्म हुआ था। विश्रवा ऋषि ने ही बिसरख गांव में एक अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की थी। विश्रवा ऋषि और उनका बेटा शिवलिंग की पूजा किए करते थे। आज भी वह शिवलिंग पूरे वैभव के साथ विराजमान है। शिवपुराण में भी बिसरख गांव का जिक्र किया गया है।
खुदाई में आज भी निकलती हैं शिवलिंग
बिसरख गांव स्थित शिव मंदिर में अष्टभुजी शिवलिंग हैं। इस शिवलिंग की गहराई आज तक कोई नहीं जान पाया है। खुदाई कराने पर शिवलिंग का छोर नहीं मिला। बताया जाता है कि रावण भी इसी अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा किया करते थे और शिव ने उन्हें इसी जगह बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। उन्होंने बताया कि गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलते हैं।
70 साल से नहीं हुई गांव में रामलीला
दशहरा के अवसर पर पूरे देश में रावण का पुतला जलाया जाता है। लेकिन बिसरख गांव में रामलीला का मंचन और रावण के पुतले का दहन भी नहीं किया जाता। ट्रस्टी आचार्य अशोकानन्द जी महाराज ने बताया कि कभी रामलीला का आयोजन किया गया। लेकिन गांव में एक शख्स की मौत हो गई। जिसके चलते रामलीला अधूरी रह गई।